उद्धव ठाकरे गुट को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए शिवाजी पार्क में दशहरे पर रैली करने की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही शिंदे गुट को परमिशन देने से इनकार कर दिया है। उन्हें कहीं और रैली करनी होगी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना को आदेश दिया है कि वह बीएमसी के वार्ड ऑफिसर के पास इस आदेश को लेकर जाए और रैली करने की परमिशन ले। अदालत ने कहा है कि सरकार की ओर से जारी 2016 के आदेश के मुताबिक यह परमिशन दी जाएगी। यह नहीं पूरे आयोजन की वीडियोग्राफी कराई जाएगी और यदि कुछ भी खामी पाई जाती है या फिर कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होती है तो भविष्य में अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
वही दूसरी ओर शिंदे गुट को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उन्हें मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की अनुमति नहीं दी। दरअसल मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करने के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके विरोध में शिंदे गुट ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि अदालत उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर कोई फैसला न करे। हालांकि शुक्रवार को कोर्ट ने शिंदे गुट के इस आवेदन को खारिज कर दिया। शिंदे गुट की तरफ से यह आवेदन दादर विधायक सदा सर्वंकर ने दिया था।
नगर परिषद ने अपनी शक्तियों का किया दुरुपयोग
हाईकोर्ट ने पाया कि नगर परिषद ने याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर निर्णय लेने में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। शिवसेना को 2-6 अक्टूबर से तैयारियों के लिए मैदान दिया जाएगा। इससे पहले सर्वंकर ने अदालत को बताया कि वर्तमान याचिका की आड़ में, याचिकाकर्ता (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना) शिवसेना पर दावा करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही खेमे के पास पहले से ही बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स ग्राउंड में रैली की अनुमति है।
बीएमसी की दलील
हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले बीएमसी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 2004 के एक आदेश का हवाला दिया था। इसमें कहा गया था कि कोर्ट को कानून-व्यवस्था के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह प्रशासन के नियंत्रण में रहनी चाहिए। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान शिवसेना (उद्धव गुट) की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट में एडवोकेट एसपी चिनॉय ने पैरवी की।
उद्धव गुट के वकील की दलील
उन्होंने कहा कि शिवसेना 1966 से शिवाजी पार्क मे दशहरा रैली का आयोजन करता आया है। सिर्फ कोरोना काल में ऐसा नहीं हो सका। अब जब कोरोना के तहत कोई पाबंदियां नहीं हैं, सारे त्योहार मनाए जा रहे हैं | ऐसे में इस साल दशहरा रैली भी पारंपरिक स्थल पर ही होनी चाहिए।
पूरे समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए
इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि पूरे समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए। अगर यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता किसी भी तरह से कानून और व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं | तो यह भविष्य में उनकी अनुमति को प्रभावित करेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिवसेना को इस आदेश के साथ बीएमसी वार्ड अधिकारी से संपर्क करने और 2016 के जीआर के अनुसार नए सिरे से अनुमति लेने के लिए कहा है।
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