सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत दे दी है। यूपी सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को तीन दिन के भीतर निचली अदालत में पेश किया जाये और उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने करीब 23 महीने बाद उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली। केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को यूपी के हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था |
जहां कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म के बाद एक दलित युवती की मौत हो गई थी। पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने इस मामले में जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस महीने की शुरुआत में कप्पन की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस एस. रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने यूपी के गृह विभाग से पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की याचिका पर पांच सितंबर तक जबाव देने को कहा था।
दरअसल, हाथरस मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं लगाई गईं हैं।
यूपी सरकार ने किया था जमानत का विरोध
सुप्रीम कोर्ट में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका का यूपी सरकार ने जमकर विरोध किया था। यूपी सरकार ने कहा था कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पीएफआई के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है। पत्रकार सिद्दीकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है।राज्य सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा था, ”कप्पन सीएए, एनआरसी और अयोध्या मुद्दे पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है।
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