Friday, June 27, 2025
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वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम सुनवाई, 70 से ज्यादा याचिकाओं पर बहस आज

विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद से पारित होकर कानून बन चुके वक़्फ़ (संशोधन) एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। करीब 73 याचिकाएं वक्फ एक्ट के खिलाफ दायर की गई हैं।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ओवैसी, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के अरशद मदनी समेत कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं भी शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं जिन्हें सूचीबद्ध किया जाना है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की कैविएट

इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर कोई भी आदेश पारित करने से पहले मामले की सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। दरअसल, कविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।केंद्र सरकार ने हाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका

7 अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिये गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरू किया अभियान

वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका नाम वक्फ बचाव अभियान दिया गया है। इस अभियान का पहला चरण कुल 87 दिनों तक चलेगा। यह 11 अप्रैल से शुरू हो चुका है और 7 जुलाई तक चलेगा। इसे साथ ही वक्फ कानून के विरोध में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे। इसके बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।

वक्फ संशोधन बिल से जुड़ी अहम बातें

1.   देश आजाद होने के बाद 1950 में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनाने की जरूरत महसूस हुई।

2.    1954 में वक्फ एक्ट के नाम केंद्र सरकार ने कानून बनाया और सेंट्रल वक्फ काउंसिल का प्रावधान किया।

3.     1955 में इस कानून में बदलाव करते हुए हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की शुरुआत हुई।

4.    फिलहाल देश में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं। ये वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और रखरखाव करते हैं।

5.    कुछ प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड अलग हैं।

6.    1954 के इसी कानून में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल के जरिए बदलाव किया है।

वक्फ संशोधन कानून की टाइमलाइन

>>    वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को लोकसभा में 8 अगस्त, 2024 को पेश किया गया था।

>>    इस वक्फ (संशोधन) बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को 8 अगस्त, 2024 को भेजा गया था

>>    संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट 30 जनवरी, 2025 को प्रस्तुत की गई।

>>    वक्फ (संशोधन) बिल को लोकसभा में 2 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।

>>    वक्फ (संशोधन) बिल को राज्यसभा में 3 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।

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हज जाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सऊदी हज पोर्टल फिर से खुला

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी अरब ने संयुक्त हज समूह ऑपरेटरों (CHGO) के लिए हज (Nusuk) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की है। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी सरकार ने सीएचजीओ को बिना किसी देरी के अपनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए तत्काल निर्देश जारी किए हैं।

भारत सरकार के लोग गए थे जेद्दा

पिछले हफ्ते अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सचिव चन्द्रशेखर कुमार, संयुक्त सचिव सीपीएस बख्शी के साथ भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चल रही हज तैयारियों की समीक्षा करने के लिए जेद्दा गए थे। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 11 जनवरी से 14 जनवरी तक सऊदी अरब का दौरा किया।

दोनों देशों के बीच हुई थी द्विपक्षीय बैठक

इस यात्रा में हज यात्रा की तैयारियों के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इसमें हज 2025 के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर, हज और उमराह सम्मेलन और प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र में भाग लेना और सऊदी गणमान्य व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें शामिल थीं।

इन तारीखों के बीच हो सकती है हज यात्रा

इस साल हज 2025 में 4 जून से 9 जून के बीच होने की संभावना है, जो कि चांद के दिखने पर निर्भर करेगा। इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने, ज़िल-हज्ज की शुरुआत का संकेत देता है।

भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद खुला पोर्टल

भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों को बुलाने के लिए हज (https://www.nusuk.sa/) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

इस साल भारत से 1.75 लाख लोग जा सकते हैं हज

सरकार की 2025 की हज नीति के अनुसार, भारत को आवंटित कुल हज यात्रियों के कोटे में से 70 प्रतिशत कोटा भारतीय हज समिति द्वारा प्रबंधित किया जाएगा, जबकि शेष कोटा निजी हज समूह आयोजकों को आवंटित किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी अरब द्वारा भारत को 2025 के लिए 1,75,025 (1.75 लाख) का कोटा आवंटित किया गया है।

read more :    वक्फ कानून को लेकर सीएम योगी ने कहा लातों के भूत बातों से नहीं मानते

वक्फ कानून को लेकर सीएम योगी ने कहा लातों के भूत बातों से नहीं मानते

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे, दंगाई डंडे से ही मानेंगे। जानकारी दे दें कि सीएम योगी ने हरदोई जिले में अमर सेनानी राजा नरपति सिंह स्मारक स्थल पर आयोजित विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण/शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहीं पर सीएम योगी ने लोगों को संबोधित किया।

बांग्लादेश ही जाना चाहिए – सीएम योगी

आगे योगी आदित्यानाथ ने कहा कि मैं धन्यवाद दूंगा वहां के न्यायालयों को, जिन्होंने केंद्र से कह कर वहां पर सेंट्रल फोर्स की तैनाती कराई और हिंदुओं की रक्षा करने को कहा और आज वहां केंद्रीय बल तैनात है। आपने वहां की पीड़ा सुनी होगी, लेकिन सभी लोग मौन हैं, कांग्रेस मौन हैं, समाजवादी पार्टी मौन है। टीएमसी मौन है, वे धमकी पर धमकी दिए जा रहे हैं। समर्थन कर रहे हैं बांग्लादेश के अंदर जो हुआ था, बड़ी बेशर्मी के साथ उसका समर्थन कर रहे हैं। अगर उन्हें बांग्लादेश अच्छा लगता है तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए क्यों भारत के धरती पर बोझ बने हुए हो।

लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं – सीएम योगी

संबोधन के दौरान ही सीएम योगी ने बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात कही। सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को, हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। आप देख रहे होंगे बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाईयों को शांतिदूत कहती हैं। अरे लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं। सेक्युलिरजिम के नाम पर इन लोगों ने दंगा करने वालों को छूट दे रखी है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

क्या हुआ पश्चिम बंगाल में ?

जानकारी दे दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों की ओर से हिंसक प्रदर्शन किया गया, इस दौरान उपद्रवियों ने एक घर में घुसकर पिता और बेटे की हत्या भी कर दी। वे पिता-पुत्र मूर्ति बनाने का कार्य करते थे। वहीं, एक और युवकी गोलीबारी में मौत हो गई थी। अब तक मुर्शिदाबाद की हिंसा में 3 लोगों की जान जा चुकी है और 15 पुलिसकर्मी घायल हैं। इस हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में बड़ी संख्या में केंद्रीय बल के जवान तैनात किए गए हैं।

इसके अलावा, दक्षिण 24 परगना में भी वक्फ कानून को लेकर तनाव की स्थिति देखने को मिली है। यहां भांगर इलाके में बंगाल पुलिस से इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं की झड़प हुई, इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस की एक गाड़ी व कई बाइकों को भी आग के हवाले कर दिया।

read more :    आखिरकार कैविएट याचिका क्या होती है? और कौन से दस्तावेज़ है जरूरी

आखिरकार कैविएट याचिका क्या होती है? और कौन से दस्तावेज़ है जरूरी

वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए 15 अप्रैल को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि यह अब तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर लिस्ट नहीं हुआ है।

केंद्र सरकार ने दाखिल की है कैविएट याचिका

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है, जिसका मतलब होता है-‘सुने जाने की गुहार।’ इस याचिका में आग्रह किया गया है कि वक़्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार की बात को भी सुना जाए। तो सबसे पहले जान लीजिए कि ये कैविएट याचिका क्या होती है और इसे दाखिल करने की प्रक्रिया क्या होती है। तो बता दें कि कैविएट याचिका के तहत कोई पक्ष हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए आवेदन करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश बिना उसको सुने न पारित किया जाए।

कैविएट का मतलब क्या है

“केवियट” एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “सावधान”। दरअसल, “केवियट” एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है ?

