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UP सरकार द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया गया है। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा गाजियाबाद में बुजुर्ग व्यक्ति से मारपीट के वायरल वीडियो वाले केस में ट्विटर के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी को हिफाजत देने का निर्णय सुनाया गया था, जिसके विरोध में यूपी सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया गया है। Twitter Ke Khilaf Supreme
फिलहाल इससे पूर्व मनीष माहेश्वरी द्वारा अपनी तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में 1 कैविएट याचिका भी दाखिल कर रखी है।जिसका मतलब यह है कि मनीष माहेश्वरी की बात को सुने बिना सर्वोच्च न्यायालय यूपी सरकार की अपील पर सुनवाई पर कोई आदेश पारित नहीं कर सकेगी। आपको बता दें कि इस केस पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्विटर इंडिया के MD मनीष माहेश्वरी की अरेस्टिंग पर इंटेरिम स्टे लगा रखी है।
जानकारी के मुताबिक 24 जून को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा गाजियाबाद में लोनी पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी में मनीष माहेश्वरी को अरेस्ट होने से सुरक्षा प्रदान की गयी थी। गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर के MD को नोटिस जारी करके उनको लोनी पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए बोला है जिससे हमले के वायरल वीडियो से रिलेटेड जांच की जा सके।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पूछताछ को थे तैयार
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इसके पूर्व ट्विटर इंडिया के अफसरों ने पुलिस को जानकारी दी थी कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए रेडी हैं जिसको पुलिस द्वारा खारिज कर दिया गया था। गाजियाबाद पुलिस द्वारा ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर तथा राणा अय्यूब के साथ कांग्रेस लीडर्स सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद व लेखक सबा नकवी के विरोध में केस दर्ज किया गया था।
इस लोगों पर उस वीडियो का साझा करने का इल्जाम लगाया गया था , जिसमें एक बुजुर्ग अब्दुल शमद सैफी द्वारा कहा गया था कि कुछ युवकों ने उनकी कथित तौर पर पिटाई की थी, जिन लोगों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए भी बोला था।
पुलिस का कहना है कि सांप्रदायिक अशांति को व्यापक रूप देने के लिए इस वीडियो का साझा किया गया था। पुलिस ने बोला है कि अटैक इसलिए हुआ क्योंकि आरोपी, बुलंदशहर निवासी सैफी द्वारा बेचे गए ‘ताबीज’ से खुश नही थे। पुलिस द्वारा इस केस में सांप्रदायिक कोण से इनकार किया गया था। Twitter Ke Khilaf Supreme
पूरे देश में वायरल हुए वीडियो में सैफी द्वारा कथित रूप से बोला गया था कि उन पर कुछ युवकों ने अटैक किया तथा ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए फोर्स किया।
परंतु जिला पुलिस का कहना है कि घटना के 2 दिन बाद 7 जून को दर्ज अपनी प्राथमिकी में उनके द्वारा ऐसा कुछ नही बोला गया। 15 जून को दर्ज प्राथमिकी में बोला गया था कि गाजियाबाद पुलिस द्वारा घटना के तथ्यों के साथ एक बयान जारी किया गया था परंतु इसके बाद भी आरोपियों द्वारा अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं डिलीट किया गया।
Written By : Aarti Vishwakarma
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