Friday, June 27, 2025
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2 दिन की यात्रा पर सऊदी पहुंचे पीएम मोदी, वार्ता में ये मुद्दे होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के जेद्दा पहुंचे। जहां उनकी दो दिवसीय यात्रा के दौरान भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। सऊदी अरब के एफ-15 लड़ाकू विमानों ने विशेष सम्मान के तहत प्रधानमंत्री के विमान को सुरक्षा प्रदान की। जो दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा सहयोग का प्रतीक है। सऊदी अरब को भारत का एक मूल्यवान साझेदार बताते हुए पीएम मोदी ने अरब न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘भारत और सऊदी अरब न केवल अपने लिए, बल्कि विश्व की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक साथ आगे बढ़ेंगे।

सऊदी युवराज से विभिन्न मुद्दों पर होगी वार्ता

प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब को समुद्री पड़ोसी, विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक सहयोगी करार देते हुए दोनों देशों के संबंधों में असीम संभावनाओं की बात कही। उन्होंने सऊदी ‘विजन 2030’ और भारत के ‘विकसित भारत 2047’ के बीच समानताएं रेखांकित कीं और कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय निवेश संधि पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते की भी सराहना की, जो क्षेत्रीय आर्थिक संबंधों को नया आयाम दे सकता है। मंगलवार शाम को सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान के साथ होने वाली वार्ता में रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी।

लगातार मजबूत होते भारत-सऊदी रिश्ते

पीएम मोदी ने सऊदी नेतृत्व की दूरदर्शिता और साझेदारी को मजबूत करने में उनकी भूमिका की प्रशंसा की। विदेश मंत्रालय ने सऊदी जेट विमानों द्वारा पीएम मोदी के विमान को सुरक्षा प्रदान करने का वीडियो जारी किया, जिसे दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भारत और सऊदी अरब का स्वाभाविक हित है। हमारा बढ़ता रक्षा और सुरक्षा सहयोग आपसी विश्वास का प्रतिबिंब है।’ बता दें कि भारत और सऊदी अरब के बीच के रिश्ते 2019 में रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन के बाद से लगातार मजबूत हुए हैं।

read more :  7वें आसमान पर सोना फिर भी ज्वैलर्स निराश, खरीदार मायूस और बिजनेस ठप

7वें आसमान पर सोना फिर भी ज्वैलर्स निराश, खरीदार मायूस और बिजनेस ठप

सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। दिल्ली में गोल्ड की कीमत 1650 रुपये की ताजा बढ़त के साथ 1 लाख रुपये के बेहद करीब पहुंच गई। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई।

जबकि पिछले हफ्ते शुक्रवार को इसकी कीमत 98,150 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इसके साथ ही, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव भी 1600 रुपये की तेजी के साथ 99,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गया।

क्यों बढ़ रही हैं सोने की कीमतें

सोने की कीमतों में जारी इस बेकाबू तेजी के पीछे यूं तो कई कारण हैं। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदा नीतियों से सोने की कीमतों पर सबसे बड़ा और अहम असर पड़ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच ब्याज दरों में कटौती को लेकर बढ़ते तनाव के बीच सोने की कीमतों में रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई हैं।

इसके अलावा, कमजोर पड़ रहे अमेरिकी डॉलर की वजह से भी सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी दर्ज की जा रही है। एमसीएक्स पर सोने की कीमत 99,178 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई।

एमसीएक्स पर भी लाइफटाइम हाई पर पहुंचा सोना

एमसीएक्स पर जून 2025 की समाप्ति के लिए सोने का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ₹98,753 प्रति 10 ग्राम पर खुला और ओपनिंग बेल के कुछ ही मिनटों के अंदर ₹99,178 प्रति 10 ग्राम के इंट्राडे हाई पर पहुंच गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की आलोचना ने अमेरिकी डॉलर को 3 साल के निचले स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। आज सोने की कीमतों के नए रिकॉर्ड पर पहुंचने का यही मुख्य कारण है।

इस साल 26.41 प्रतिशत महंगा हुआ सोना

सोने की कीमत पिछले साल 31 दिसंबर, 2025 से अभी तक 20,850 रुपये या 26.41 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम बढ़ चुकी हैं। लेकिन खरीदारों का दर्द सिर्फ सोने की कीमतों पर ही खत्म नहीं हो जाता है। सोना खरीदने के लिए ग्राहकों को 3 प्रतिशत का जीएसटी चुकाना होता है और मेकिंग चार्ज के तौर पर एक मोटी रकम भी देनी होती है।

लेकिन जैसे-जैसे सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे जीएसटी और मेकिंग का खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है, जो सोने की ओवरऑल कीमत को सीधे 7वें आसमान पर पहुंचा दे रहा है।

जीएसटी और मेकिंग चार्ज ने गहराया जख्म

उदाहरण के लिए आज सोने का भाव 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है। अगर आप 10 ग्राम की एक चेन खरीदते हैं तो इसके लिए आपको सोने का 1,00,000 रुपये, 3 प्रतिशत जीएसटी का 3000 रुपये और 15 प्रतिशत मेकिंग का 15,000 रुपये अलग से देना होगा।

इस तरह से आपको 10 ग्राम सोने की चेन के लिए कुल 1,18,000 रुपये चुकाने होंगे। अगर यही सोना 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम होता तो आपको जीएसटी के लिए 1500 रुपये और मेकिंग के लिए 7500 रुपये ही देने होते।

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जहरीली रहती है दिल्ली की हवा, रेस्पिरर लिविंग साइंस की रिपोर्ट में खुलासा

सर्दियों के मौसम में दिल्ली की हवा जहरीली बनी रहती है और लोगों का सांस लेना मुश्किल बना रहता है लेकिन अब रिपोर्ट बता रही है कि दिल्ली की हवा में जहर सिर्फ सर्दियों की समस्या नहीं है। बल्कि सालों भर हवा में जहर घुला रहता है यानी हर मौसम में दिल्ली की हवा प्रदूषित रहती है।

इस रेस्पिरर लिविंग साइंस अपनी रिपार्ट में ये दावा किया है। इस रिपोर्ट में एटलस AQi से लिए गए डेटा के आधार पर बीते चार साल का विश्लेषण किया गया है। इसके आधार पर बताया गया है कि दिल्ली में पीएम 10 का स्तर पूरे साल तय मानकों से अधिक बना रहता है।

स्पिरर लिविंग साइंसेज की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

स्पिरर लिविंग साइंसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति बदलती रहती है और सर्दियों में तो हर सप्ताह प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की जाती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली का औसत पीएम 2.5 स्तर 243.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

जारी की गई इस रिपोर्ट में हाइपरलोकल वायु गुणवत्ता निगरानी का उपयोग करके शहरी भारत में प्रदूषण के हॉटस्पॉट की पहचान की गई है।

आईये जाने क्या कहती है रिपोर्ट ?

>> रिपोर्ट में 500×500 मीटर के रिज़ॉल्यूशन के साथ वायु गुणवत्ता के रुझान दिखाए गए हैं, जिससे नीति निर्माताओं, शहरी योजनाकारों और नागरिकों को कार्रवाई योग्य जानकारी प्राप्त हो रही है।

>> रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सार्वजनिक भागीदारी व्यक्तिगत जागरूकता बढ़ाने के अलावा स्वच्छ शहरों के लिए साझा इच्छा को बढ़ावा देती है।

>> दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी क्षेत्रों में गंभीर प्रदूषण की घटनाएं जारी हैं, लेकिन वाराणसी जैसे शहरों ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

>> संक्षेप में, रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की रिपोर्ट में भारत में वायु गुणवत्ता की स्थिति और प्रदूषण के हॉटस्पॉट के बारे में चिंताजनक जानकारी दी गई है।

>> रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सार्वजनिक भागीदारी और हाइपरलोकल वायु गुणवत्ता निगरानी प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकती है।

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यूपीएससी सिविल सर्विस का रिजल्ट जारी, शक्ति दुबे बनीं टॉपर

यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। यह रिजल्ट लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर तय किया गया है। इंटरव्यू जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच हुए थे। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में शामिल होने वाले अभ्यर्थी अपना फाइनल रिजल्ट आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर देख सकते हैं।

यूपीएससी ने आधिकारिक वेबसाइट पर शॉर्टलिस्ट फॉर्मेट में रिजल्ट जारी किया है। जिसमें यूपीएससी सीएसई पास कर चुके उम्मीदवारों के नाम और रोल नंबर दिए गए हैं।

1000 से अधिक उम्मीदवारों ने पास की यूपीएससी

इस परीक्षा में कुल 1009 उम्मीदवारों को पास घोषित किया गया है। इनमें से 335 जनरल कैटेगरी, 109 ईडब्ल्यूएस, 318 ओबीसी, 160 एससी, 87 एसटी कैटेगरी के उम्मीदवार हैं।