किसी भी व्यक्ति द्वारा कैविएट दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है। कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है ?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

कैविएट से जुड़ी अहम बातें

जहां कोई कैविएट दाखिल कर दी गई है, वहां ऐसी कैविएट दाखिल किए जाने की तारीख से 90 दिन की समाप्ति के बाद तब तक प्रभावी नहीं रहेगी जब तक कि आवेदन ऐसी अवधि की समाप्ति से पूर्व न किया गया हो। कैविएट का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा करना जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर है या दायर होने की संभावना है। ऐसे मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किसी पक्ष द्वारा दाखिल आवेदन पर आदेश पारित किया जा सकता है।

ऐसा व्यक्ति जो कैविएट दाखिल करता है, उस व्यक्ति का ऐसे आवेदन में आवश्यक पक्षकार होना जरूरी नहीं है, लेकिन वह ऐसे आवेदन पर पारित आदेश से प्रभावित हो सकता है। कैविएट न्यायालय के बोझ को कम करने में सहायता करता है और कार्यवाही की बहुलता को कम करता है तथा मुकदमेबाजी को समाप्त करता है।

किसी मुकदमे या कार्यवाही में कैविएट का आवेदन दायर किया जा सकता है। हालांकि, कुछ उच्च न्यायालयों ने माना है कि अपील (चाहे पहली या दूसरी) या निष्पादन कार्यवाही के दौरान कैविएट के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। कैविएट दाखिल करने की तारीख से 90 दिनों से अधिक समय-सीमा तक वैध नहीं होगी। 90 दिन की अवधि बीत जाने के बाद, कैविएट का नवीनीकरण किया जा सकता है।

कैविएट याचिका क्या है

बता दे कि कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।

कैविएट दायर करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

>> कैविएट दाखिल करने वाले व्यक्ति का पहचान प्रमाण-पत्र जेसे की आधार-कार्ड

>> वकालत-नामा और उपस्थिति का ज्ञापन

>> कैविएट नोटिस की पंजीकृत डाक की रसीद

>> शपथ -पत्र

>> विवादित या मुल आदेश

>> कैविएट दाखिल करने के लिए इंडेक्स फॉर्म

कैविएट याचिका कैसे दायर करें

>> कैविएटर को शपथ-पत्र और याचिका पर हस्ताक्षर करना होगा।

>> शपथ-पत्र को अधिकृत शपथ आयुक्त द्वारा सत्यापित कराना चाहिए।

>> शपथ-पत्र और याचिका के साथ हस्ताक्षरित वकालत-नामा भी लगाना पड़ता है जो न्यायालय के समक्ष वकील को उसका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान करता है।

>> कैविएट याचिका के साथ विवादित या मूल आदेश (वह आदेश जिसके खिलाफ अपील या न्यायिक कार्यवाही की गई हो या करने की संभावना हो) संलग्न किया जाएगा।

>> वही कैविएट के नोटिस की तामील (पंजीकृत डाक की रसीद) न्यायालय में पेश किया जाना चाहिए, जिससे पता चले कि कैविएटर ने संबंधित पक्षों को उनकी कैविएट के बारे में सूचित कर दिया है।

>> कैविएट याचिका, शपथ-पत्र और सभी दस्तावेज निर्धारित प्रारूप में हों और न्यायालय के नियमों के अनुसार होने चाहिए।

read more :    ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप, समंदर में माल छोड़कर भाग रहे एक्सपोर्टर्स

ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप, समंदर में माल छोड़कर भाग रहे एक्सपोर्टर्स

पहले 34, फिर 50 और 20 पर्सेंट पहले से ही टैरिफ था, कुल मिलाकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ ठोककर एक प्रकार से ड्रैगन के खिलाफ आर्थिक युद्ध का ऐलान कर दिया। अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुई इस इकोनॉमिक वॉर ने चाइनीज ने एक्‍सपोर्टर्स में दहशत फैला दी है। चाइनीज एक्‍सपोर्टर्स टैरिफ के खौफ से इतने डरे हैं कि बीच समंदर अपना माल छोड़कर भाग रहे हैं।

टैरिफ से डर का माहौल है

आपको बता दे कि फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया से सभी शिपिंग प्लान रोक दिए हैं। हर फैक्ट्री ऑर्डर रद्द हो गया है। जो माल अभी तक लोड नहीं हुआ। उसे स्क्रैप किया जा रहा है और जो समंदर में है, उसकी नई कीमत लगाई जा रही है। एक क्लाइंट ने तो कंपनी को बताया कि वह समंदर में पहले से भेजे गए माल को छोड़ रहा है और शिपिंग कंपनी को दे रहा है। क्योंकि “टैरिफ लगने के बाद इसे कोई नहीं खरीदेगा।

चीन का एक्सपोर्ट प्रभावित

साउथ चाइना पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में लिस्टेड एक एक्सपोर्ट कंपनी के कर्मचारी ने कहा कि ट्रंप सरकार के नए टैरिफ के बाद उनकी अमेरिका को होने वाली डेली शिपमेंट 40-50 कंटेनर से गिरकर सिर्फ 3-6 कंटेनर रह गई है। अमेरिका ने चीन के सामान पर 104 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 115 फीसदी तक पहुंच गया है। इन नए टैरिफ ने बीजिंग को गुस्सा दिलाया है और ग्लोबल मार्केट्स में हड़कंप मचा दिया है। डर है कि इससे ट्रेड वॉर छिड़ सकता है।

अमेरिकी खरीदार भी हट रहे पीछे

चीन दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और उसने पिछले साल अमेरिका को 439 अरब डॉलर का सामान भेजा। जबकि अमेरिका ने चीन को सिर्फ 144 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया। लेकिन अब अमेरिकी खरीदार भी महंगाई के डर से पीछे हट रहे हैं। कुछ मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि रोजाना 300 कंटेनर के ऑर्डर कैंसल हो रहे हैं।

चीन में नौकरियां जाने का डर

नए टैरिफ और अनिश्चित बाजार के चलते एक्सपोर्टर्स अपने ऑपरेशन्स कम कर रहे हैं। कई फैक्ट्रियों में काम के घंटे घटाए जा रहे हैं और कर्मचारियों को कम शिफ्ट में काम करने को कहा जा रहा है। जिस कंपनी का कर्मचारी बात कर रहा था, उसके अमेरिकी ब्रांच ने फ्रंटलाइन वर्कर्स की छंटनी शुरू कर दी है। क्योंकि डिमांड बुरी तरह प्रभावित हुई है।

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आप मुझे मार दें लेकिन वक्फ कानून बंगाल में लागू नहीं होगा – सीएम ममता

पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुस्लिम समुदाय को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। जैन समुदाय द्वारा आयोजित विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर बोलते हुए सीएम ममता बनर्जी ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए एकता की वकालत की। इस बात पर जोर दिया कि बंगाल में वक्फ बिल बंगाल में लागू नहीं होने दूंगी। वह धार्मिक आधार पर बंगाल का विभाजन नहीं होने देंगी।

आप मुझे गोली मार दें – सीएम ममता बनर्जी 

तृणमूल प्रमुख सीएम ममता बनर्जी ने कहा कुछ लोग पूछते हैं कि मैं सभी धर्मों के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैंने कहा कि मैं अपने पूरे जीवनकाल में वहां जाती रहूंगी। भले ही आप मुझे गोली मार दें, आप मुझे एकता से अलग नहीं कर पाएंगे। बंगाल में विभाजन नहीं होगा, जियो और जीने दो। सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “अगर किसी को मेरी संपत्ति लेने का अधिकार नहीं है, तो मैं कैसे कह सकती हूं कि किसी और की संपत्ति ली जा सकती है ? हमें 30 फीसदी (मुसलमानों) को साथ लेकर चलना होगा। याद रखिए, दीदी आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी।

मुर्शिदाबाद में हुई थी हिंसा

बता दें कि बीते मंगलवार को बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने पुलिस के साथ झड़प की। जिसमें पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई और पथराव किया गया। यह कानून मुसलमानों द्वारा दान की गई संपत्तियों पर केंद्र की निगरानी का विस्तार करता है। जिसे वक्फ के रूप में जाना जाता है। बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 30 फीसदी है और वे तृणमूल कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहे हैं।

