नहीं रहे पद्मश्री ‘वागीश शास्त्री’, पॉप सिंगर मैडोना को संस्कृत का उच्चारण सिखाया

वागीश शास्त्री

वाराणसी : पद्मश्री सम्मानित आचार्य भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ का बुधवार देर रात 89 साल की उम्र में निधन हो गया। वागीश शास्त्री के विश्व के 80 से ज्यादा देशों में 50 हजार विदेशी शिष्य हैं। 10 हजार विदेशी शिष्यों को मंत्र दीक्षित कर सनातन परंपरा से भी जोड़ा। सिर्फ यही नहीं, पॉप सिंगर मैडोना को भी उन्होंने संस्कृत का सही उच्चारण सिखाया था। फ्रांस के रौमेन का कुंडलिनी जागरण कराकर उन्हें रामानंद नाथ बनाया था।वागीश शास्त्री के बेटे आशा पति शास्त्री ने बताया कि बीते सप्ताह तबीयत बिगड़ने पर उनको अस्पताल में भर्ती कराया था। बीती रात अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वाराणसी में गुरुवार को हरिश्चंद्र घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

कोरोना के दौरान 88 साल की उम्र में वागीश शास्त्री ने विदेशी शिष्यों को ऑनलाइन क्लास लेकर पढ़ाया। उन्होंने रेगुलर क्लासेज लीं। विख्यात पॉप सिंगर मैडोना ने तरावली का गायन किया तो प्रो. वागीश शास्त्री ने उसमें गलतियां पाईं। मैडोना बीबीसी रेडियो के माध्यम से प्रो. शास्त्री के संपर्क में आईं और सही उच्चारण सीखा था।वागीश शास्त्री ने पहली बार संस्कृत को सरल और वैज्ञानिक भाषा बनाने की पहल की थी। उन्होंने एक वाग्योग निमॉनिक विधा को खोजा था, जिससे बिना रटे ही 180 घंटे में संस्कृत सीखी जा सकती है। उन्होंने संस्कृत के व्याकरण को वॉवेल, अयोगवाह जैसी बेसिक जानकारी को समझाते हुए संस्कृत को आसान बनाया।

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मध्य प्रदेश के सागर में हुआ था जन्म
वागीश शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के सागर में 24 जुलाई 1934 को हुआ था। 20 साल की कम उम्र में ही वह वृंदावन से होते हुए काशी आकर बस गए। 30 साल तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। इस दौरान 65 से अधिक किताबों और 300 से ज्यादा पांडुलिपियों का संपादन किया। संस्कृत रचनाकार, भाषा वैज्ञानिक, योगी, तंत्रवेत्ता और शिक्षाविद के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले वागीश शास्त्री को 1982 में महामहोपाध्याय की उपाधि से नवाजा गया था।संस्कृत साहित्य में योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार, काशी रत्न और पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पाणिनि के व्याकरण की सरल व्याख्या और नयापन लाने के साथ ही दर्शन, साहित्य, न्याय, वेदांत और सांख्य दर्शन पर किए गए उनके रिसर्च और खोज की वजह से पूरी दुनिया में शिष्यों को तैयार किया।