अब इन्हें IAS, IFS और IPS आदि सेवाओं में नौकरी दी जाएगी। जानकारी दे दें कि साल 2024 की यूपीएससी परीक्षा में शक्ति दुबे ने ऑल इंडिया रैंक 1 यानी टॉप किया है। इसके साथ ही आयोग ने 230 उम्मीदवारों की एक रिजर्व लिस्ट भी बनाई है।

टॉप 10 उम्मीदवारों के नाम

1 – शक्ति दुबे

2 – हर्षिता गोयल

3 – डोंगरे आर्चित पराग

4 – शाह मार्गी चिराग

5 – आकाश गर्ग

6 – कोमल पूनिया

7 – आयुषी बंसल

8 – राज कृष्णा झा

9 – आदित्य विक्रम अग्रवाल

10 – मयंक त्रिपाठी

अन्य उम्मीदवारों के नाम नीचे दिए लिंक में देखे

यूपीएससी सिविल सर्विस का रिजल्ट हुआ जारी

आपको जानकारी दे दें कि इन पास हुए उम्मीदवारों के मार्क्स रिजल्ट की घोषणा करीबन 15 दिन बाद की जा सकती है। यूपीएससी 2024 की परीक्षा के लिए इंटरव्यू 17 अप्रैल तक आयोजित किए गए थे। इसकी शुरुआत 7 जनवरी 2025 से हुई थी। साल 2024 में यूपीएससी ने आईएएस, आईपीएस समेत कई सर्विसेज में 1132 पदों पर भर्ती निकाली थी।

read more :  कभी भी आ सकता है यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं का परिणाम, जानें अपडेट

कभी भी आ सकता है यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं का परिणाम, जानें अपडेट

यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा में शामिल हुए छात्र-छात्राएं अपने परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) की ओर से रिजल्ट को अप्रैल के आखिरी वीक में कभी भी जारी किया जा सकता है। परिणाम को घोषित करने से पहले बोर्ड एक नोटिफिकेशन जारी करेगा। जिसमें रिजल्ट जारी किए जाने का विवरण होगा। हालांकि, बोर्ड ने अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषणा की सही तारीख और समय की पुष्टि नहीं की है। बता दें कि लाखों स्टूडेंट्स(10वीं और 12वीं कक्षा) अपने परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।

यहाँ कर सकेंगे परिणाम चेक

रिजल्ट घोषित होने के बाद छात्र-छात्राएं आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in पर जाकर अपने परिणाम को चेक कर सकेंगे। बता दें कि लाखों छात्र-छात्राएं यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। वैसे बता दें कि हर वर्ष यूपी बोर्ड परिणाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जारी किया जाता है। ऐसे में इस साल भी यूपी बोर्ड परिणाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए घोषित किया जाएगा।

पूरा हो चुका है मूल्यांकन का काम

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा उत्तर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य पूरा हो चुका है। तय समय सीमा के अंदर कॉपियों की चेकिंग का काम पूरा कर लिया गया है। इस बार यूपी बोर्ड में हाईस्कूल के परीक्षार्थियों की संख्या 27,32,216 और इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों की संख्या 27,05,017 है।

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के एक दिन जारी होंगे परिणाम

यूपी बोर्ड की तरफ से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परिणाम अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ घोषित किए जाएंगे। घोषित होने के बाद छात्र-छात्राएं अपने परिणाम को चेक कर सकेंगे। यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित करने के साथ-साथ टॉपर लिस्ट भी जारी करेगा। रिजल्ट से पहले एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।

इन वेबसाइट्स पर देख सकेंगे यूपी बोर्ड परिणाम

लाखों स्टूडेंट्स अपने परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। रिजल्ट घोषित होने के बाद छात्र-छात्राएं निम्नवत वेबसाइट्स से परिणाम देख सकेंगे।

>>   upmsp.edu.in

>>   upresults.nic.in

>>   upmspresults.up.nic.in

ऐसे कर सकेंगे परिणाम चेक

>>   सबसे पहले छात्र-छात्राओं को आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in पर जाना होगा।

>>   इसके बाद छात्र-छात्राओं को होमपेज पर यूपी बोर्ड 10वीं/12वीं कक्षा के परिणाम वाले लिंक पर क्लिक करना होगा।

>>   इतना करते ही आपके सामने एक अलग विंडो खुल जाएगी।

>>   अब छात्र-छात्राएं मांगी गई डिटेल को भरें।

>>   इसके बाद उसे सबमिट करें।

>>   इसके बाद छात्र-छात्राओं के सामने परिणाम खुल जाएगा।

>>    अब परिणाम को डाउनलोड करें।

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मुर्शिदाबाद हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई से किया इनकार

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों हुई हिंसा की चर्चा पूरे देश में हुई थी। इस हिंसा के दौरान जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। इस दौरान 3 लोगों की हत्या भी हुई और कई लोग घायल हुए। घटना के बाद बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों ने पलायन किया था।

मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से एक उचित याचिका दाखिल करने को कहा है।

वकील ने कहा कि मुर्शिदाबाद ………

सुनवाई के दौरान वकील शशांक शेखर ने कहा- “पालघर साधुओं के मामले पर मैंने ही याचिका दायर की थी। यह मामला मानवाधिकारों के उल्लंघन का है और राज्य में कानून व्यवस्था बहुत खराब है।” सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आपको जानकारी कहां से मिली। क्या ये सही है। इस पर वकील ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है। वकील शशांक ने कहा कि वहां लोग सड़कों पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बहुत जल्दी में हैं। इस पर वकील ने कहा मुझे याचिका वापस लेकर संशोधन की मंजूरी दें।

याचिका दायर करते समय सावधान रहना होगा – सुप्रीम कोर्ट

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड की अदालत है। भावी पीढ़ी देखेगी। आपको लगता है कि इसकी रिपोर्ट आदि की जाएगी, लेकिन आपको याचिका दायर करते समय या आदेश पारित करते समय सावधान रहना होगा। क्या इन कथनों का होना ज़रूरी है? हम बार के हर सदस्य का सम्मान करते हैं। लेकिन जिम्मेदारी की भावना के साथ।

सुप्रीम कोर्ट का उचित याचिका दाखिल करने का निर्देश

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं से एक उचित याचिका दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने वकीलों को फटकार लगाई और कहा कि वकीलों को जिम्मेदारी के साथ उचित याचिकाएं दाखिल करने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपना मामला वापस लेने और बेहतर सामग्री और कथनों के साथ मामला दाखिल करने की स्वतंत्रता दी है।

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निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर बयान देने के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे विपक्षी आलोचना का सामना तो कर ही रहे हैं, उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन भी दाखिल की गई है। वहीं, बीजेपी सांसद के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर अब सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक में कहा है कि केस फाइल कीजिए, इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि निशिकांत दुबे ने शीर्ष अदालत को निशाना बनाते हुए कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद एवं विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई संजीव खन्ना पर निशाना साधते हुए उन्हें देश में ‘सिविल वॉर’ के लिए जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि बीजेपी ने दुबे के बयान से खुद को अलग कर लिया। लेकिन कानून के जानकार इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के तौर देख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि……..

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता से कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई संजीव खन्ना की आलोचना करने को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए बेंच की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

इस मामले का उल्लेख जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल में आए एक समाचार का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं। जस्टिस गवई ने कहा, ‘‘आप इसे दायर करें। दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

बीजेपी की कवायद ‘डैमेज कंट्रोल’ – कांग्रेस

कांग्रेस ने भी बीजेपी के सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आलोचना किए जाने के बाद उनके बयानों से पार्टी के किनारा करने की कवायद को ‘‘डैमेज कंट्रोल’’ करार दिया और कहा कि सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।

कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दुबे के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि उम्मीद है कि अटॉर्नी जनरल बिना देरी किए आपराधिक अवमानना ​​के लिए सहमति देंगे।

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क्या है “लिविंग अपार्ट टुगेदर” ट्रेंड ? जानिए इसमें कैसे और क्या करते हैं कपल्स

पिछले कुछ सालों में रिलेशनशिप में बड़े बदलाव आए हैं। शादी से पहले डेटिंग, लिव इन रिलेशनशिप, बैंचिंग और शादी के बाद लिविंग अपार्ट टुगेदर जैसे नए ट्रेंड्स सामने आ रहे हैं। पहले शादी को लोग सात जन्मों का रिश्ता समझकर निभाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

अगर रिश्ते में एक दूसरे से बन नहीं रही, एक दूसरे के साथ रहना मुश्किल हो रहा है तो आप आसानी से तलाक लेकर अलग हो सकते हैं। कुछ लोग शादी के बाद अपनी प्राइवेसी, करियर और अपनी लाइफ को जीना चाहते हैं ऐसे लोगों को लिविंग अपार्ट टुगेदर जैसे नए ट्रेंड काफी पसंद आ रहे हैं।

जानिए लिविंग अपार्ट टुगेदर (Living Apart Together) में कैसे रहते हैं कपल्स और क्या होता है ?