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नए कानून से वक्फ की पवित्र भावना की होगी रक्षा – पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वक्फ बिल पर नया कानून बनने के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच के दिए बयान में कहा कि इस नए कानून से वक्फ की पवित्र भावना की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि इससे गरीब मुसलमानों को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राइजिंग इंजिया समिट 2025 के मंच से अपनी पहली प्रतिक्रिया दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए वक्फ कानून को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि यह कानून गरीब पसमांदा मुसलमानों, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इससे वक्फ की पवित्र भावना की रक्षा भी होगी।

संसदीय इतिहास की दूसरी सबसे लंबी बहस वक्फ पर हुई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वक्फ विधेयक पर बहस देश के संसदीय इतिहास में दूसरी सबसे लंबी बहस है। उन्होंने कहा, “दोनों सदनों में विधेयक पर 16 घंटे चर्चा हुई और साथ ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की 38 बैठकें हुईं। कुल 128 घंटे विचार-विमर्श हुआ। इसके अलावा देश भर के नागरिकों से लगभग 1 करोड़ ऑनलाइन सुझाव मिले। यह इस बात को रेखांकित करता है कि लोकतंत्र संसद की दीवारों तक सीमित नहीं है। इसे सक्रिय जनभागीदारी के माध्यम से समृद्ध और मजबूत किया जा रहा है।

तुष्टिकरण की राजनीति का खामियाजा भुगतना पड़ा – पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश अब तक तुष्टिकरण की राजनीति से चलता आया और उसका हमें खामियाजा भुगतना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत कई देशों के साथ आजाद हुआ लेकिन किसकी स्वतंत्रता की शर्त विभाजन थी ? भारत के साथ ही ऐसा क्यों हुआ ? इसलिए कि उस समय राष्ट्र हित से ऊपर सत्ता का मोह हो गया। विभाजन सभी मुस्लिमों का काम नहीं था बल्कि कांग्रेस समर्थित कट्टरपंथियों का काम था।

2013 के संशोधन पर उठाए सवाल – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2013 में वक्फ बोर्ड में किया गया संशोधन भी कंट्टरपंथियों और भूमाफियाओं को खुश करने का कानून था। इसका नतीजा ये हुआ कि भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हो गए। बता दें कि हाल ही में संसद के दोनों सदनों से वक्फ बिल को बहुमत के साथ पारित कराया गया है। राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होते ही यह नया कानून अस्तित्व में आ गया है।

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संभल हिंसाः जिया उर रहमान बर्क से एसआईटी ने 3 घंटे तक पूछे तीखे सवाल

संभल दंगा मामले में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने संभल से सांसद ज़िया उर रहमान बर्क से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान एसआईटी ने दंगे से एक दिन पहले और घटना वाले दिन की गतिविधियों को लेकर सांसद से तीखे सवाल किए। पूछताछ की शुरुआत 19 नवंबर को जामा मस्जिद में हुए पहले सर्वे से जुड़ी घटनाओं से हुई।

वही पूरी पूछताछ में सांसद कई सवालों पर “मुझे याद नहीं” कहते रहे। जैसे – 24 नवंबर की सुबह 7 से 10 बजे के बीच किससे बातचीत की थी। इस पर उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी ज़िया उर रहमान बर्क के बयानों की अब तक की पड़ताल और अभियुक्तों के बयान से तुलना कर रही है। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।

सांसद जिया उर रहमान बर्क से पूछे गए तीखे सवाल

एसआईटी ने पूछा कि जब सर्वे शुरू हुआ, तो वे भीड़ के साथ क्यों पहुंचे और किसके कहने पर गए थे। जवाब में ज़िया उर रहमान ने कहा कि उन्हें सर्वे की जानकारी टीवी चैनलों से मिली थी और वह अपने पीए के साथ मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने दावा किया कि भीड़ पहले से मौजूद थी और उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। एसआईटी ने यह भी सवाल किया कि उस दिन उन्होंने भाषण देकर भीड़ को उकसाया, जिस पर सांसद ने कहा कि उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया बल्कि केवल मीडिया से बातचीत की थी।

एसआईटी ने सांसद से 23 नवंबर की रात 10:01 बजे ज़फ़र अली से हुई बातचीत के बारे में पूछा। सांसद ने पहले कहा कि उन्हें कुछ याद नहीं है, लेकिन जब व्हाट्सएप कॉल के स्क्रीनशॉट दिखाए गए तो उन्होंने कहा कि ज़फ़र अली ने उन्हें बताया था कि सुबह सर्वे होने वाला है, जिस पर उन्होंने कहा था कि वह बाहर हैं और सर्वे शांतिपूर्ण तरीके से होने दिया जाए।

सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने दिए जवाब

एसआईटी ने पूछा कि 10:01 बजे की बातचीत में क्या हुआ था, तो सांसद ने बताया कि ज़फ़र अली ने उनकी लोकेशन पूछी थी और उन्होंने कहा था कि वो बाहर हैं और बाद में कॉल करेंगे हालांकि, पुलिस को दिए बयान में ज़फ़र अली ने दावा किया है कि सांसद ने उन्हें भीड़ जुटाने और सर्वे को रोकने को कहा था। इस पर सांसद ने इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कोई भीड़ नहीं इकट्ठा की और न ही किसी को ऐसा करने को कहा।

एसआईटी ने पूछा कि 24 नवंबर को वे कहां थे। सांसद ने जवाब में कहा कि वे बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। लेकिन पुलिस हिरासत में मौजूद कई अभियुक्तों ने बयान दिया है कि सांसद उसी दिन संभल में थे और फोन पर उनसे संपर्क में थे। इस पर ज़िया उर रहमान ने कहा, “मैं सांसद हूं, कोई भी कॉल करता है तो उठाता हूं।” एसआईटी ने पूछा कि ज़फ़र अली से उनकी पहचान कैसे है। जवाब में सांसद ने कहा कि ज़फ़र अली शाही जामा मस्जिद के सदर हैं और उनका परिवार सामाजिक गतिविधियों से जुड़ा है, इसलिए वे आते-जाते रहते हैं।

आरोपियों से संबंधों को लेकर भी पूछे गए सवाल

सुहैल इकबाल से संबंधों पर उन्होंने कहा कि वह विधायक के बेटे हैं, उनसे कोई व्यक्तिगत जुड़ाव नहीं है। एसआईटी ने यह भी पूछा कि जब सुहैल इकबाल ने भीड़ को संबोधित करते हुए उनका नाम लिया और कहा कि “ज़िया उर रहमान बर्क हमारे साथ हैं”, तो वह बयान किस आधार पर दिया गया। इस पर सांसद ने साफ इनकार किया कि उन्होंने सुहैल से ऐसा कुछ नहीं कहा।

एसआईटी ने सवाल किया कि अगर वे शांति की अपील कर रहे थे तो ज़फ़र अली को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों को भड़काने के लिए क्यों कहा। इस पर सांसद ने कहा कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए कोई निर्देश नहीं दिया था। ज़फ़र अली ने खुद ही वीडियो रिकॉर्ड कर उन्हें भेजी थी, जो मीडिया द्वारा शूट की गई थी।

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उद्धव ठाकरे ने दिया कांग्रेस को झटका, पूरे महाराष्ट्र का करेंगे दौरा

महाराष्ट्र की राजनीति में लगातार हलचल जारी है। अब शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, रत्नागिरी जिले के कांग्रेस अध्यक्ष सहदेव पेटकर आज शिवसेना यूबीटी में शामिल हो गए हैं। पेटकर ने उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पर उनकी मौजूदगी में शिवसेना यूबीटी को ज्वाइन किया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि सहदेव पेटकर मूल रूप से शिवसैनिक रहे हैं। कुछ स्थानीय मतभेद के चलते वह कांग्रेस में चले गए थे।

