राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जल्दी ही नई भूमिका में नजर आ सकते हैं। सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे अशोक गहलोत ने भी माना कि वह अध्यक्ष पद के लिए तैयार हैं, लेकिन अंत तक राहुल गांधी को ही यह पद संभालने के लिए मनाएंगे। सीएम अशोक गहलोत के बयान से माना जा रहा है कि उन्होंने अध्यक्ष पद की दावेदारी को खुलकर स्वीकार कर लिया है और यदि सब कुछ ठीक रहा तो गांधी परिवार के समर्थन वाले उम्मीदवार के तौर पर वह चुनाव में उतरेंगे। उनका मुकाबला शशि थरूर से होगा, जिन्हें बागी नेताओं में शुमार किया जा रहा है।
ऐसे में अशोक गहलोत का अध्यक्ष के चुनाव में जीतना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद की दौड़ में उनका नाम सबसे आगे है। उन्होंने खुद मीडिया से चर्चा में माना है कि वे राहुल गांधी को मनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन वे नहीं माने तो पार्टी चाहेगी तो वे अध्यक्ष बनने से इनकार नहीं कर सकेंगे। लगभग माना जा रहा है कि यह चुनाव तो होगा चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से ही, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल यह उठ रहा है कि अगर गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो क्या वे पार्टी के सबसे मजबूत राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपनी पहचाने बना पाएंगे ? राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही क्या अशोक गहलोत भारत जोड़ो यात्रा के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर राहुल गांधी को रिप्लेस कर सकेंगे
आखिर क्या हासिल करेगा गांधी परिवार
ऐसे में सवाल यह भी है कि अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाकर गांधी परिवार आखिर क्या हासिल कर लेगा। दरअसल अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस परसेप्शन से लेकर सामाजिक समीकरण तक को साधने की कोशिश में है। इसे कांग्रेस का ‘मनमोहन मॉडल’ भी कहा जा सकता है, जब सोनिया गांधी ने पीएम पद का ‘त्याग’ कर उन्हें जिम्मा दिया था। वहीं खुद पर्दे के पीछे रहते हुए सरकार को निर्देश देती थीं। माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस ने यही मॉडल अपनाने की तैयारी कर ली है। इससे वह विपक्ष और खासतौर पर भाजपा को परिवारवाद के आरोपों को लेकर जवाब दे पाएगी।
कोच्चि जाकर राहुल गांधी से मिलेंगे गहलोत
दिल्ली पहुंचे गहलोत ने यह भी कहा कि वह कोच्चि जाकर राहुल गांधी को इस बात के लिए मनाने का प्रयास करेंगे कि वे पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें। उनका कहना था कि राहुल गांधी से बातचीत करने के बाद ही वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है। गहलोत ने कहा, ‘मुझे कांग्रेस की सेवा करनी है। जहां भी मेरा उपयोग है, मैं वहां तैयार रहूंगा। अगर पार्टी को लगता है कि मेरी मुख्यमंत्री के रूप में जरूरत है या अध्यक्ष के रूप में ज्यादा जरूरत है तो मैं मना नहीं कर पाऊंगा।
कैसे गहलोत के जरिए ओबीसी को पाले में लाएगी कांग्रेस
ऐसे में अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस इस आरोप की काट कर सकेगी। यही नहीं सामाजिक समीकरणों के लिहाज भी अशोक गहलोत की भूमिका अहम होगी। वह माली जाति से आते हैं, जिसे पिछड़े वर्ग में शुमार किया जाता है। उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस राजस्थान समेत कई राज्यों में इस बात को भुनाना चाहेगी कि उसने एक ओबीसी नेता को पार्टी का मुखिया बनाया है।
सधेंगे सामाजिक समीकरण !
यही नहीं कांग्रेस की तैयारी इससे भी थोड़ा आगे की है। एक तरफ अशोक गहलोत अध्यक्ष बन सकते हैं तो पिछड़े वर्ग में शामिल गुर्जर जाति से आने वाले सचिन पायलट को राजस्थान का सीएम बनाया जा सकता है। गुर्जर समुदाय की राजस्थान के अलावा हरियाणा, यूपी और कई अन्य राज्यों में भी अच्छी खासी आबादी है। ऐसे में ओबीसी समाज के ही दो नेताओं के जरिए कांग्रेस आगे बढ़ने की तैयारी में है।
चुनाव लड़कर अध्यक्ष बनुंगा
गहलोत ने कहा चुनाव लड़कर अध्यक्ष बनुंगा और सीएम विधायकों के बहुमत से बना हूं। इस कारण दोनों पदों पर रह सकता हूं। गहलोत के एक विश्वस्त मंत्री ने बताया कि जरूरत पड़ने पर कांग्रेस विधायक और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक दिल्ली जाकर आलाकमान से आग्रह कर सकते हैं कि उन्हें दोनों पदों पर रखा जाए, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव सही तरीके से लड़ा जा सके एवं गुटबाजी नहीं हो।
वही थरूर पहुंचे कांग्रेस मुख्यालय, मिस्त्री से मुलाकात
उधर, अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जा रहे वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी आज कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री से मुलाकात की। थरूर समेत कई नेता कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के पात्र मतदाताओं की सूची प्रत्याशियों को देने की मांग कर चुके हैं। माना जा रहा है कि थरूर इसी सिलसिले में आज मिस्त्री से मिलने पहुंचे।
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