क्या है लिविंग अपार्ट टुगेदर

लिविंग अपार्ट टुगेदर में शादीशुदा लोग एक रिश्ते में होते हुए भी अलग-अलग घरों में रहते हैं। लेकिन एक दूसरे के साथ अक्सर मिलते रहते हैं। कुछ घंटे या दिन साथ में बिताते हैं, एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं, जरूरत के वक्त साथ होते हैं और फिर अलग-अलग रहने लगते हैं।

युवाओं के बीच ये इसलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसमें उन्हें आजादी मिलती है। इसके अलावा वो एक डीप रिलेशनशिप में रहते हैं। कुछ लोग एक घर में रहते हुए भी अलग-अलग रहते हैं। जिसमें अलग-अलग कमरे में या फिर अलग फ्लोर पर रहना पसंद करते हैं।

और क्यों पसंद किया जा रहा है ये ट्रेंड

फ्रीडम –  साथ रहने पर कपल्स अक्सर एक दूसरे की पसंद ना पसंद में इंटरफेयर करते हैं। जो युवाओं को पसंद नहीं आ रहा है। लिविंग अपार्ट टुगेदर में कपल्स को पर्सनल स्पेस मिलता है और वो अपना रुटीन फॉलो कर पाते हैं।

पर्सनल डेवलप्मेंट-   जो लोग करियर पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं उन्हें ये ट्रेंड काफी पसंद आ रहा है। इससे आप अपने पर्सनल गोल्स पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं। कमिटमेंट न होने के कारण आप खुद को ज्यादा समय दे पाते हैं।

रिश्ते में रोमांच – हर रोज साथ रहने से कई बार एक दूसरे के लिए रोमांच नहीं बचता है। ऐसे में जब आप एक दूसरे से दूर रहते हैं तो कपल्स के बीच मिलने की चाहत, उत्सुकता और रोमांच बना रहता है।

फाइनेंशियल फ्रीडम और नो एक्सपेक्टेशन – इस तरह रहने से आप एक दूसरे से किसी तरह की कोई एक्सपेक्टेशन नहीं करते हैं। सोशल प्रेशर से बचते हैं और खुद के लिए ज्यादा फाइनेंशियल फ्रीडम महसूस करते हैं।

लिविंग अपार्ट टुगेदर के फायदे

इस तरह अलग-अलग रहने से कपल्स का पर्सनल डेवलप्मेंट अच्छा होता है। लोग अपनी रुचि को बढ़ाते हैं और उसे जीते हैं। जिससे आप खुश रहते हैं और रिश्ता भी मजबूत बनता है। इस तरह के रिश्ते में किसी तरह की अपेक्षा नहीं होती है। इसलिए आप एक दूसरे के लिए ज्यादा करना चाहते हैं। लड़ाई झगड़े कम होते हैं, जिससे तनाव कम होता है।

लिविंग अपार्ट टुगेदर के नुकसान

ऐसे रिश्ते में कई बार इमोशनल दूरी बढ़ सकती है। कई बार आप खुद को अकेला महसूस करते हैं। खासकर जब आप किसी परेशानी से जूझ रहे हों या कोई मुश्किल वक्त से गुजर रहे हों। कई बार ऐसे लोगों में इमोशनल इनस्टेबिलिटी हो सकती है।

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शॉपिंग मॉल में खुलेंगी शराब की दुकानें, 4 शहरों में शुरू होगी बिक्री

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की नई आबकारी नीति पॉलिसी के तहत राज्य में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत मल्टीप्लेक्स वाले शॉपिंग मॉल में बीयर, वाइन जैसे कम अल्कोहल वाले ड्रिंक्स की बिक्री को मंजूरी दे दी गई है। यूपी के आबकारी अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है।

अधिकारियों के मुताबिक, सरकार के इस फैसले का उद्देश्य कम अल्कोहल वाली ड्रिंक्स की खुदरा बिक्री को बढ़ाना और छोटे कारोबारियों के लिए बिजनेस में एंट्री करना और इसे आसान बनाना है।

मिलेगा FL-4D लाइसेंस

सरकार के इस नए प्रोजेक्ट के तहत राज्य के आबकारी विभाग ने FL-4D लाइसेंस के लिए ऐप्लिकेशन लेना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल ये प्रोजेक्ट दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के अलावा आगरा और लखनऊ में पायलट बेसिस पर शुरू किया जाएगा।

मल्टीप्लेक्स वाले मॉल में कम अल्कोहल के ड्रिंक्स बेचने के लिए जिस FL-4D लाइसेंस की जरूरत होगी, उसका सालाना खर्च 6 लाख रुपये तय किया गया है। बताते चलें कि इससे पहले यूपी में शराब बेचने के लिए सिर्फ FL-4C लाइसेंस ही मिलता था, जिसका सालाना खर्च 25 लाख रुपये है। FL-4C लाइसेंस के साथ मॉल में प्रीमियम शराब बेचने की इजाजत होती थी।

सिनेमाघर में शराब बेचने और पीने पर होगा प्रतिबंध

गौतमबुद्ध नगर जिले के आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि मल्टीप्लेक्स वाले मॉल में कम अल्कोहल वाले ड्रिंक्स की बिक्री शुरू होगी, लेकिन सिनेमा हॉल के अंदर किसी भी प्रकार की शराब की बिक्री या सेवन पर पूरी तरह से सख्त प्रतिबंध रहेगा। ये दुकानें मॉल के अंदर खुलेंगी, लेकिन इन्हें सिनेमा घर के अंदर नहीं खोला जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि नोएडा सेक्टर 43 के एक मॉल ने FL-4D लाइसेंस के लिए पहले ही अप्लाई कर दिया था। इसके अलावा अभी दो अन्य जगहों से भी ऐप्लिकेशन फाइल की गई है।

read more  :   धर्म बदलने वाले आदिवासियों से आरक्षण वापस लिया जाए – चंपई सोरेन

धर्म बदलने वाले आदिवासियों से आरक्षण वापस लिया जाए – चंपई सोरेन

झारखंड भाजपा के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बड़ी मांग की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिन आदिवासियों ने दूसरा धर्म अपना लिया है उन सभी से आरक्षण को वापस ले लिया जाए। इसके सात ही चंपई सोरेन ने ये भी मांग की है कि दो आदिवासी महिलाएं अपने समुदाय से बाहर शादी कर रही हैं उनसे भी आरक्षण की सुविधा वापस ले ली जानी चाहिए। आइए जानते है कि पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने इस मामले में और क्या कुछ कहा है।

चंपई सोरेन ने कहा……..

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन गुरुवार को बोकारो जिले के बालीडीह जाहेरगढ़ में सरहुल/बाहा मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने आरक्षण की सुविधा को लेकर ये टिप्पणी की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चंपई ने दूसरा धर्म अपनाने वाले आदिवासियों और आदिवासी समुदाय से अलग शादी करने वाली आदिवासी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का विरोध किया। इस दौरान चंपई ने संथाल परगना के मौजूदा हालात पर चिंता भी व्यक्त की।

आदिवासियों का अस्तित्व मिट जाएगा – चंपई सोरेन

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी समुदाय से जागने की अपील की है। चंपई सोरेन ने आदिवासियों से कहा कि- “अगर हम अभी नींद से नहीं जागे तो समुदाय का कोई भी व्यक्ति हमारे जाहेरस्थान, सरना स्थल और देशावली (सभी पूजा स्थलों) पर प्रार्थना करने के लिए नहीं बचेगा।” चंपई सोरेन ने कहा कि अगर दूसरा धर्म अपनाने वालों और दूसरे समुदाय में शादी करने वाले आदिवासियों को लिस्ट से बाहर नहीं किया गया तो आदिवासी समुदाय का अस्तित्व मिट जाएगा।

बांग्लादेशी घुसपैठी जमीन हड़प रहे – चंपई सोरेन

संथाल परगना की हालात पर चर्चा करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासी दूसरा धर्म अपनाने वाले और बांग्लादेशी यानी दो ओर से मार झेल रहे हैं। चंपई ने कहा कि एक ओर रिजर्व सीटों पर दूसरा धर्म अपनाने वाले आदिवासी कब्जा कर रहे हैं। तो वहीं, बांग्लादेशी घुसपैठी आदिवासियों की जमीन हड़प रहे हैं और आदिवासी महिलाओं से शादी कर के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