शिवसेना एक है और एक ही रहेगी – उद्धव ठाकरे

इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमें एक बार फिर कोंकण प्रांत जीतना है। कौन किस तरह से चुनाव जीता इसकी मनोरंजक कहानियां हर कोई सुना रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि शिवसेना एक है और एक ही रहेगी। उद्धव ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि जल्द ही वह गर्मियों की छुट्टियां बीत जाने के बाद कोंकण प्रांत सहित पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे।

लोगों को हमारी शिवसेना की जरूरत – उद्धव

उद्धव ठाकरे ने कहा- “मैं सिर्फ कोंकण में कदम ही नहीं रखुंगा बल्कि अब कोंकण जीतना है, देखते है हमें कौन रोकता है। कोंकण में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हमारे लिए अनपेक्षित था। अब उस जीत की मनोरंजक कहानियां भी सुनाई गयी लोगों को। आप एक बार मूर्ख बना सकते हैं। लेकिन जिस तरह से आप लोग आज यहां आए हैं, इस तरह से किसान हो, अलग-अलग क्षेत्र के लोग हो, मुझे बुला रहे हैं और कहते हैं कि हमें फसाया गया है। आप सभी लोग अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। यही वक्त है कि लोगों को हमारी शिवसेना की जरूरत है और लोगों को पता है कि दिया हुआ वचन पूरा करने वाली सिर्फ एक ही पार्टी है।

निजी स्वार्थ के लिए छोड़कर गए – उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा- “सभी लोग जो छोड़ कर गए वे सभी निजी स्वार्थ के लिए छोड़कर गए। जिन लोगों के बलबूते आप बड़े बने हैं वे सभी साधारण लोग आज मेरे साथ हैं। इसीलिए मुझे अब फिक्र करने की जरूरत नहीं है। एक दिन के शिविर के लिए मैं 16 अप्रैल को नासिक जा रहा हूं। कोंकण के पदाधिकारी से मेरा कहना है कि जल्द ही मैं कोकण का दौरा करूंगा लोगों से मिलूंगा।

लेकिन फिलहाल गर्मी की छुट्टियों में लोगों को भी जरा इंजॉय करने दीजिए। हर वक्त सिर्फ किरकिर करते रहना ही जरूरी नहीं होता। कोंकण के लोग मुंबई आएंगे, मुंबई के लोग गांव जाएंगे। आखिर लोगों की जिंदगी में भी सुख समाधान के दिन होने चाहिए। लेकिन एक बार जब छुट्टियां खत्म हो जाएगी। तब मैं कोकण से लेकर आप लोग जहां बुलाएंगे वहां पर महाराष्ट्र का दौरा करूंगा।

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अमरूद की तासीर कैसी होती है, इसको खाने से शरीर पर क्या असर होता है ?

क्या आपको भी अमरूद खाना पसंद है? अगर हां, तो आपको इस फल की तासीर के बारे में भी जान लेना चाहिए। इसके अलावा आपको अमरूद का सेवन करने के कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में भी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस फल में पाए जाने वाले तमाम पोषक तत्व सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर भगाने में कारगर साबित हो सकते हैं।

मजबूत बनाए दिल की सेहत

वही अमरूद में पाए जाने वाले तत्व आपके दिल की सेहत को मजबूत बनाकर दिल से जुड़ी गंभीर और जानलेवा बीमारियों के खतरे को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। एक दिन में एक से दो अमरूद को अपने डाइट प्लान में शामिल किया जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमरूद में फाइबर की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है यानी वजन घटाने के लिए भी अमरूद का सेवन किया जा सकता है।

अमरूद ठंडा होता है या गर्म ?

अमरूद की तासीर ठंडी होती है। यही वजह है कि गर्मियों के मौसम में इस फल का सेवन करना आपकी सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं, अगर आपको सर्दी-जुकाम हो रहा है, तो आपको ठंडी तासीर वाले इस फल का सेवन करने से बचना चाहिए।

सेहत के लिए वरदान अमरूद

अमरूद को गट हेल्थ के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। अगर आप पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करना चाहते हैं, तो आपको हर रोज अमरूद का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा अमरूद आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी कारगर साबित हो सकता है। हालांकि, बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए सही मात्रा में और सही तरीके से इस फल का सेवन करना बेहद जरूरी है।

( ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें )

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ईद की छुट्टी को हरियाणा सरकार ने गजेटेड हॉलीडे लिस्ट से हटाया

हरियाणा सरकार ने ईद के गजेटेड छुट्टी को चेंज करके रिस्ट्रिक्टेड हॉलीडे कर दिया है। फाइनेंशियल ईयर की क्लोजिंग का हवाला देते हुए ये बदलाव किया गया है। हालांकि हरियाणा सरकार ने साफ किया है कि मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग इस दिन अवकाश ले सकते हैं। हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि दिनांक 26.12.2024 को जारी सरकारी अधिसूचना में आंशिक संशोधन करते हुए।

यह अधिसूचित किया जाता है कि ईद-उल-फितर, 31 मार्च 2025 को राजपत्रित अवकाश के स्थान पर प्रतिबंधित अवकाश (आरएच) के रूप में किया जाता है। क्योंकि 29 और 30 मार्च 2025 सप्ताहांत अवकाश के दिन हैं और 31 मार्च वित्तीय वर्ष 2024-2025 का अंतिम दिन है। यह पत्र सभी विभागों को जारी किया गया है।

हरियाणा सरकार ने गजेटेड हॉलीडे लिस्ट से हटाया
हरियाणा सरकार ने गजेटेड हॉलीडे लिस्ट से हटाया

ईद के दिन खुले रहेंगे सरकारी कार्यालय

इस आदेश के बाद अब सरकारी के सभी सरकारी दफ्तर ईद के दिन खुले रहेंगे। हालांकि कुछ लोगों को इस दौरान छुट्टी लेने की इजाजत होती है। हरियाणा में बेशक ईद को गजेटेड छुट्टी की लिस्ट से हटा दिया गया है लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन छुट्टी ले सकते हैं।

रिस्ट्रिक्टेड हॉलीडे क्या होता है

रिस्ट्रिक्टेड हॉलीडे या प्रतिबंधित अवकाश एक वैकल्पिक अवकाश (आरएच) है जिसे कर्मचारी चुन सकते हैं कि वे लेना चाहते हैं या नहीं। यह एक प्रकार का अवकाश है जिसके लिए कर्मचारियों के पास यह चुनने का विकल्प होता है कि वे छुट्टी लेना चाहते हैं या नहीं।

बता दें कि ईद-उल-फितर पूरे भारत में 31 मार्च को मनाई जाएगी, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 का अंतिम दिन भी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस दिन अवकाश रद्द कर दिया है। क्योंकि यह वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन है और वर्ष के लिए वित्तीय बदलाव करने की समय सीमा भी है।

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Milk Price Hike: एक झटके में सीधे ₹4 महंगा हुआ दूध, चेक करें नए रेट

आम लोगों के लिए महंगाई से जुड़ी एक बुरी खबर आ रही है। जब लोगों को सब्जियों की ऊंची कीमत से थोड़ी राहत मिल रही थी तो डेयरी कंपनी ने दूध की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। दूध की कीमतों में की गई बढ़ोतरी कोई 1-2 रुपये की नहीं बल्कि सीधे 4 रुपये की है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने अपने ब्रैंड नंदिनी के नाम से बेचे जाने वाले दूध की कीमतों में 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा की है।

किस रेट पर मिलेगा कौन-सा दूध

इस बढ़ोतरी के बाद कर्नाटक टोन्ड मिल्क की कीमत 46 रुपये प्रति लीटर हो गई है जो पहले 42 रुपये थी। होमोजीनाइज्ड दूध की कीमत अब बढ़ाकर 47 रुपये कर दी गई है। जो पहले 43 रुपये में बिक रहा था। गाय के दूध की कीमतों में भी 4 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। जिसके बाद इसका रेट 50 रुपये हो गया है, जो पहले 46 रुपये था। शुभम दूध का दाम भी 48 रुपये से बढ़कर अब 52 रुपये कर दिया गया है। इतना ही नहीं, दूध की कीमतों में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ कंपनी ने 50 रुपये वाले दही की कीमत भी बढ़ाकर 54 रुपये कर दी है।

