डिजिटल डेस्क : साउथ अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया है। कहा जा रहा है कि ये नया वैरिएंट डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक है। इसके खतरे को देखते हुए कई देशों ने साउथ अफ्रीका से आने वाली यात्रियों को बैन कर दिया है। डब्लयूएचओ ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की कैटेगरी में रखा है। हालांकि अभी भी नए वैरिएंट को लेकर कुछ ठोस जानकारी सामने नहीं आई है। वैज्ञानिक इसके बारे में रिसर्च कर रहे हैं।
ऐसे समझें नया वैरिएंट क्या है और इससे दुनियाभर के लोगों में दहशत क्यों है…
कोविड 19 का नया वैरिएंट साउथ अफ्रीका में मिला है। जिस व्यक्ति में यह केस पाया गया, वह साउथ अफ्रीका से हॉन्गकॉन्ग गया था। साउथ अफ्रीका के हेल्थ मिनिस्टर ने 25 नवंबर को इसकी घोषणा की। अगले दिन बेल्जियम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने यूरोप में मिले नए वैरिएंट के पहले मामले की जानकारी दी। उसी दिन WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया और इसे ओमिक्रॉन नाम दिया।
साउथ अफ्रीका के वैज्ञानिकों के मुताबिक नए वैरिएंट में 30 म्यूटेशन हैं, जो काफी ज्यादा हैं और यह स्पाइक प्रोटीन में मिला है। स्पाइक प्रोटीन को ही कोरोना की दवाएं और टीके टारगेट करते हैं। यानी इस नए वैरिएंट की वजह से एंटीबॉडी की संख्या घट सकती है और वैक्सीन का असर कम हो सकता है। यह चिंता की बात है।
इस वैरिएंट की वजह से प्रोटीन का मौजूदा रूप बदल गया है। यही वजह है कि वैज्ञानिक चिंतित हैं और यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा टीके अभी भी बीमारी से बचा सकते हैं या नहीं। रिसर्चर्स अब यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि नया वैरिएंट कैसे फैल रहा है?
अभी तक वैज्ञानिकों का यही कहना है कि मौजूदा टीके गंभीर बीमारी से बचा रहे हैं। जिन जगहों पर ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है वहां अस्पताल में भर्ती होने या कोविड की वजह से मौत को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को अभी भी टीका नहीं लगा है। इसलिए इस बात की आशंका जताई जा रही है कि नया वैरिएंट इसका फायदा उठा सकता है। उसे तेजी से फैलने के लिए मौका मिल जाएगा।
रिसर्चर्स की पहली प्राथमिकता है इस वायरस के मॉलिक्युलर फीचर्स के बारे में जानकारी जुटाना। ताकि इस वैरिएंट की जांच की जा सके। साथ ही यह पता किया जा सके कि जो लोग वैक्सीनेटेड हैं या जो कोविड 19 से रिकवर हो चुके हैं, उनकी एंटीबॉडी इस वैरिएंट को न्यूट्रलाइज करती है या नहीं।
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अब नए वैरिएंट को लेकर टीके बनाने की तैयारी कर रही हैं। फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना mRNA तकनीक पर काम करती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि करीब 6 महीने में नई वैक्सीन बनाई जा सकती है। कुछ महीनों में इसको लेकर टेस्टिंग भी की जा सकती है।
जब तक इस नए वैरिएंट को लेकर रिसर्चर्स अधिक जानकारी नहीं जुटा पाते हैं, तब तक स्वास्थ्य अधिकारी और नेता कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि दुनियाभर में अभी छुट्टियों का मौसम चल रहा है।
यूके ने तुरंत 6 अफ्रीकी देशों- दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, लेसोथो, बोत्सवाना, इस्वातिनी और जिम्बाब्वे से उड़ानों पर रोक लगा दी है। इन देशों से यूके में
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एहतियात के तौर पर अमेरिका और साउथ अफ्रीकी देशों से यात्रा पर रोक लगा दी है।
बेल्जियम के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जब तक नए वैरिएंट के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है, तब तक एहतियात के तौर पर साउथ अफ्रीकी देशों से उड़ान पर रोक लगा देनी चाहिए।