इसके बाद ये बांग्लादेशी घुसपैठी स्थानीय निकाय चुनाव में इन्हीं आदिवासी महिलाओं को उतारते हैं और आरक्षण पर अप्रत्यक्ष तौर पर अतिक्रमण करते हैं। चंपई सोरेन ने कहा कि इसे रोका जाना चाहिए।

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भगोड़े मेहुल चोकसी के 2,565 करोड़ रुपये की संपत्तियों की होगी नीलामी

भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने चोकसी की 2,565 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी है। इन संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि को प्रभावित बैंकों के नाम पर सावधि जमा (FD) के रूप में रखा जाएगा, ताकि पीड़ितों को उनकी राशि वापस की जा सके।

अब तक, गीतांजलि जेम्स लिमिटेड से जुड़ी संपत्तियों की बिक्री से 125 करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को लौटाई जा चुकी है। इन संपत्तियों में मुंबई के सांताक्रूज स्थित छह फ्लैट, दो फैक्ट्रियां और गोदाम शामिल हैं।

मेहुल चोकसी पर कसा शिकंजा

मेहुल चोकसी की जब्त की संपत्तियों में मालाबार हिल इलाके की वह भी प्रॉपर्टी है जो प्राइम लोकेशन पर है। ईडी ने जिसे जब्त किया है। उसके नीलामी की प्रक्रिया शुरू की है। गोकुल अपार्टमेंट मालाबार हिल जिसके 9/10 मंजिल पर मेहुल चोकसी का डुप्लेक्स फ्लैट है। उसने 11 वे मंजिल पर अवैध निर्माण किया है।

फ्लैट के दरवाजे और दीवारों पर ईडी, सीबीआई अलग-अलग बैंक के नोटिस, बीएमसी सोसायटी बिजली बिल की नोटिस पड़ी है। फ्लैट करीबन सात हज़ार स्क्वायर फीट का है जिसकी क़ीमत करीबन 70 करोड़ है जो अब खण्डर बन गया है। फ्लैट से पेड़ पौधे उग बाहर निकल आए हैं।

जिस से निचले फ्लाइट्स और सोसायटी के दीवारों को नुकसान पहुंच रहा है। बता दें कि मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर 2018 में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा से 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है।

भारत में जब्त मेहुल चोकसी की संपत्तियां

ईडी ने 2018 में मेहुल चोकसी और उनके समूह की 41 संपत्तियों को ₹1,217.2 करोड़ की राशि के साथ जब्त किया था। इनमें शामिल हैं –

>>    मुंबई में 15 फ्लैट्स और 17 कार्यालय परिसरों..

>>    कोलकाता में एक मॉल…

>>   अलीबाग में 4 एकड़ का फार्म हाउस….

>>   नागपुर, पनवेल (महाराष्ट्र) और तमिलनाडु के विलुपुरम में 231 एकड़ भूमि…

>>    हैदराबाद के रंगा रेड्डी जिले में 170 एकड़ का पार्क, जिसकी अनुमानित कीमत ₹500 करोड़ से अधिक है

>>    मुंबई के बोरीवली (पूर्व) और सांताक्रूज़ (पूर्व) क्षेत्रों में फ्लैट्स….

>>    मुंबई के सांताक्रूज़ इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (SEEPZ) में दो कारखाने और गोदाम भी जब्त किए गए हैं।

read more  :    सीएसके के पास अभी भी प्लेऑफ में एंट्री करने का बन सकता है मौका

सीएसके के पास अभी भी प्लेऑफ में एंट्री करने का बन सकता है मौका

चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के लिए आईपीएल का मौजूदा सीजन अच्छा नहीं गया है और बहुत ही ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला रहा है। सीएसके के बीच सीजन में ही टीम के नियमित कप्तान रुतुराज गायकवाड़ कोहनी की चोट की वजह से पूरे सीजन से बाहर हो गए और फिर उन्हें महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाना पड़ा।

सीएसके टीम कई प्लेयर्स को मौजूदा सीजन में आजमा चुकी है और कोई भी अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखा पाया। टीम मौजूदा सीजन में 5 मुकाबले हार चुकी है। इसके बाद भी सीएसके की टीम के पास आईपीएल के प्लेऑफ में पहुंचने का एक मौका है।

धोनी को दिखाना होगा पुराना कमाल

मौजूदा सीजन में अगर चेन्नई सुपर किंग्स को प्लेऑफ में पहुंचना है, तो महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों में कमाल दिखाना होगा, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। पिछले मैच में लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ वह फॉर्म में लौटने का संकेत दे चुके हैं। एलएसजी (LSG) के खिलाफ उन्होंने 11 गेंदों में 26 रन बनाए, जिसमें चार चौके और एक छक्का शामिल रहा। शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड भी मिला।

आखिरी पायदान पर है सीएसके की टीम

मौजूदा सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने अभी तक कुल 7 मुकाबले खेले हैं, जिसमें से 2 में जीत हासिल की है और पांच मैच हारे हैं। चार अंकों के साथ उसका नेट रन रेट 1.276 है और वह प्वाइंट्स टेबल में आखिरी पायदान पर है।

सीएसके को कम से कम 6 मैच तो जीतने होंगे

अभी मौजूदा सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स के 7 मुकाबले बचे हुए हैं। अगर सीएसके को प्लेऑफ में जाने का ख्वाब पालना है, तो उसे अपने बाकी बचे मैचों में से कम से कम 6 मुकाबले जीतने होंगे, जिससे उसके कम से कम 16 अंक हो जाएं। इसके अलावा उसे टारगेट चेज करते समय कम ओवर्स में हासिल करना होगा।

डिफेंड करते समय से ज्यादा रनों से मुकाबला अपने नाम करना होगा। तभी उसका नेट रन रेट बढ़ पाएगा। फिर उसके बाद उसके लिए प्लेऑफ में पहुंचने का एक चांस बन सकता है।

सीएसके को होम ग्राउंड में खेलने हैं तीन मैच

इसके लिए चेन्नई सुपर किंग्स की टीम को एकजुट होकर प्रदर्शन करना होगा। अभी तक मौजूदा सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स की टीम अपना सही टीम संयोजन नहीं तलाश कर पाई है। चेपॉक का ग्राउंड सीएसके का होम ग्राउंड और गढ़ रहा है।

यहां सीएसके को हराना किसी भी टीम के लिए मुश्किल है, लेकिन मौजूदा सीजन में सीएसके ने यहां चार मुकाबले खेले हैं और जिसमें से तीन हारे हैं। अभी होम ग्राउंड पर उसके तीन मैच बचे हुए हैं। प्लेऑफ का रास्ता इन 3 मैचों में जीत दर्ज करके ही निकलेगा। क्योंकि यहां की परिस्थिति से टीम अच्छी तरह से वाकिफ है।

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बांग्लादेश अपने यहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे – विदेश मंत्रालय

वक्फ संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिादबाद में हुई हिंसा को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की टिप्पणियों को भारतीय विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश को नसीहत दी है कि पहले वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल की घटनाओं को लेकर बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं।

ये बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने की एक कोशिश है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ ऐसे अपराध करनेवाले अपराधी खुलेआम घूमते रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की अनुचित टिप्पणियां करने के बजाय बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

दरअसल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने भारतीय अधिकारियों से आह्वान किया था कि वे मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित अल्पसंख्यकों मुस्लिम समुदायों की रक्षा करें।

बता दें कि इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह की अनुचित टिप्पणियां करने के बजाय बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश, केंद्र सरकार को राहत

वक्फ संशोधन कानून को लेकर आज फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आपको बता दे कि इस दौरान केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल वक्फ कानून पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। बता दें कि वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई है।

जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त

भारत सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार महता ने एक सप्ताह का समय मांगा है। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित यूजर्स द्वारा वक्फ सहित वक्फों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश :

>> अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और परिषदों में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।​

>> वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।​

>> केंद्र सरकार को सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।​

>> सिर्फ पांच प्रमुख याचिकाकर्ता ही अगली सुनवाई में उपस्थित होंगे, बाकी याचिकाओं को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा।​ अदालत ने साफ कहा कि सभी पक्ष आपस में तय करें कि उनकी पांच मुख्य आपत्तियां क्या हैं।

वही केंद्र सरकार ने इस कानून को पारदर्शिता बढ़ाने और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक बताया है। हालांकि, विपक्षी दलों और धार्मिक संगठनों ने इस कानून को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।​

अगली सुनवाई में सरकार का जवाब और कोर्ट का रुख इस मामले की दिशा तय करेगा।​

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वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, केंद्र सरकार को नोटिस जारी

सुपीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की। वक्फ अधिनियम के खिलाफ कई विपक्षी दलों और नेताओं द्वारा याचिकाएं दायर की गई हैं। जिनमें कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, आदि शामिल हैं। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे गैर सरकारी संगठनों और संगठनों ने भी इसके खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। जानते हैं कि सुनवाई के दौरान किसने क्या-क्या दलील दी।

वफ्क बिल कानून के खिलाफ नहीं – केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में किसी के लिए किसी अन्य व्यक्ति की भूमि पर “जबरन और एकतरफा” कब्जा करने का कोई प्रावधान न हो। वहीं, वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून “मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन करता है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कही ये बातें

सीजेआई ने कहा कि हम सभी को नहीं सुन सकते। इसलिए तय कर देंगे कि कौन बहस करेगा। हम एक-एक कर नाम लेंगे। कोई भी दलील दोहराएगा नहीं। तमाम रिट याचिकाएं हैं और सभी ब्रीफ नोट तैयार करेंगे। दूसरा किन आधारों पर तर्क रखेंगे। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि मैं वरिष्ठ हूं, मुझे मौका दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी डेकोरम बनाएं रखें। सीजेआई ने कहा दो सवाल हैं- क्या मामला हाईकोर्ट भेजें… आपके तर्कों के आधार क्या हैं।

मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने वफ्क कानून का किया विरोध

वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 पर शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने कहा, “हमारी सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट से हैं। सरकार सभी राज्यों में वक्त संशोधन अधिनियम लागू करने के लिए मजबूर है। यह एक काला कानून है जो सभी वक्फ संपत्तियों को नष्ट कर देगा। पहली बार ऐसा हो रहा है कि राज्य सरकारें वक्फ बिल के पक्ष में हैं। 6 राज्यों की सरकारें वक्फ बिल के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट गई हैं। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी साजिश चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल दे रहे हैं दलील

एक याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल दलील दे रहे हैं। कोर्ट से उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद मूवेबल और इमूवेबल संपत्ति जो धर्म संबंधी है। उनको संरक्षित करता है। सिब्बल ने कहा कि मैं मोटे तौर पर बता दूं कि चुनौती किस बारे में है। संसदीय कानून के माध्यम से जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। मैं अनुच्छेद 26 का उल्लेख करता हूं और अधिनियम के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं।

सिब्बल ने कहा कि वक्फ के मामले में पर्सनल लॉ लागू होता है और मैं ऐसे में किसी अन्य का अनुसरण क्यों करूंगा। सिब्बल ने कहा कि 2025 अधिनियम की धारा 3 (आर) का संदर्भ देते हुए- वक्फ की परिभाषा देखिए- सिब्बल ने पढ़ा। यदि मैं वक्फ स्थापित करना चाहता हूं, तो मुझे यह दिखाना होगा कि मैं 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हूं। यदि मैं मुस्लिम पैदा हुआ हूं, तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा व्यक्तिगत कानून लागू होगा।

महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता – सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है? सीजेआई ने कहा कि हिंदू में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है। सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है, सभी समुदायों पर लागू होता है।

सीजेआई ने कही ये बातें

वही सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ से, व्याख्या आपके पक्ष में है। अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा, आपको तब तक आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।

जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील ने दी दलील

मौलाना अरशद मदनी की जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील के तौर पर कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि कलेक्टर का प्रोसेस न्यायिक प्रक्रिया नहीं है। सिब्बल ने धारा 7(ए) का हवाला देते हुए कहा कि इसमें 20 साल लगेंगे। इस पर सीजेआई ने कहा लेकिन यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। क्या कलेक्टर का फैसला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है? सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा ऐसा नहीं कहती।

तुषार मेहता ने कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से ऐसा कहा गया है। विश्वनाथन ने कहा कि मत उलझाओ, संपत्तियां धर्मनिरपेक्ष हो सकती हैं। केवल संपत्ति का प्रशासन ही इसके लिए उत्तरदायी हो सकता है, बार-बार अनिवार्य धार्मिक प्रथा न कहें। सिब्बल ने कहा कि कृपया धारा 9 देखें। कुल सदस्य संख्या 22 है, 10 मुस्लिम होंगे। सीजेआई ने कहा कि दूसरा प्रावधान देखें। क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे?

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा

अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि 8 लाख में से 4 वक्फ हैं, जो उपयोगकर्ता के द्वारा हैं। सीजेआई ने कहा कि क्षमा करें, हम बीच में नहीं बोलना चाहते, हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट वक्फ की जमीन पर बना है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि वक्फ की सभी जमीनें गलत हैं, लेकिन इसमें वास्तविक चिंता है।

वही अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अयोध्या के 118वें फैसले में कहा गया है कि यह बहुत पुरानी अवधारणा है। क्या आपने आधार हटा दिया है? 2(आर)(आई) हटा दिया गया है, लेकिन क्या आप फैसले का आधार हटा सकते हैं? व्यावहारिक रूप से देखें। अगर मैं देखूं कि संसद वक्फ है, तो आपका आधिपत्य स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन अवधारणा खराब नहीं है।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दिया ये दलील

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने अब तर्क देना शुरू किया। हेगड़े ने कहा कि आप पंजाब से हैं, आपको पता होगा कि अमृतसर गैर-सिख नियंत्रण में था और इसके लिए पूरे अकाली दल आंदोलन की आवश्यकता थी। अन्य वकीलों ने भी कानून पर रोक लगाने की मांग की.. सीजेआई ने कहा कि बस हो गया। अब हमें मौका दीजिए।

मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया

सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने कहा कि मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया गया था। वे संपत्ति के साथ कब छेड़छाड़ कर सकते हैं? नैतिकता, स्वास्थ्य आदि के अधीन, किसी को मुस्लिम के रूप में प्रमाणित करने के लिए उन्हें 5 साल की परिवीक्षा अवधि की आवश्यकता होती है।

कानून को बनाने के लिए जेपीसी का गठन था हुआ

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘अदालत इस समय उस कानून पर सुनवाई कर रही है, जिसे व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। अब मैं वह सच्चाई सामने रख रहा हूं, जिसे याचिकाकर्ता नजरअंदाज कर रहे हैं। इस कानून को बनाने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था। इस समिति ने 38 बैठकें कीं, देश के प्रमुख शहरों का दौरा किया, विभिन्न पक्षों से परामर्श किया और प्राप्त हुए 29 लाख सुझावों पर गंभीरता से विचार किया।

धार्मिक व्यवस्था पर नहीं, बल्कि कानून पर कर रहे बात

एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘पहले परिभाषा खंड पर एक नज़र डालें‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ सबसे विवादास्पद है। मैं इसे स्पष्ट कर दूं।’ इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, ‘क्या आप कह रहे हैं कि यदि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’, निर्णय द्वारा या अन्यथा स्थापित किया जाता है, तो आज उसकी कोई वैधता नहीं है?’ इस पर एसजी ने जवाब दिया कि जो प्रस्तुत किया गया है, वह सही वैधानिक योजना नहीं है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘मैं हिंदू हूं, मैं एक ट्रस्ट बनाता हूं, और कहता हूं कि सभी ट्रस्टी हिंदू होंगे। प्रशासन चैरिटी कमिश्नर के पास होगा। वहीं इस्लामी कानून में, संपत्ति को धर्मार्थ उद्देश्य के लिए अल्लाह को समर्पित किया जाता है। एक वक्फ होना चाहिए जो ट्रस्ट का निपटान करता है, और वह कहेगा कि इसका संचालन मुतवल्ली द्वारा किया जाएगा।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि वह यहां धार्मिक व्यवस्था पर नहीं, बल्कि कानून पर बात कर रहे हैं।

ट्रस्ट का उदाहरण न दिया जाए – सीजेआई 

सीजेआई ने कहा कि हम इस समय केवल ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ के विषय पर हैं। इस दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि ट्रस्ट का उदाहरण न दिया जाए, क्योंकि सबसे अधिक संभावना है कि वह हिंदू बंदोबस्ती का ही होगा, और आमतौर पर उसका प्रशासन हिंदू समुदाय ही करता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर दिया कि वे किसी भी तरीके से शासित हो सकते हैं, लेकिन अंततः वे वैधानिक ढांचे द्वारा ही नियंत्रित होते हैं। सीजेआई ने एसजी से कहा कि वे कोई उदाहरण प्रस्तुत करें। इस पर मेहता ने कहा, ‘ठीक है, इस पर नहीं जाते हैं।