अन्य डेयरी कंपनियां भी बढ़ा सकती हैं दूध के दाम

आपको बताते चलें कि केएमएफ रोजाना 1 करोड़ लीटर दूध इकट्ठा करता है, जिसमें से स्थानीय खपत 60 लाख लीटर है। इससे नए बाजारों में विस्तार के लिए 40 लाख लीटर का एक्स्ट्रा दूध बच जाता है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) पूरे कर्नाटक के साथ-साथ कई अन्य राज्यों में भी दूध और दूध से बनने वाले अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स की बिक्री करता है।

नंदिनी दूध कर्नाटक के अलावा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर में भी उपलब्ध है। नंदिनी द्वारा दूध की कीमत बढ़ाए जाने के बाद देश की अन्य दिग्गज डेयरी कंपनियां जैसे- अमूल, मदर डेयरी, सुधा आदि भी दूध के दाम में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती हैं।

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सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना ने किया हमला

राणा सांगा को गद्दार बताने वाले सपा सांसद रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित घर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया है। करणी सेना के लोगों ने सांसद के घर पर पथराव किया है और बेरिकेडिंग तोड़ दी है। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने गाड़ियों में भी जमकर तोड़फोड़ की है। वीडियों में लोग कारों के शीशे तोड़ते हुए दिख रहे हैं। करणी सेना के लोगों ने घर में रखी कुर्सियों को भी तोड़ा है।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत भी हुई

जिस समय ये हंगामा हुआ उस वक्त मौके पर पुलिस भी मौजूद थी। पुलिस और करणी सेना के प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत भी हुई। लेकिन पुलिस उन्हें काबू में नहीं कर पाई। करणी सेना के कार्यकर्ता ज्यादा संख्या में थे। इसलिए उन्होंने जमकर तोड़फोड़ की और उत्पात मचाया। इस घटना के सामने आने के बाद देश की सियासत में गरमी बढ़ सकती है।

रामजी लाल सुमन ने क्या दिया था विवादित बयान ?

समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन ने मेवाड़ के शासक राणा सांगा पर बीते 21 मार्च को विवादित टिप्पणी की थी। रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा था। इसके बाद से ही रामजी लाल सुमन का विरोध हो रहा है। राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई नेताओं और संगठनों ने रामजी लाल सुमन के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

वही मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी करणी सेना के सदस्यों ने सपा के प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इसके साथ करणी सेना ने रामजी लाल सुमन के खिलाफ इनाम का भी ऐलान किया था। करणी सेना ने घोषणा की थी कि सांसद रामजी लाल सुमन के मुंह पर कालिख पोतने और उन्हें जूते मारने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।

रामजी लाल सुमन सफाई में कही थी ये बात

राज्यसभा में दिए गए अपने बयान पर सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा था, ‘बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर भारत आया था। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। हर बार कहा जाता है कि भारत के मुसलमानों के डीएनए में बाबर है। भारत के मुसलमान मुहम्मद साहब (पैगंबर मुहम्मद) को अपना आदर्श मानते हैं और सूफी परंपरा का पालन करते हैं। मेरा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।

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सौरभ हत्याकांड: आरोपियों से पूछताछ में हो रहे चौंकाने वाले खुलासे

मेरठ के सौरभ हत्याकांड में अब भी कई बड़े खुलासे हुए हैं, जो हैरान करने वाले हैं। सौरभ की हत्या के बाद उसकी लाश को ठिकाने लगाने और उसकी पहचान ना हो। इसके लिए क्या-क्या तरकीब अपनाई गई। वो सारे राज खुलकर सामने आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी मुस्कान रस्तोगी और उसका प्रेमी साहिल शुक्ला ने पूछताछ में बताया कि इन दोनों ने सौरभ का गला रेतकर सिर को धड़ से अलग इसलिए किया था। ताकि सिर अलग हो जाएगा तो बॉडी की पहचान नहीं हो पाएगी। साथ ही इन दोनों ने सौरभ के हाथों की कलाई इसलिए काटी थी। ताकि पहचान करने के लिए अगर पुलिस कोशिश करे तो फिंगर प्रिंट से पहचान न कर पाए, इसलिए सिर और कलाई को बॉडी से अलग किया।

सूटकेस में भी खून के निशान मिले 

वहीं, मुस्कान और साहिल ने जिस घर में सौरभ की हत्या की थी, वहां जांच में कई नए खुलासे हुए हैं। मेरठ पुलिस ने बताया कि फॉरेंसिक टीम को चादर और तकिए पर खून के निशान मिले हैं। इसके अलावा बाथरूम की टाइल्स पर और टैब से खून के निशान मिले हैं। मेरठ पुलिस मुताबिक, रूम से एक सूटकेस मिला है, जिसमें बॉडी को डालने की इन्होंने कोशिश की थी, लेकिन बॉडी उसमें आ नहीं पाई और इस सूटकेस में भी खून के निशान मिले हैं।

800 रुपये में खरीदे दो चाकू

इससे पहले मेरठ पुलिस ने खुलासा किया था कि 22 फरवरी को मुस्कान ने शारदा रोड मार्केट से 800 रुपये में दो चाकू खरीदे थे। इस चाकू से मुस्कान और साहिल ने सौरभ की हत्या के लिए करीब 8 दिनों तक रिहर्सल किया था। पुलिस ने ये भी बताया कि मुस्कान अपने हाथ से चाकू नहीं चला पा रही थी, इसलिए हत्या के लिए मुस्कान ने एक उस्तरा भी खरीद कर लाई थी। सौरभ के सीने पर चाकू से तीन वार करने के बाद मुस्कान ने उस्तरे से उसका गला काटा। इसके बाद चाकू से वार कर साहिल ने शरीर को सिर से अलग कर दिया था।

सौरभ को पता चल गई थी सच्चाई

पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल उस्तरे को भी बरामद कर लिया। फोरेंसिक टीम को उस्तरे पर सौरभ के खून निशान भी मिले हैं। जांच के दौरान ये पता चला है कि सौरभ को मुस्कान और साहिल के रिश्तों के बारे में पहले ही पता चल गया था। सौरभ का लंदन के वीजा भी एक्सपायर हो रहा था, लिहाजा वो दोबारा वीजा बनवाने के लिए यहां आया और इस बार वो अपनी बेटी को भी अपने साथ ले जाना चाहता था। उसने बेटी के पासपोर्ट के लिए भी ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया था। वहीं, ये भी पता चला कि सौरभ मुस्कान को भी लंदन ले जाना चाहता था, लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया।

सौरभ के शव के टुकड़े को ड्रम में सीमेंट डालकर किया पैक

पूछताछ में पता लगा है कि मुस्कान को पहले ड्रम में शव के ऊपर मिट्टी डालकर पौधा लगाने का विचार आया था, लेकिन बदबू आने के डर से उसने सौरभ के शव को ड्रम में सीमेंट डालकर पैक कर दिया था। सौरभ के कत्ल के बाद मुस्कान और साहिल कसोल जाते हुए और वहां रहते हुए रोजाना दो बोतल शराब खरीदते थे। वहीं, सौरभ हर महीने 10 हजार रुपये खर्चे के लिए मुस्कान को भेजा करता था। इस बात से भी मुस्कान बेहद नाराज थी, क्योंकि ये पैसे घर के खर्चो में खत्म हो जाया करते थे और नशे के लिए उसको कहीं और से पैसे अरेंज करने पड़ते थे।

मेरठ हत्याकांड का मामला

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में बीते दिनों हत्या के एक खौफनाक साजिश का खुलासा हुआ। सौरभ नाम के शख्स की हत्या उसकी पत्नी और पत्नी के प्रेमी ने मिलकर कर दी। कत्ल के बाद सौरभ के शव को टुकड़े-टुकड़े कर ड्रम में डाल दिया। फिर ड्रम में सीमेंट का घोल डालकर उसे सील कर दिया। पुलिस ने हत्या के इस मामले में सौरभ की पत्नी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल को गिरफ्तार किया है, जो जेल में है।

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स्कैम करने वालों की अब खैर नहीं ! ट्राई ने लिया ये फैसला……

ट्राई (TRAI) ने स्कैमर्स से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है। दूरसंचार नियामक और दूरसंचार विभाग की तरफ से इसके लिए लगातार नए कदम उठाए जा रहे हैं। ट्राई ने देश में बढ़ती स्पैम कॉल्स पर लगाम लगाने के लिए टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशन्स कंज्यूमर प्रिफरेंस रेगुलेशन (TCCCPR 2018) में संशोधन करते हुए अनचाहे कमर्शियल कम्युनिकेशन (UCC) से यूजर्स को बचाने के लिए सख्त नियम लागू करने का फैसला कर लिया है। 12 फरवरी 2025 को इन नियमों को घोषित किया था। जिसकी पुष्टि संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने लोकसभा में की है।

कब लागू होंगे नए नियम ?

