Monday, June 16, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान को दी अंतरिम जमानत, एसआईटी गठित

हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कमेंट करने पर पुलिस ने बीते रविवार को उनको गिरफ्तार किया था। प्रोफेसर अली खान के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एक जठेड़ी गांव के सरपंच और भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य योगेश जठेड़ी ने दर्ज कराई थी और दूसरी राज्य महिला आयोग ने नोटिस की अवमानना के तहत दर्ज कराई थी।

हालांकि इस मामले में प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम बेल मिल गई है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर कई शर्ते भी लगाई हैं। आइए जानते हैं कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या-कुछ कहा है।

इस केस की होगी जांच

अभी इस केस की जांच की जाएगी और इसके लिए तीन सदस्यों की एसआईटी टीम बनाई गई है। जो कि सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। इस टीम में एक महिला अधिकारी भी शामिल है। प्रोफेसर से बेंच ने कहा है कि जांच पूरी होने तक वे पहलगाम या फिर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया में किसी तरह की कोई पोस्ट नहीं करेंगे। अगर उन्होंने ऐसा किया तो बेल की शर्त का उल्लंघन माना जाएगा और अंतरिम जमानत भी खत्म हो जाएगी। उन्हें अपना पासपोर्ट सोनीपत की अदालत में सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर एसआईटी का गठन पूरा करने का निर्देश दिया है और प्रोफेसर अली खान को जांच में शामिल होने और जांच में पूरा सहयोग करने को कहा है।

चलिए जानें कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर कौन सी धाराएं लगी थीं और इसमें कितने दिन की सजा मिलती है।

कौन कौन सी धाराएं लगीं

प्रोफेसर पर आरोप हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया में ऐसी बातें कही हैं जिससे सेना की गरिमा को ठेस पहुंचती है और भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान है। प्रोफेसर अली खान पर धारा 152 लगी है, जिसमें देश को नुकसान पहुंचाने वाला कार्यों से संबंधित है। जो कि संज्ञेय है और गैर-जमानती है। धारा 196 (1) विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ाना, धारा 197 (1) देश की संप्रभुता को खतरे में डालकर झूठी जानकारी देना और धारा 299 किसी धर्म का अपमान करना।

इसमें कितनी सजा मिलती है

धारा 152 गैर-जमानती है जिसमें सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के साथ-साथ जुर्माने का प्रावधान है। धारा 196 (1) के तहत अपराध करने पर अधिकतम तीन साल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकते हैं। अगर अपराध किसी पूजा स्थल पर हुआ है तो सजा पांच साल तक हो सकती है। धारा 197 (1) में तीन साल की जेल या फिर जुर्माना दोनों शामिल हो सकता है। आईपीसी की धारा 299 सदोष हत्या (culpable homicide) से संबंधित है। इसके तहत सजा अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। इसमें 10 साल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकता है। अगर सदोष हत्या का इरादा मृत्यु का हो तो सजा आजीवन जेल या फिर फांसी भी हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट में अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान की ओर से वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे। अली खान की पोस्ट की भाषा पर सवाल उठते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हमें यकीन है कि वह बहुत शिक्षित हैं। आप दूसरों को चोट पहुंचाए बिना बहुत सरल भाषा में अपनी बात कह सकते थे। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे जो सरल और सम्मानजनक हों।

राक्षसों ने हमारे लोगों पर हमला किया – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कांत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। क्या यह सब बात करने का समय है? देश पहले से ही इन सब से गुजर रहा है। राक्षस आए और हमारे लोगों पर हमला किया और इस समय हमें एकजुट होना चाहिए। ऐसे मौकों पर सस्ती लोकप्रियता क्यों हासिल की जाए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले समाज के लिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जानबूझकर शब्दों का चयन दूसरे पक्ष को अपमानित करने और असहज करने के लिए किया जाता है।

जस्टिस कांत ने आगे कहा कि एक प्रोफेसर होने के नाते उनके पास इस्तेमाल करने के लिए डिक्सनरी के शब्दों की कमी नहीं होनी चाहिए। वह ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, एक तटस्थ भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता था।

यहां समझें क्या था पूरा मामला

बता दें कि पुलिस ने बीते 18 मई को एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उन पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगा था। हरियाणा राज्य महिला आयोग ने भी हाल ही में एसोसिएट प्रोफेसर को एक नोटिस जारी किया था।

आपको बताते चले कि कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन में 100 के करीब आतंकी मारे गए थे। इसका बाद पाकिस्तानी सेना के दुस्साहस का जवाब देते हुए भारतीय बलों ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह कर दिए थे। इसके बाद पाकिस्तान को सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा था।

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