जो वक्फ पंजीकृत हैं, वे वक्फ संपत्ति के रूप में रहेंगे

इसके बाद सीजेआई ने टिप्पणी की, ‘मेहता जी, जब हम हिंदुओं की बंदोबस्ती की बात करते हैं, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि यह आमतौर पर हिंदुओं की ही बंदोबस्ती होती है।’ इसके बाद मेहता ने कहा, अब हम मेरे संकलन पर आते हैं। 2025 अधिनियम से पहले जो वक्फ पंजीकृत हैं, वे वक्फ संपत्ति के रूप में बने रहेंगे। लेकिन यदि कोई यह कहता है कि वे पंजीकृत नहीं हैं, तो केवल वे संपत्तियां जो विवादों में हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सब वक्फ संपत्ति मानी जाएंगी।’ इस पर सीजेआई ने टिप्पणी की, ‘यह वक्फ संपत्ति क्यों नहीं रहेगी ? इसे सिविल कोर्ट को तय करने दिया जाना चाहिए।

सरकारी संपत्ति को लेकर एसजी ने कहा…

सीजेआई ने कहा कि अधिकांश मामलों में जैसे कि जामा मस्जिद, उसे ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ के रूप में माना जाएगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिक्रिया दी, ‘उन्हें पंजीकरण कराने से किसने रोका ? जस्टिस विश्वनाथन ने इस पर कहा, ‘सीजेआई जो कह रहे हैं, उसका तात्पर्य यह है कि यदि धारा 3(सी) लागू होती है, और सरकार यह दावा करती है कि वह संपत्ति उसकी है, तो क्या होगा? भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत कानून कहता है कि इस प्रकार के वास्तविक विवादों पर अदालत विचार करेगी।’ इस पर एसजी ने कहा, ‘माय लॉर्ड्स, कृपया मुझे अपना उत्तर पूरा करने दें। ऐसे कई फैसले हैं जो यह कहते हैं कि सरकार ट्रस्टी के रूप में ऐसी संपत्तियों को विनियमित कर सकती है।

यदि यह प्रश्न उठता है कि क्या कोई संपत्ति सरकारी है, तो कलेक्टर इसका निर्धारण करेगा। यह प्रावधान इसलिए लाया गया ताकि कोई इस पर विवाद न कर सके, क्योंकि सरकारी संपत्ति, सरकारी संपत्ति के अलावा कुछ और नहीं हो सकती।’ इस पर सीजेआई ने टिप्पणी की, ‘ऐसे में तो फिर आप पहले से की गई किसी भी घोषणा को रद्द करें जिसमें यह कहा गया हो कि संपत्ति वक्फ संपत्ति है।

कानून द्वारा स्थापित किसी चीज को खत्म करने जैसा होगा

सीजेआई ने कहा, ‘मुझे अब भी मेरा जवाब नहीं मिल पाया है।’ इस पर एसजी मेहता ने कहा, ‘अगर वह वक्फ पंजीकृत है, तो मैं उस पर हलफनामे के माध्यम से जवाब देने को तैयार हूं।’ सीजेआई ने आगे कहा, ‘यह कानून द्वारा स्थापित किसी चीज को खत्म करने जैसा होगा। आप इसे कैसे पंजीकृत करेंगे ? उप-धारा 2 पर गौर करें। जहां तक ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ का सवाल है, इसे पंजीकृत करना मुश्किल है। आपकी यह बात सही है कि इसका दुरुपयोग किया जाता है, लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा’ कोई भी वक्फ वास्तविक नहीं हो सकता। अगर आप इस तरह की संपत्तियों को वक्फ के रूप में चिह्नित करते हैं, तो यह गंभीर समस्या उत्पन्न करेगा। उप-धारा 2 का प्रावधान तो पूरी तरह इसके विपरीत है।

सीजेआई ने आगे टिप्पणी की, ‘कोई विधायिका (legislature) अदालत के किसी निर्णय या डिक्री को अमान्य घोषित नहीं कर सकती। आप कानून का आधार भले ही हटा सकते हैं, लेकिन किसी न्यायिक निर्णय को अप्रभावी नहीं ठहरा सकते। वह बाध्यकारी रहेगा।’ इस पर मेहता ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ये शब्द क्यों आए हैं। कृपया उस हिस्से को अनदेखा करें। मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो खुद को मुस्लिम वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं मानना चाहता। अगर कोई मुसलमान दान करना चाहता है, तो वह ट्रस्ट के माध्यम से भी ऐसा कर सकता है। इसके बाद एसजी और कपिल सिब्बल के बीच थोड़ी बहस शुरू हो गई, जिसे सीजेआई ने रोक दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

सीजेआई ने पूछा, “वक्फ बाय यूजर का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? यह बताने वाला कहां से आएगा कि वक्फ मैंने किया है? वक्फ कानून का दुरुपयोग होता आया है, लेकिन वक्फ बाय यूजर को पूरी तरह रोक देना सही नहीं लगता। अंग्रेजों के ज़माने में प्रिवी काउंसिल ने भी वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी थी।

इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा, “नया कानून मुसलमानों को खुद ट्रस्ट बनाने की अनुमति देता है और उनके लिए वक्फ को ही संपत्ति सौंपने की बाध्यता नहीं है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों के होने से वक्फ के काम पर कोई असर नहीं पड़ता। यह काफी हद तक एक एडवाइजरी संस्था है और इसमें केंद्र की तरफ से नामित प्रतिनिधि शुरू से हैं। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 2 पूर्व जज भी होंगे।” इस पर सीजेआई ने कहा, “वह गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।

मैं लिखित हलफनामा दे सकता हूं – एसजी तुषार मेहता

एसजी ने जवाब दिया, “इस हिसाब से तो आप भी इस मामले को नहीं सुन सकते। सीजेआई ने तुरंत कहा, “यह तुलना मत कीजिए। बेंच पर बैठे जज इन बातों से अलग हटकर सुनवाई करते हैं। एसजी ने कहा, “मैं सिर्फ याचिकाकर्ताओं की उस दलील की व्यर्थता के बारे में समझा रहा था। 22 में से अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे। सीजेआई ने पूछा, “क्या हम इस बात को रिकॉर्ड करें? एसजी ने कहा, “मैं लिखित हलफनामा दे सकता हूं। काउंसिल में शिया और दूसरे वर्गों के मुसलमानों को भी जगह दी गई है। 2 मुस्लिम महिलाओं को भी जगह दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इनके बाद नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। एसजी ने कहा, “हम दो हफ्ते में जवाब दाखिल कर देंगे।

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ट्रेड वॉर ! डोनाल्ड ट्रंप चीन से अब 245% टैरिफ लेंगे,100 फीसदी की वृद्धि

अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर गहराता जा रहा है। अब अमेरिका ने चीनी सामान पर 245% का टैरिफ लगाया है। यानी चीन से अमेरिका जाने वाले सामान पर 245% तक टैक्स देना होगा। व्हाइट हाउस के फैक्ट शीट से यह जानकारी मिली है। आपको बता दें कि यह तब हुआ है जब चीन ने अपनी एयरलाइनों को बोइंग जेट की कोई और डिलीवरी न लेने का आदेश दिया है। बीजिंग ने भी चीनी विमानन कम्पनियों को अमेरिकी कम्पनियों से विमान से संबंधित उपकरण और पुर्जों की खरीद रोकने का भी निर्देश दिया। चीन ने यह कदम अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ लगाने के पहले के फैसले के जवाब में किया है।

दोनों देशों में बढ़ी कड़वाहट

अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों पर अमेरिकी टैरिफ से 90 दिनों की राहत दी है लेकिन चीन को इससे अलग रखा है। इससे चीन और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है। ऐसे में साफतौर पर समझा जा सकता है कि डोनाल्ड ट्रंप का सीधा निशाना सिर्फ और सिर्फ चीन पर है। हालांकि दोनों देशों के बीच छिड़े टैरिफ वॉर से सिर्फ चीन और अमेरिका को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को नुकसान होगा।

बोइंग के शेयर में गिरावट

बोइंग के विमानों की चीन में डिलीवरी पर लगी रोक का असर बोइंग के शेयरों पर भी है। नैस्डैक पर 15 अप्रैल 2025 को सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर कंपनी का शेयर 3.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 153.61 अमेरिकी डॉलर पर कारोबार करता दिखा। 14 अप्रैल को कंपनी का शेयर 159.28 अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ था। बीते सत्र के मुकाबले बोइंग का शेयर आज 5.67 अमेरिकी डॉलर टूट चुका था। बोइंग का मार्केट कैप फिलहाल 115,023,910,927 अमेरिकी डॉलर है।

चीन ने कहा – अमेरिका के सामने झुकेंगे नहीं

टैरिफ वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि वह अमेरिका से ट्रेड वॉर नहीं चाहते हैं, लेकिन अमेरिकी दबाव के सामने चुप नहीं रहेगा। प्रवक्ता ने कहा कि अगर अमेरिका वास्तव में बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करना चाहता है, तो उसे दबाव डालना बंद करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि गेंद अब वाशिंगटन के पाले में है। प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने अमेरिका की निंदा की और कहा कि उन्होंने अपनी ताकत का गलत प्रयोग किया है, साथ ही चेतावनी दी कि इस तरह की रणनीति अमेरिकी के महानता को बहाल नहीं करेगी।

