आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी और कई बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की। अखिल भारतीय इमाम संघ के मुख्य इमाम डॉ. इलियासी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रपिता हैं। उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रऋषि भी हैं। इससे पहले संघ प्रमुख भागवत ने दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में डॉक्टर इलियासी से मुलाकात की थी। अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख ने कहा कि मोहन भागवत जी आज मेरे निमंत्रण पर पधारे। उनकी यात्रा से एक अच्छा संदेश जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि हिंदू और मुस्लिम के पूजा करने के तरीके अलग हैं लेकिन हम सब का धर्म मानवता का है। इमाम प्रमुख ने मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया और कहा कि राष्ट्र का स्थान धर्म से ऊपर है। उनके साथ चल रहे संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि भागवत पहली बार किसी मदरसा गए हैं। आरएसएस के अधिकारी ने बताया कि अखिल भारतीय इमाम संघ के प्रमुख उमर अहमद इलियासी ने मदरसे में बच्चों से बात करते हुए भागवत को राष्ट्रपिता बुलाकर संबोधित किया।
हालांकि भागवत ने उन्हें टोकते हुए कहा कि राष्ट्रपिता सिर्फ एक हैं और कहा कि सभी भारत की संतान हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने भी बच्चों को देश के बारे में और अधिक जानने की जरूरत पर बात की और जोर देकर कहा कि पूजा करने की पद्धति अलग हो सकती है | लेकिन सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए।
कब हुई थी बैठक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद पहुंचे। उन्होंने यहां डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी के अलावा मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की। इलियासी अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम हैं। इससे पहले भागवत ने मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बंद कमरे में बैठक कर उनसे गोहत्या पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। इसके अलावा उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ ‘काफिर’ (गैर-आस्तिक) और ‘जिहाद’ (पवित्र युद्ध) जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए। साथ ही सुझाव दिया कि इनके प्रयोग से बचना चाहिए।
मुस्लिम और ईसाइयों से संवाद बढ़ाने की कोशिश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकातें और संवाद अनायास नहीं हैं। यह संघ की उस अहम रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह मुस्लिम और ईसाइयों से संवाद बढ़ाने पर जोर दे रहा है, ताकि धर्म आधारित गलतफमियों, दूरियों और संवादहीनता को दूर कर राष्ट्र निर्माण में उनकी व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की जा सके। साथ ही संगठन की पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया जा सके।
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