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि ये संशोधित नियम 30 दिन के अंदर आधिकारिक राजपत्र यानी गैजेट में पब्लिश किया जाएगा। हालांकि इसके कुछ प्रावधानों को 60 दिनों के बाद लागू किए जाएंगे। नए संशोधित नियम लागू करने से पहले ही ट्राई (TRAI) ने पिछले साल 13 अगस्त 2024 को टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे अवैध टेलीमार्केटर्स के सभी संसाधनों को डिसकनेक्ट करने का काम करें। इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिला है।

ट्राई की सख्ती का असर

अगस्त 2024 से लेकर जनवरी 2025 के बीच में स्पैम कॉल्स की शिकायतों में भारी कमी देखने को मिली है। ट्राई की सख्ती की वजह से अगस्त में 1,84,419 स्पैम कॉल्स और मैसेज की शिकायतें मिली थीं। जो जनवरी में घटकर 1,34,821 रह गई। इसके अलावा ट्राई ने 1,150 से ज्यादा कंपनियों और व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट करने का काम किया है। वही 18.8 लाख से ज्यादा टेलीकॉम संसाधनों को डिसकनेक्ट किया गया है।

क्या है ट्राई का नया एंटी स्कैम नियम ?

>>   ट्राई के द्वारा संशोधित किए गए नियम में लोगों को शिकायत दर्ज करने के लिए अब पहले के मुकाबले ज्यादा समय मिलेगा। यूजर्स अब 7 दिनों तक स्पैम कॉल्स और मैसेज की शिकायत कर सकते हैं, जिसके लिए पहले केवल 3 दिनों का समय मिलता था।

>>   इसके अलावा स्पैमर्स पर तेजी से कार्रवाई करने का फैसला किया है। पहले टेलीमार्केटर्स पर कार्रवाई करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 30 दिन का समय मिलता था, जिसे अब सख्त करते हुए 5 दिन कर दिया गया है।

>>  ट्राई ने नियमों को और सख्त बनाते हुए शिकायत प्रणाली में भी सख्ती कर दी है। पहले 7 दिन में अगर 10 शिकायतें मिलती थीं, तो ही कार्रवाई की जाती थी। अब 10 दिनों में केवल 5 शिकायतें मिलने पर ही कार्रवाई की जाएगी। इस सख्ती की वजह से स्पैम कॉल या मैसेज भेजने वालों पर जल्दी शिकंजा कसा जा सकेगा।

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एटीएम से पैसा निकालने के लिए अब देना होगा ज्यादा शुल्क…..

एटीएम से पैसा निकासी के लिए आपको 1 मई से ज्यादा शुल्क देना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम इंटरचेंज फीस में संशोधन को मंजूरी दे दी है। जो अब 1 मई 2025 से लागू होगी। इस फैसले से बैंक ग्राहकों के लिए वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों तरह के लेन-देन प्रभावित होंगे। आरबीआई ने वित्तीय लेन-देन के लिए शुल्क में 2 रुपये की वृद्धि को मंजूरी दी है, जो 17 रुपये से बढ़कर 19 रुपये हो गया है। बैलेंस पूछताछ जैसे अन्य गैर-वित्तीय लेन-देन में भी 1 रुपये की वृद्धि होगी।

जिससे 6 के बजाय 7 रुपये हो जाएंगे।

5 बार मुफ्त में पैसा निकालने की अनुमति

अब अलग-अलग बैंकों के एटीएम पर ग्राहकों को हर महीने सीमित संख्या में मुफ़्त लेनदेन की अनुमति होती है। मेट्रो क्षेत्रों में, ग्राहकों को 5 लेनदेन दिए जाते हैं जबकि गैर-मेट्रो क्षेत्रों में 3 बार यह सुविधा मिलती है। अगर मुफ्त लेनदेन की संख्या पार हो जाती है। तो ग्राहकों को जो अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है।

उसे पहले से ही उच्च इंटरचेंज शुल्क के कारण बढ़ाया जा सकता है।

इंटरचेंज शुल्क क्या होता है ?

इंटरचेंज शुल्क वह शुल्क है जो एक बैंक दूसरे बैंक को तब देता है जब ग्राहक अपने होम बैंक से जुड़े हुए एटीएम का उपयोग नहीं करता है। इसमें अलग-अलग बैंकों के लिए विशिष्ट कार्डधारक को सेवा प्रदान करने के लिए एटीएम रखने वाले बैंक से जुड़ी लागत शामिल है। इन एटीएम शुल्क परिवर्तनों को अंतिम बार जून 2021 में अपडेट किया गया था।

ज्यादा शुल्क देने से बचें

>>    निःशुल्क लेनदेन सीमा का लाभ उठाने के लिए अपने बैंक के एटीएम से लेनदेन करें।

>>    निःशुल्क लेनदेन सीमा के भीतर रहने के लिए अपने एटीएम निकासी पर नजर रखें।

>>    नकद निकासी पर निर्भरता कम करने के लिए डिजिटल बैंकिंग सेवाओं और ऑनलाइन भुगतान विधियों का उपयोग करें।

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सांसदों की सैलरी में 24% का बंपर इजाफा, पूर्व सांसदों को मिलेगी मोटी पेंशन

देश के तमाम सांसदों की सैलरी में जबरदस्त बढ़ोतरी होने जा रही है। इतना ही नहीं सांसदों के दैनिक भत्ते में भी इजाफा होने जा रहा है। इसके साथ ही पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन में भी बढ़ोतरी होने जा रही है। सांसदों को फिलहाल हर महीने 1 लाख रुपये की सैलरी मिलती है। जिसे 24 प्रतिशत बढ़ाकर 1.24 लाख रुपये किया जा रहा है। सांसदों को मिलने वाला दैनिक भत्ता भी 2000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये किया जा रहा है। इसके साथ ही पूर्व संसदों की मासिक पेंशन को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 31,000 रुपये किया जा रहा है।

सांसदों को हर महीने मिलेंगे कुल 2.54 लाख रुपये

संसदीय कार्य मंत्रालय ने कहा कि सांसदों की सैलरी, दैनिक भत्ते और पूर्व सांसदों की पेंशन में होने वाली ये बढ़ोतरी 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगी। ये बदलाव संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 द्वारा मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर किया गया है और ये इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में उल्लिखित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index) पर आधारित है। सैलरी, निर्वाचन क्षेत्र और ऑफिस के भत्ते को मिलाकर, मौजूदा सांसदों को अब हर महीने कुल 2,54,000 रुपये की सैलरी मिलेगी। बताते चलें कि सदन के चलने वाले सत्र के दौरान सांसदों को दैनिक भत्ता मिलता है।

