Israel Aur Palestine Ki Jung Me Bharat Kiske Sath Hai , Jaaniye Poori Jaankari

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इजराइल और फलस्तीनियों के मध्य एक बार फिर तनाव ने ज़बरदस्त हिंसा का रूप धारण कर लिया था।दोनों ओर से कई सालों से चल रही तनाव इसी हालत गुस्सा बन कर निकल पड़ती है। मगर इस कारणवश कई मासूम लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है। दोनों ओर से किये गए हमलों की कीमत आम नागरिकों को चुकानी पड़ती है। यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद पर जुम्मे की नमाज से एक बार फिर दोनों पक्षों में हिंसा को दावत दी थी। Israel Aur Palestine Ki Jung

जिसके बाद गुस्से की आग में जलते हुए इस्राइली की सेना हमास शासित क्षेत्र से रॉकेट दागने के बीच कई आतंकी ठिकाने उड़ाने का एलान किया था। हमले में कई लोगों की जान चली गयी। ऐसे में गाजा क्षेत्र के अस्पताल व स्कूल बंद के साथ साथ हजारों लोग विस्थापित हो गए।

हालात इतने बिगड़े की गाजा में एकमात्र कोरोना परीक्षण लैब तक तबाह हो गया गलियों में मल बह रहा है और 8 लाख लोगों को पेयजल देने वाले पाइप तोड़ दिए गए । यहां सीवेज सिस्टम नष्ट है और ढाई लाख लोगों को ताजा पानी देने वाला संयंत्र बंद है। गाजा में 17 अस्पताल-क्लीनिक क्षतिग्रस्त हुए जिससे 20 लाख लोग पर मानवीय संकट छा गया ।

हिंसा के कारण 6 लाख से अधिक छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया और करीब 72,000 लोग अपने घरों से पलायन करने पर मजबूर हो गए। लेकिन अब अमेरिका के दबाव में एकतरफा युद्धविराम का एलान किया गया है। हालाँकि ,इस प्रकार की हिंसक करवाई की नींदा पुरे विश्व में की गयी है। मगर इसके साथ ही गाजा की ओर से भी इजरायल पर 1000 से अधिक रॉकेट दागे गए ।

इस्राइल को पूर्ण समर्थन – जो बिडेन
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अमेरिका इस मुद्दे पर खुलकर सामने आया राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात करते हुए इजरायल के लोगों की रक्षा के लिए उन्हें पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया था।

मगर आखिरकार आज 11 दिन के बाद इस हिंसा का अंत हुआ और इस्राइल युद्ध विराम पर राजी हो गया है। ग्यारह दिन तक लगातार इस्राइल की ओर से फिलस्तीनी इलाकों पर हमले जारी रखने के बाद आखिरकार इस हिंसा का अंत हुआ है । फिलस्तीनी गुट हमास ने भी अब कोई आक्रामक कार्रवाई ना करने का वादा किया है। लेकिन युद्धविराम किन शर्तों पर हुआ है, इसे लेकर दोनों पक्षों ने अलग-अलग बयान दिए है। इस्राइल के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा यह एक ‘दोतरफा और बिना शर्त युद्धविराम’ है। Israel Aur Palestine Ki Jung

लेकिन मिस्र के जिस प्रस्ताव के आधार पर युद्धविराम पर सहमति बनी, उसमें कहा गया है आगे चल कर गाजा से संबंधित मुद्दों पर दोनों पक्ष बातचीत करेंगे। हमास के अधिकारियों ने कहा है युद्धविराम यरुशलम में इस्राइल की नीति बदलने के वादे के आधार पर हुआ है। इन वायदों में अल-अक्सा मस्जिद की निगरानी की व्यवस्था बदलना और पूर्वी यरुशलम से फिलस्तीनियों को निकालने पर रोक शामिल हैं। सोचने वाली बात ये है की इस्राइली अधिकारियों ने दो-टूक इनकार किया कि ऐसा कोई वचन दिया गया है।

पर सवाल ये है की भारत ने इस मुद्दे पर क्या किया है और भारत किसके पक्ष में खड़ा है ?
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क्युकी भारत को अमेरिका का एक अच्छा सांझेदार माना जाता है और अमेरिका ने साफ़ शब्दों में कहा था की वोह इस्राल के साथ है इतना ही नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात करते हुए इजरायल के लोगों की रक्षा के लिए उन्हें पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन तक दिया था।

लेकिन, भारत की ऐतिहासिक पोजीशन हमेशा फिलिस्तीन के सपोर्ट में रही है। भारतीयों को लग रहा है कि मोदी सरकार के समय में फलस्तीन को भारत की ओर वह सपोर्ट नहीं दी जा रही जो कांग्रेस के समय में दी जाती थी। मगर भारत हमेशा हिंसा के विरुद्ध रहा है भारत में कभी भी हिंसा का जवाब और हिंसक हो कर देने का नहीं सोचा ऐसे में इजरायल द्वारा आम नागरिकों पर हमले किए जाने का सपोर्ट भारत कैसे कर सकता है?

मगर कुछ ऐसे भारतीय नागरिक है जो फलस्तीन में हो रही हिंसक घटनाओं पर इजरायल को सपोर्ट कर रहे हैं बच्चों पर औरतों पर हो रहे अत्याचार पर खुशियां मना रहे हैं इतना ही नहीं ऐसे लोगों के मिल रहे सपोर्ट को इसराइल ने स्वयं लेने से इनकार कर दिया है।

मोदी सरकार फलस्तीन की किस प्रकार मदद कर रही है क्या आपको पता है?

– यून रेसुलेशन भारत ने फलस्तीन के फेवर में में वोट किए हैं।

– इजरायल और अमेरिका के विरुद्ध भारत ने पोजीशन ली है

-वैसे ही इस बार भी भारत का नेतृत्व कर रहे टीएस मूर्ति ने यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में कहा भारत का मजबूत सहयोग सिर्फ फलस्तीन के साथ है और भारत अपने इस पक्ष पर अडिग है। – मोदी सरकार का मानना है वहां पर दो देश बनने चाहिए । वहां सिर्फ इजरायल नहीं बल्कि वहां पर फिलिस्तीन भी रहेगा। -भारत हमास द्वारा की जा रही फायरिंग और छोडे रहे रॉकेट का विरोध करता है क्योंकि भारत आम नागरिकों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में हमेशा खड़ा रहा है Israel Aur Palestine Ki Jung

2017 में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने जेरूसलम को कैपिटल ऑफ इजराइल के रूप में मान्यता दे दी थी। ऐसे में सवाल खड़ा हुआ कि डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के अच्छी संबंधों के चलते भारत किस पक्ष में खड़ा होगा?

जिस पर भारत ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है और इस मुद्दे पर भारत अपना नजरिया रखता है भारत किसी भी दूसरे देश से इनफ्लुएंस नहीं होता है। भारत और अमेरिका के संबंध एक तरफ है मगर भारत का फिलिस्तीन मुद्दे पर नजरिया अलग है।

Written By : Sheetal Srivastava

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