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अग्निवीर भर्ती पर उठे सवालों पर सेना की सफाई

अग्निवीर योजना के तहत होने वाली भर्ती योजना में जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर बवाल मचा हुआ है | इसी बीच सेना ने आरोपों का खंडन कर साफ कर दिया है कि सेना में किसी भी भर्ती में पहले भी उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता था | इसे लेकर अग्निपथ योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है |

दरअसल , आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत तमाम विपक्षी सांसदों ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा था |

संजय सिंह ने भर्ती प्रक्रिया से जुड़े आदेश को शेयर करते हुए लिखा था कि मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है | क्या नरेंद्र मोदी पिछड़ों , दलितों और आदिवासियों को सेना में भर्ती होने के काबिल नहीं मानते , भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है | मोदी आपको अग्निवीर बनाना है , या जातिवीर

बीजेपी ने किया पलटवार

उधर , बीजेपी ने इन आरोपों पर पलटवार किया था | बीजेपी सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने संजय सिंह के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा , सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया था कि वह जाति , क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है | प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को एक रेजिमेंट में रखने को उचित ठहराती है |

अमित मालवीय ने आगे लिखा , हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की इस सनक का मतलब है कि संजय सिंह जैसे लोग हर दिन अपने पैर को मुंह में डालते हैं | सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है | स्वतंत्रता के बाद , इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था | मोदी सरकार ने इसमें कुछ नहीं बदला |

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