हर 5 साल में बढ़ती है सांसदों की सैलरी

बताते चलें कि पिछली बार साल 2018 में सांसदों की सैलरी में बढ़ोतरी की गई थी। उस समय सांसदों की सैलरी बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर दिया गया था। साल 2018 में, पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने महंगाई के अनुसार हर 5 साल में सांसदों की सैलरी में ऑटोमैटिक रिवीजन के लिए एक कानून का प्रस्ताव रखा था। भारत में सांसदों को सैलरी के साथ-साथ कई तरह के भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं। सैलरी के अलावा, सांसदों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में हर महीने 70,000 रुपये और ऑफिस भत्ते के लिए हर महीने 60,000 रुपये मिलते हैं।

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सौरभ हत्याकांड : शातिर मुस्कान के स्नैपचैट से हुआ बड़ा खुलासा

मेरठ सौरभ हत्याकांड के आरोपी मुस्कान रस्तोगी और उसका प्रेमी साहिल शुक्ला फिलहाल मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला जेल में बंद हैं, जहां उनकी हालत खराब बताई जा रही है। नशे के आदी दोनों नशे की डिमांड के साथ साथ लगातार नए-नए डिमांड कर रहे हैं। दोनों में से साहिल जहां मारिजुआना की डिमांड कर रहा है।

तो वहीं मुस्कान मॉर्फिन का इंजेक्शन मांग रही है। नशे का सामान नहीं मिलने से उन दोनों ने खाना खाने से भी इनकार कर दिया है। दोनों को नशीली दवाओं की लत है। दोनों का इलाज भी चल रहा है। मुस्कान के स्नैपचैट से एक नया खुलासा हुआ है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।

मुस्कान साहिल की मृतक मां बनकर साहिल से बात करती थी

मुस्कान – मेरे राजा बच्चे हमें क्षमा कर दे, हम नहीं आएंगे तुझसे कुछ कहने, अब जो भी होगा हो जाएगा बच्चे। तुझे कुछ नही होने देगी शक्ति, शक्ति अपना शरीर त्याग देगी लेकिन तुझे कुछ भी नहीं होने देगी। मेरे बच्चे सब बिगड़ गया है।

बच्चे तू गुड़िया का ख्याल रखियो,

बच्चे अब मैं भी नही आऊंगी अब,

राजा बच्चे,

मेरे राजा बच्चे।

दूसरी चैट – मुस्कान साहिल से साहिल की मां बनके

राजा पास हो गई तेरी बहू, बन गई हमारे परिवार का हिस्सा।

बहुत खुश हो गए हम मेरी बेटी से।

हमारे पितृ का भी तुम दोनों को आशीर्वाद मिल गया।

स्नैपचैट से बड़ा खुलासा

मुस्कान ने स्नैपचैट पर तीन फर्जी आईडी बनाई थी, एक खुद की, दूसरी अपनी मां के नाम से और तीसरी अपने भाई के नाम से। मुस्कान अपनी आईडी से साहिल की मां बनकर उससे चैट करती थी और बताती थी कि तेरी मां अवतरित हो गई है और वो मुझसे बात करती है। भाई और अपनी मां की फर्जी आईडी साहिल को दिखाकर कहती थी………

देखो मेरे घरवाले भी मेरे और तुम्हारे रिश्ते से तैयार हैं।

साहिल मुस्कान को कहता था मुस्की

साहिल मुस्कान को प्यार से मुस्की कहता था और उसने इसी नाम से उसका नंबर अपने मोबाइल में सेव कर रखा था। बता दें कि स्नैपचैट में जो बातें थी उनको मुस्कान ने डिलीट कर दिया था लेकिन साहिल ने इन सारे चैट्स का स्क्रीन शॉट लेकर अपने मोबाइल में सेव कर रखा था। इन स्क्रीन शॉट से ये पूरी चैट सामने आई है।

मेरी बेटी अब बन गई ब्राह्मण, अब कोई नहीं हरा पाएगा मेरी बहू को।

सौरभ को लेकर मुस्कान ने लिखा था – उसका वध तो मुस्कान के हाथों लिखा है।

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जस्टिस यशवंत के खिलाफ ईडी और सीबीआई जांच हो – बार एसोसिएशन

जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक बैठक की। इस बैठक के बाद कोलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने के फैसले का समर्थन किया। हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल बॉडी की मीटिंग के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपील की गई है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट न भेजा जाए। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

बार एसोसिएशन की जनरल बॉडी की हुई मीटिंग

लाइब्रेरी हॉल में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल बॉडी की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में 11 प्रस्ताव पास किए गए। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास कर सीजेआई से मांग की है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट तबादला ना किया जाए। बार एसोसिएशन ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट डंपिंग ग्राउंड नहीं है। इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने केंद्र सरकार और सीजेआई से जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाए जाने की मांग की है।

सीबीआई और ईडी को दें अनुमति – बार एसोसिएशन

इलाहाबाद बार एसोसिएशन की जनरल बॉडी मीटिंग में प्रस्ताव पास किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी को केस रजिस्टर करने की इजाजत दी जानी चाहिए। जिस प्रकार से एक सिविल सर्वेंट, पब्लिक सर्वेंट या राजनेता का ट्रायल होता है,उसी तरह उनके केस का ट्रायल भी होना चाहिए। बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच को खारिज करते हुए मांग की है कि अगर जरूरत पड़े तो जस्टिस यशवंत वर्मा को सीजेआई की अनुमति से कस्टडी में लिया जाए।

अंकल जज सिंड्रोम का मामला उठाया

इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने जस्टिस जसवंत वर्मा की सारी दलीलों और सफाई को खारिज कर दिया है। बार एसोसिएशन ने “अंकल जज सिंड्रोम” का भी मामला उठाया है। वकीलों ने अंकल जज सिंड्रोम के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है। इसके तहत जिस अदालत में कोई जज हो उसके परिवार के लोग वहां पर वकालत ना करें। बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के खाली पदों को भरने, जस्टिस यशवंत वर्मा के फैसलों की समीक्षा मांग की है।

read more :  नागपुर हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर

नागपुर हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर

बता दें नागपुर हिंसा मामले के मास्टरमाइंड फहीम खान पर पुलिस कार्रवाई के बाद प्रशासन की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है। फहीम खान माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का नागपुर जिला अध्यक्ष हैं। फहीम खान के घर पर बुलडोजर चलाया गया। फहीम द्वारा यशोधारा नगर संजय बाग कॉलोनी में प्लॉट क्रमांक 61 पब्लिक स्थित उसके घर का अवैध तरीके से निर्माण कार्य किया गया था। ऐसे में महानगरपालिका प्रशासन उसे नोटिस जारी किया था। सुबह उसके घर के अवैध निर्माण को बुलडोजर से ढहाने की शुरुआत। तीन जेसीबी से पूरे घर को ध्वस्त कर दिया गया।

मोहम्मद युसूफ शेख के घर पर भी चला हथौड़ा

वहीं, आपको बता दें कि नागपुर महानगरपालिका ने दूसरी कार्रवाई को भी अंजाम दिया। जहां पर यह घटना सबसे पहले घटी थी। शिवाजी प्रतिमा चौक पर जहां से हिंसा की शुरुआत हुई। वहां पर दूसरे आरोपी मोहम्मद युसूफ शेख के घर पर हथौड़े से कार्रवाई की गई। नगर निगम के अधिकारी और अतिक्रमण विभाग के कर्मचारी यसूफ शेख के घर पहुंचे। उसके बाद उन्होंने वहां नक्शे से अतिरिक्त बनाई हुई बाउंड्री वॉल, गैलरी, बालकनी के साथ अन्य अतिरिक्त निर्माण को ध्वस्त कर दिया।

फहीम खान ने किया था भीड़ का नेतृत्व

बता दें कि नागपुर में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अपराधियों के घर पर बुलडोजर चलाई जाने की चर्चा शनिवार से हो रही थी। 17 मार्च के पथराव और आगजनी की घटना के बाद फहीम खान को गिरफ्तार किया गया। फहीम पर 500 से ज्यादा दंगाइयों को इकट्ठा करने और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप है। फहीम खान को दंगा और आगजनी की घटनाओं के दो दिन बाद 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वह अभी पुलिस हिरासत में हैं।

फहीम खान के मकान का करीब 800/900 वर्ग फुट निर्माण अवैध होने की जानकारी सामने आई थी। इसके बाद नागपुर महानगरपालिका की ओर से महिरुनिशा शमीम खान के नाम से नोटिस जारी करके एक प्रति फहीम के घर में दी गई थी।

आखिर क्यों भड़की थी दंगे की आग ?