चीन ने बोइंग की रिपोर्ट का खंडन किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे ऐसी रिपोर्टों के बारे में जानकारी नहीं है कि बीजिंग ने बढ़ते व्यापार और सुरक्षा तनाव के बीच बोइंग जेट की डिलीवरी रोकने का आदेश दिया है।

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वक्फ बिल के विरोध मे राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को सौपा ज्ञापन

स्टेट हेड – सादिक़ अली। डूँगरपुर। मुस्लिम युवक संगठन के जिला अध्यक्ष अब्दुल गनी शेख द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपकर बताया गया कि लोकसभा में आंकड़े अधिक होने के कारण वक्फ संशोधन बिल को लागू किया गया हैं। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14,26, व 29 को प्रभावित करती हैं, यह सीधा सीधा संविधान पर हमला हैं। इस विवादास्पद बिल के कारण पूरे भारत मे मुसलमान प्रोटेस्ट और विरोध कर रहे है, यह एक काला कानून है।
राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को सौपा ज्ञापन
राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को सौपा ज्ञापन

यह सरकार देश मे मुसलमानों के धार्मिक स्थल को बुलडोजर से गिराया जा रहा हैं। तो वक्फ संशोधन बिल लाकर गरीब मुसलमानों का कैसे भला कर सकती है। भारत के मुसलमान को जातिगत अपमानित किया जाता हैं। संविधान में सबको अपना धर्म मनाने की इजाजत देता है। जब की तानाशाही सरकार द्वारा हमे यह साबित करना पड़ रहा हैं की हम क्या खाएं, क्या पीए, क्या कैसे सोए कैसे चले यह सरकार तय करेगी। यहां तक कि मुसलमानों को देश भक्ति का सबूत भी देना पड़ रहा हैं। जबकि हम मुसलमान इस देश के वफादार हैं। देश की आजादी मे हमारा खून भी बहा हैं।

वक्फ संशोधन बिल एक काला कानून – अब्दुल गनी शेख

माननीय राष्ट्रपति के नाम धरना प्रदर्शन और प्रोटेस्ट के माध्यम से आपका ध्यान आवंटित किया जाता हैं कि देश मे मुसलमानों के साथ जो कुछ हो रहा हैं वह ठीक नहीं है। वक्फ संशोधन बिल लाकर देश मे तबाही व दंगे के अलावा कुछ नहीं है। माननीया राष्ट्रपति महोदया से आग्रह है कि देश मे वक्फ कानून लाया गया है वह असंवैधानिक हैं। इसका पूरे भारत के मुसलमान पुरजोर विरोध करते हैं।

अत उक्त बिल हमारे पूर्वजों ने वक्फ की हुईं जमीनों को केंद्र सरकार छिनना चाहती हैं। अत देश के मुसलमानों के साथ गहरी साजिश है, इस बिल को सरकार वापस ले अन्यथा बड़ा आंदोलन होगा। इस अवसर पर अध्यक्ष अब्दुल गनी शेख, सलाउद्दीन फूमती, सूफियान सुई, मौलाना बिलाल, मौलाना हबीब, मौलाना जाकिर सहित समाजसेवी मौजूद रहे।

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वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम सुनवाई, 70 से ज्यादा याचिकाओं पर बहस आज

विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद से पारित होकर कानून बन चुके वक़्फ़ (संशोधन) एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। करीब 73 याचिकाएं वक्फ एक्ट के खिलाफ दायर की गई हैं।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ओवैसी, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के अरशद मदनी समेत कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं भी शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं जिन्हें सूचीबद्ध किया जाना है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की कैविएट

इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर कोई भी आदेश पारित करने से पहले मामले की सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। दरअसल, कविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।केंद्र सरकार ने हाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका

7 अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिये गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरू किया अभियान

वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका नाम वक्फ बचाव अभियान दिया गया है। इस अभियान का पहला चरण कुल 87 दिनों तक चलेगा। यह 11 अप्रैल से शुरू हो चुका है और 7 जुलाई तक चलेगा। इसे साथ ही वक्फ कानून के विरोध में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे। इसके बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।

वक्फ संशोधन बिल से जुड़ी अहम बातें

1.   देश आजाद होने के बाद 1950 में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनाने की जरूरत महसूस हुई।

2.    1954 में वक्फ एक्ट के नाम केंद्र सरकार ने कानून बनाया और सेंट्रल वक्फ काउंसिल का प्रावधान किया।

3.     1955 में इस कानून में बदलाव करते हुए हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की शुरुआत हुई।

4.    फिलहाल देश में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं। ये वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और रखरखाव करते हैं।

5.    कुछ प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड अलग हैं।

6.    1954 के इसी कानून में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल के जरिए बदलाव किया है।

वक्फ संशोधन कानून की टाइमलाइन

>>    वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को लोकसभा में 8 अगस्त, 2024 को पेश किया गया था।

>>    इस वक्फ (संशोधन) बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को 8 अगस्त, 2024 को भेजा गया था

>>    संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट 30 जनवरी, 2025 को प्रस्तुत की गई।

>>    वक्फ (संशोधन) बिल को लोकसभा में 2 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।

>>    वक्फ (संशोधन) बिल को राज्यसभा में 3 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।

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हज जाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सऊदी हज पोर्टल फिर से खुला

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी अरब ने संयुक्त हज समूह ऑपरेटरों (CHGO) के लिए हज (Nusuk) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की है। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी सरकार ने सीएचजीओ को बिना किसी देरी के अपनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए तत्काल निर्देश जारी किए हैं।

भारत सरकार के लोग गए थे जेद्दा

पिछले हफ्ते अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सचिव चन्द्रशेखर कुमार, संयुक्त सचिव सीपीएस बख्शी के साथ भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चल रही हज तैयारियों की समीक्षा करने के लिए जेद्दा गए थे। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 11 जनवरी से 14 जनवरी तक सऊदी अरब का दौरा किया।

दोनों देशों के बीच हुई थी द्विपक्षीय बैठक

इस यात्रा में हज यात्रा की तैयारियों के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इसमें हज 2025 के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर, हज और उमराह सम्मेलन और प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र में भाग लेना और सऊदी गणमान्य व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें शामिल थीं।

इन तारीखों के बीच हो सकती है हज यात्रा

इस साल हज 2025 में 4 जून से 9 जून के बीच होने की संभावना है, जो कि चांद के दिखने पर निर्भर करेगा। इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने, ज़िल-हज्ज की शुरुआत का संकेत देता है।

भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद खुला पोर्टल

भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों को बुलाने के लिए हज (https://www.nusuk.sa/) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

इस साल भारत से 1.75 लाख लोग जा सकते हैं हज

सरकार की 2025 की हज नीति के अनुसार, भारत को आवंटित कुल हज यात्रियों के कोटे में से 70 प्रतिशत कोटा भारतीय हज समिति द्वारा प्रबंधित किया जाएगा, जबकि शेष कोटा निजी हज समूह आयोजकों को आवंटित किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि सऊदी अरब द्वारा भारत को 2025 के लिए 1,75,025 (1.75 लाख) का कोटा आवंटित किया गया है।

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वक्फ कानून को लेकर सीएम योगी ने कहा लातों के भूत बातों से नहीं मानते

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे, दंगाई डंडे से ही मानेंगे। जानकारी दे दें कि सीएम योगी ने हरदोई जिले में अमर सेनानी राजा नरपति सिंह स्मारक स्थल पर आयोजित विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण/शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहीं पर सीएम योगी ने लोगों को संबोधित किया।

बांग्लादेश ही जाना चाहिए – सीएम योगी

आगे योगी आदित्यानाथ ने कहा कि मैं धन्यवाद दूंगा वहां के न्यायालयों को, जिन्होंने केंद्र से कह कर वहां पर सेंट्रल फोर्स की तैनाती कराई और हिंदुओं की रक्षा करने को कहा और आज वहां केंद्रीय बल तैनात है। आपने वहां की पीड़ा सुनी होगी, लेकिन सभी लोग मौन हैं, कांग्रेस मौन हैं, समाजवादी पार्टी मौन है। टीएमसी मौन है, वे धमकी पर धमकी दिए जा रहे हैं। समर्थन कर रहे हैं बांग्लादेश के अंदर जो हुआ था, बड़ी बेशर्मी के साथ उसका समर्थन कर रहे हैं। अगर उन्हें बांग्लादेश अच्छा लगता है तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए क्यों भारत के धरती पर बोझ बने हुए हो।

लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं – सीएम योगी

संबोधन के दौरान ही सीएम योगी ने बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात कही। सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को, हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। आप देख रहे होंगे बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाईयों को शांतिदूत कहती हैं। अरे लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं। सेक्युलिरजिम के नाम पर इन लोगों ने दंगा करने वालों को छूट दे रखी है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

क्या हुआ पश्चिम बंगाल में ?

