कानपुर में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच महीनों से चल रहा तीखा विवाद आखिरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद खत्म हो गया। विवादों में घिरे सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को उनके पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह श्रावस्ती में तैनात डॉ उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया है। इस प्रशासनिक टकराव ने न केवल ब्यूरोक्रेसी को हिलाया, बल्कि बीजेपी और सपा के दिग्गजों को भी आमने-सामने ला दिया।
कैसे शुरू हुआ था विवाद
विवाद की शुरुआत फरवरी 2025 में हुई। जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान सीएमओ सहित कई वरिष्ठ अधिकारी बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए। इसके बाद डीएम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) का दौरा किया। जहां दस्तावेजों में अनियमितताएं, चिकित्सा सेवाओं में कमी और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई। डीएम ने इन कमियों को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की और शासन को उनकी तबादले की मांग वाला पत्र भेजा।
विवाद तब और भड़क गया जब एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई। जिसमें कथित तौर पर सीएमओ ने डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अभी 14 जून को विवाद ज़्यादा बढ़ गया और सीएमओ को मीटिंग से बाहर कर दिया गया था। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा।
सीएम योगी का फैसला: नए सीएमओ की नियुक्ति
इस मामले की गूंज लखनऊ और दिल्ली तक पहुंचने के बाद सीएम योगी ने कड़ा रुख अपनाया। शासन ने डॉ. हरिदत्त नेमी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया और उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया। सूत्रों के अनुसार, सीएम ने इस विवाद को बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला माना और इसे जल्द खत्म करने का निर्देश दिया।
नए सीएमओ के लिए कैसी है आगे की राह ?
नए सीएमओ डॉ उदय नाथ के सामने कानपुर की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की बड़ी चुनौती है। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा हमारा लक्ष्य जनता को बेहतर सुविधाएं देना है। प्रशासन में अनुशासन और पारदर्शिता बरकरार रहेगी। दूसरी ओर इस विवाद ने कानपुर की ब्यूरोक्रेसी में सुधार की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया है। कानपुर का यह प्रशासनिक ड्रामा भले ही खत्म हो गया हो। लेकिन इसके सियासी और सामाजिक निहितार्थ लंबे समय तक चर्चा में रहने की संभावना है।
बीजेपी में दो फाड़, सपा को मिला मुद्दा
इस विवाद ने बीजेपी के स्थानीय नेताओं को दो खेमों में बांट दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ का समर्थन किया और उनके तबादले का विरोध किया। इसे डिप्टी सीएम के प्रति समर्थन के तौर पर देखा गया। वहीं बीजेपी के बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा और विधायक महेश त्रिवेदी ने डीएम का पक्ष लेते हुए सीएमओ पर भ्रष्टाचार और निजी अस्पतालों के साथ सांठगांठ के आरोप लगाए। बीजेपी के बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने सीएम योगी को पत्र लिखकर सीएमओ के तबादले की मांग की थी।
विपक्षी सपा ने इस विवाद को बीजेपी की अंदरूनी कलह और प्रशासनिक विफलता का सबूत बताते हुए सरकार पर निशाना साधा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में तंज कसते हुए कहा पहले इंजन टकरा रहे थे, अब कोच और गार्ड का डिब्बा भी टकरा रहा है। अधिकारियों की इस लड़ाई में जनता लुट रही है। सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने भी इस मुद्दे को उठाया और उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
सीएमओ का दावा: षडयंत्र का हुए शिकार
वही डॉ. हरिदत्त नेमी ने अपने बचाव में एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्होंने एक सीबीआई चार्जशीटेड फर्म का 30 लाख रुपये का भुगतान रोका था। जिसके बाद उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि मैंने स्वास्थ्य विभाग में सुधार के लिए काम किया। लेकिन कुछ लोग मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं। हालांकि उनके इस बयान पर डीएम समर्थक नेताओं ने सवाल उठाए।
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