मध्य नागपुर के महल इलाके में 17 मार्च की शाम करीब 07:30 बजे हिंसा भड़क उठी थी। जिसमें पुलिस पर पथराव किया गया। हिंसा के दौरान डीसीपी (DCP) स्तर के 3 अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इनमें से 38 साल के इरफान अंसारी की शनिवार को मौत हो गई थी। हिंसा के दिन उन्हें गंभीर अवस्था में रेलवे स्टेशन के पास घायल पाया गया था।

बता दें कि इलाके में यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों के आंदोलन के दौरान पवित्र आयत लिखी चादर जलाई गई थी। हिंसा के इस मामले में अब तक कुल 105 लोग पकड़े गए हैं। पुलिस के मुताबिक नागपुर हिंसा के सिलसिले में 10 किशोर भी हिरासत में लिए गए हैं।

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सरकार ने उठाया बड़ा कदम, लाखों IMEI नंबर और व्हाट्सप्प अकाउंट हुए बंद

पिछले कुछ समय में टेलिकॉम सेक्टर में फ्रॉड और स्कैम के मामले तेजी से बढ़े हैं। लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए साइबर क्रिमिनल्स और स्कैमर्स नए-नए तरीके अपना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ स्कैम और फ्रॉड के मामलों पर रोक लगाने क लिए भारत सरकार भी सख्त कदम उठा रही है। फ्रॉड से जुड़े करीब 3.4 करोड़ मोबाइल नंबर्स को सरकार ने डिस्कनेक्ट कर दिया है। इन मोबाइल नंबर्स को संचार साथी पोर्टल के जरिए बंद किया गया।

फर्जी कनेक्शन की हो रही पहचान

आपको बता दें कि सरकारी पोर्टल संचार साथी में चाकसू (Chakshu) नाम का भी फीचर दिया गया है। इसकी मदद से यूजर्स किसी भी संदिग्ध फ्रॉड कॉल्स या फिर मैसेज को लेकर रिपोर्ट कर सकते हैं। लेकिन बता दें कि डॉट (DoT) पोर्टल पर आने वाली सभी शिकायतों पर बारीकी से विश्लेषण करता है और फिर उन डिवाइसेस या फिर संसाधनों की पहचान करता है जो कि फ्रॉड से जुड़े होते हैं। मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा की मदद से फर्जी दस्तावेजों से लिए गए कनेक्शन की भी पहचान की जा रही है।

लोगों या संस्थाओं को किया ब्लैक लिस्ट

जानकारी के मुताबिक टेलिकॉम सर्विस प्रवाइडर्स ने करीब 1150 लोगों या संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किया है। इसके साथ ही 18.8 लाख से ज्यादा डिवाइसेस को पूरी तरह से डिसकनेक्ट कर दिया है। मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने कहा कि इसका असर भी अब दिखने लगा है। साल 2024 में अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स की शिकायतें 1,89,419 थी लेकिन अब जनवरी 2025 तक इसकी इनकी संख्या घटकर 1,34,821 रह गई है।

लाखों IMEI नंबर और व्हाट्सप्प अकाउंट हुए बंद

सरकार ने संचार साथी पोर्ट के जरिए सिर्फ मोबाइल नंबर्स को ही डिस्कनेक्ट नहीं किया है बल्कि करीब 3.19 लाख IMEI नंबर को भी ब्लॉक किया है। जानकारी के अनुसार दूरसंचार विभाग ने सोशल मीडिया पर बढ़ रहे फ्रॉड को रोकने के लिए एआई (AI) और बिग डेटा की मदद से करीब 16.97 लाख वॉट्सऐप अकाउंट को भी बंद किया है।

संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि संचार साथी की मदद से ऐसे नंबर पर भी सख्ती बरती गई है। जो कि बल्क में मैसेज या स्पैम बढ़ा रहे थे। बल्क में मैसेज भेजने वाले करीब 20,000 से ज्यादा नंबर्स को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है।

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लेबनान ने इजरायल को दी नए युद्ध की धमकी, दक्षिणी लेबनान पर बड़ा हमला

इजरायल और हमास में जंग के बीच लेबनान ने इजरायल को “नए युद्ध” की धमकी देकर पश्चिम एशिया में जंग की चिंगारी एक बार फिर से भड़का दी है। इधर इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने दक्षिणी लेबनान में बड़ा हमला कर दिया है। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल के इस हमले में दक्षिणी लेबनान में काफी संख्या में लोग मारे गए हैं। वहीं गाजा में 2 दिनों में 130 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 4 दिनों में गाजा में 500 से ज्यादा मौतें हुई हैं। इजरायल का कहना है कि उसने रॉकेट हमलों के जवाब में दक्षिणी लेबनान पर दर्जनों हवाई हमले किए हैं।

इजरायल का आरोप है कि यमन की तरफ से उसके शहरों पर रॉकेट और मिसाइल दागी जा रही है। इनमें से कई रॉकेट और मिसाइलों को आईडीएफ ने मार गिराया है। बावजूद यमन की ओर से हमले जारी हैं। इससे बौखलाई इजरायली सेना ने कई महीने बाद यमन पर बड़ा हमला किया है।

गाजा में भी नया युद्ध

इधर गाजा में भी इजरायली सेना ने नया युद्ध छेड़ दिया है। पिछले 4 दिनों में उत्तरी और दक्षिणी गाजा में इजरायली हमले में हमास मिलिट्री चीफ ओसामा तबाश समेत कुल 500 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं। इसमें कई हमास आतंकी भी शामिल हैं। गाजा शहर पर रात में किए गए एक बड़े हवाई हमले में पांच बच्चे मारे गए हैं और परिवार के कम से कम आठ सदस्य मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। इजरायली हमले जारी हैं।

लेबनान की इजरायल को नए युद्ध की चेतावनी

इजरायल द्वारा भारी हवाई हमलों के बाद लेबनान ने ‘नए युद्ध’ की चेतावनी दी है। इस ताजे तनाव ने मध्य पूर्व को फिर से उबाल पर ला दिया है। यह जंग लेबनान से उत्तरी इजरायल की ओर रॉकेट दागे जाने के बाद शुरू हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार इजरायल ने लेबनान से सीमा पार रॉकेट हमले का जवाब बड़े पैमाने पर तोपखाने और हवाई हमले करके दिया, जिससे यहूदी राष्ट्र और आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के बीच नाजुक संघर्ष विराम को खतरा पैदा हो गया।

लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ सलाम ने एक बयान में कहा कि इजरायल द्वारा किए गए हमलों से देश को “नए युद्ध” में धकेलने का जोखिम है। सलाम ने कहा, “यह दिखाने के लिए सभी सुरक्षा और सैन्य उपाय किए जाने चाहिए कि लेबनान युद्ध और शांति के मामलों पर निर्णय लेता है।”

इजरायल पर हमले की लेबनान ने नहीं ली जिम्मेदारी

लेबनान की ओर से दागे गए रॉकेट के जवाब में इजरायल ने बड़ा हमला कर दिया, जिसमें 130 लोग मारे गए। मगर लेबनान या किसी अन्य संगठन ने इजरायल पर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि लेबनान सरकार अपने क्षेत्र से दागे गए किसी भी रॉकेट के लिए जिम्मेदार है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब इजरायल ने गाजा में आतंकी संगठन हमास के साथ गोलीबारी की और यमन से हौथियों द्वारा दागी गई मिसाइल को भी रोक दिया। ये आतंकी संगठन ईरान समर्थित प्रतिरोध की धुरी का हिस्सा हैं।

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