जानकारी दे दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों की ओर से हिंसक प्रदर्शन किया गया, इस दौरान उपद्रवियों ने एक घर में घुसकर पिता और बेटे की हत्या भी कर दी। वे पिता-पुत्र मूर्ति बनाने का कार्य करते थे। वहीं, एक और युवकी गोलीबारी में मौत हो गई थी। अब तक मुर्शिदाबाद की हिंसा में 3 लोगों की जान जा चुकी है और 15 पुलिसकर्मी घायल हैं। इस हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में बड़ी संख्या में केंद्रीय बल के जवान तैनात किए गए हैं।

इसके अलावा, दक्षिण 24 परगना में भी वक्फ कानून को लेकर तनाव की स्थिति देखने को मिली है। यहां भांगर इलाके में बंगाल पुलिस से इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं की झड़प हुई, इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस की एक गाड़ी व कई बाइकों को भी आग के हवाले कर दिया।

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आखिरकार कैविएट याचिका क्या होती है? और कौन से दस्तावेज़ है जरूरी

वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए 15 अप्रैल को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि यह अब तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर लिस्ट नहीं हुआ है।

केंद्र सरकार ने दाखिल की है कैविएट याचिका

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है, जिसका मतलब होता है-‘सुने जाने की गुहार।’ इस याचिका में आग्रह किया गया है कि वक़्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार की बात को भी सुना जाए। तो सबसे पहले जान लीजिए कि ये कैविएट याचिका क्या होती है और इसे दाखिल करने की प्रक्रिया क्या होती है। तो बता दें कि कैविएट याचिका के तहत कोई पक्ष हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए आवेदन करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश बिना उसको सुने न पारित किया जाए।

कैविएट का मतलब क्या है

“केवियट” एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “सावधान”। दरअसल, “केवियट” एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है ?

किसी भी व्यक्ति द्वारा कैविएट दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है। कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है ?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

कैविएट से जुड़ी अहम बातें

जहां कोई कैविएट दाखिल कर दी गई है, वहां ऐसी कैविएट दाखिल किए जाने की तारीख से 90 दिन की समाप्ति के बाद तब तक प्रभावी नहीं रहेगी जब तक कि आवेदन ऐसी अवधि की समाप्ति से पूर्व न किया गया हो। कैविएट का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा करना जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर है या दायर होने की संभावना है। ऐसे मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किसी पक्ष द्वारा दाखिल आवेदन पर आदेश पारित किया जा सकता है।

ऐसा व्यक्ति जो कैविएट दाखिल करता है, उस व्यक्ति का ऐसे आवेदन में आवश्यक पक्षकार होना जरूरी नहीं है, लेकिन वह ऐसे आवेदन पर पारित आदेश से प्रभावित हो सकता है। कैविएट न्यायालय के बोझ को कम करने में सहायता करता है और कार्यवाही की बहुलता को कम करता है तथा मुकदमेबाजी को समाप्त करता है।

किसी मुकदमे या कार्यवाही में कैविएट का आवेदन दायर किया जा सकता है। हालांकि, कुछ उच्च न्यायालयों ने माना है कि अपील (चाहे पहली या दूसरी) या निष्पादन कार्यवाही के दौरान कैविएट के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। कैविएट दाखिल करने की तारीख से 90 दिनों से अधिक समय-सीमा तक वैध नहीं होगी। 90 दिन की अवधि बीत जाने के बाद, कैविएट का नवीनीकरण किया जा सकता है।

कैविएट याचिका क्या है

बता दे कि कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।

कैविएट दायर करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

>> कैविएट दाखिल करने वाले व्यक्ति का पहचान प्रमाण-पत्र जेसे की आधार-कार्ड

>> वकालत-नामा और उपस्थिति का ज्ञापन

>> कैविएट नोटिस की पंजीकृत डाक की रसीद

>> शपथ -पत्र

>> विवादित या मुल आदेश

>> कैविएट दाखिल करने के लिए इंडेक्स फॉर्म

कैविएट याचिका कैसे दायर करें

>> कैविएटर को शपथ-पत्र और याचिका पर हस्ताक्षर करना होगा।

>> शपथ-पत्र को अधिकृत शपथ आयुक्त द्वारा सत्यापित कराना चाहिए।

>> शपथ-पत्र और याचिका के साथ हस्ताक्षरित वकालत-नामा भी लगाना पड़ता है जो न्यायालय के समक्ष वकील को उसका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान करता है।

>> कैविएट याचिका के साथ विवादित या मूल आदेश (वह आदेश जिसके खिलाफ अपील या न्यायिक कार्यवाही की गई हो या करने की संभावना हो) संलग्न किया जाएगा।

>> वही कैविएट के नोटिस की तामील (पंजीकृत डाक की रसीद) न्यायालय में पेश किया जाना चाहिए, जिससे पता चले कि कैविएटर ने संबंधित पक्षों को उनकी कैविएट के बारे में सूचित कर दिया है।

>> कैविएट याचिका, शपथ-पत्र और सभी दस्तावेज निर्धारित प्रारूप में हों और न्यायालय के नियमों के अनुसार होने चाहिए।

read more :    ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप, समंदर में माल छोड़कर भाग रहे एक्सपोर्टर्स

ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप, समंदर में माल छोड़कर भाग रहे एक्सपोर्टर्स

पहले 34, फिर 50 और 20 पर्सेंट पहले से ही टैरिफ था, कुल मिलाकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ ठोककर एक प्रकार से ड्रैगन के खिलाफ आर्थिक युद्ध का ऐलान कर दिया। अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुई इस इकोनॉमिक वॉर ने चाइनीज ने एक्‍सपोर्टर्स में दहशत फैला दी है। चाइनीज एक्‍सपोर्टर्स टैरिफ के खौफ से इतने डरे हैं कि बीच समंदर अपना माल छोड़कर भाग रहे हैं।

टैरिफ से डर का माहौल है

आपको बता दे कि फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया से सभी शिपिंग प्लान रोक दिए हैं। हर फैक्ट्री ऑर्डर रद्द हो गया है। जो माल अभी तक लोड नहीं हुआ। उसे स्क्रैप किया जा रहा है और जो समंदर में है, उसकी नई कीमत लगाई जा रही है। एक क्लाइंट ने तो कंपनी को बताया कि वह समंदर में पहले से भेजे गए माल को छोड़ रहा है और शिपिंग कंपनी को दे रहा है। क्योंकि “टैरिफ लगने के बाद इसे कोई नहीं खरीदेगा।

चीन का एक्सपोर्ट प्रभावित

साउथ चाइना पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में लिस्टेड एक एक्सपोर्ट कंपनी के कर्मचारी ने कहा कि ट्रंप सरकार के नए टैरिफ के बाद उनकी अमेरिका को होने वाली डेली शिपमेंट 40-50 कंटेनर से गिरकर सिर्फ 3-6 कंटेनर रह गई है। अमेरिका ने चीन के सामान पर 104 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 115 फीसदी तक पहुंच गया है। इन नए टैरिफ ने बीजिंग को गुस्सा दिलाया है और ग्लोबल मार्केट्स में हड़कंप मचा दिया है। डर है कि इससे ट्रेड वॉर छिड़ सकता है।

अमेरिकी खरीदार भी हट रहे पीछे

चीन दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और उसने पिछले साल अमेरिका को 439 अरब डॉलर का सामान भेजा। जबकि अमेरिका ने चीन को सिर्फ 144 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया। लेकिन अब अमेरिकी खरीदार भी महंगाई के डर से पीछे हट रहे हैं। कुछ मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि रोजाना 300 कंटेनर के ऑर्डर कैंसल हो रहे हैं।

चीन में नौकरियां जाने का डर

नए टैरिफ और अनिश्चित बाजार के चलते एक्सपोर्टर्स अपने ऑपरेशन्स कम कर रहे हैं। कई फैक्ट्रियों में काम के घंटे घटाए जा रहे हैं और कर्मचारियों को कम शिफ्ट में काम करने को कहा जा रहा है। जिस कंपनी का कर्मचारी बात कर रहा था, उसके अमेरिकी ब्रांच ने फ्रंटलाइन वर्कर्स की छंटनी शुरू कर दी है। क्योंकि डिमांड बुरी तरह प्रभावित हुई है।

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