मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में आज अब्बास अंसारी के हेट स्पीच मामले को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अब्बास अंसारी समेत उसके भाई और मंसूर अंसारी को दोषी करार दिया है। इसके अलावा अब्बास अंसारी को दो साल की सजा सुनाई गई है और 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। बता दें कि अब्बास अंसारी, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी ने हेट स्पीच का प्रयोग किया था, जिसमें उन्हें दोषी करार दिया गया है।
सीजेएम कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
कोर्ट में सजा के ऐलान के बाद अब्बास अंसारी ने तय किया है कि वे मऊ के सीजेएम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ से सदर विधायक अब्बास अंसारी का आरोप है कि उनके पक्ष को पूरी तरह सुना नहीं गया। इसलिए अब वह शिकायत लेकर हाईकोर्ट जाएंगे।
बची रहेगी अब्बास अंसारी की सदस्यता
सजा के ऐलान से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि सजा की समयसीमा अब्बास अंसारी की विधायकी पर असर डाल सकती है। सवाल उठ रहे थे कि क्या सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द की जाएगी? हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता सुरक्षित है। क्योंकि अगर अब्बास अंसारी को दो साल से ज्यादा की सजा होती, तो उन्हें अपनी विधानसभा की कुर्सी छोड़नी पड़ती। हालांकि, मऊ की सीजेएम कोर्ट ने उन्हें ठीक दो साल की सजा सुनाई है।
हेट स्पीच का मामला क्या है ?
उत्तर प्रदेश के मऊ में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी ने जनसभा को संबोधित करने के दौरान कहा था कि चुनाव के बाद सरकार बनने के बाद अधिकारियों के साथ हिसाब-किताब बराबर कर लिया जाएगा। उनके इस बयान को लेकर काफी विवाद हुआ। इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने अब्बास अंसारी के चुनाव प्रचार पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी थी। वहीं केस दर्ज होने के बाद इस मामले में सुनवाई चल रही थी। इस मामले में उन्हें दोषी पाया गया है और अब्बास अंसारी को दो साल की सजा सुनाई गई है।
अब्बास अंसारी ने पहली बार में दर्ज की जीत
बता दें कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा और सुभासपा ने गठबंधन के तहत एक साथ चुनाव लड़ा था। इस गठबंधन में मऊ सदर विधानसभा सीट से सुभासपा को अपना प्रत्याशी उतारना था। ऐसे में सुभासपा ने अब्बास अंसारी को टिकट दिया। अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और उन्हें जीत भी हासिल हुई। हालांकि अब सुभासपा ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया है और वह भाजपा के साथ गठबंधन कर चुकी है। वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान ही अब्बास अंसारी ने हेट स्पीच दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
इजरायली सेना को लेबनान में एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। इजरायली सेना (आईडीएफ) ने एक एयरस्ट्राइक में हिजबुल्लाह का के टॉप कमांडर को मार गिराया है। इजरायली सेना ने अपने सोशलमीडिया एकाउंट एक्स पर जानकारी देते हुए बताया कि उसने दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्लाह के कमांडर मोहम्मद अली जमौल को ढेर कर दिया है। इजरायली सेना के अनुसार जमौल दक्षिणी लेबनान के डेर अल-ज़हरानी क्षेत्र में हिज़्बुल्लाह के रॉकेट सरणी के शाक़िफ़ क्षेत्र का कमांडर था।
हिजबुल्लाह का टॉप कमांडर मोहम्मद अली जमौल ढेर
आईडीएफ पर कई हमलों का था जिम्मेदार
इजरायली सेना के हमले में मारा गारा कमांडर मोहम्मद अली जमौल पूरे युद्ध के दौरान इज़रायली नागरिकों और आईडीएफ सैनिकों पर कई रॉकेट हमलों का जिम्मेदार था। मौजूदा वक्त में वह दक्षिणी लेबनान में फिर से हिज़्बुल्लाह आतंकवादी संगठन के बुनियादी ढांचे को स्थापित करने के प्रयासों में शामिल था। आईडीएफ ने बताया कि मोहम्मद अली जमौल की गतिविधियां इज़रायल और लेबनान के बीच हुए समझौते का स्पष्ट उल्लंघन थीं। इज़रायल पर उत्पन्न किसी भी खतरे को दूर करने के लिए आईडीएफ इस तरह से आतंकियों का सफाया करने का काम करना जारी रखेगा।
टाटा मोटर्स एक बार फिर से कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में एंट्री को तैयार है। टाटा पंच फेसलिफ्ट 2025 के रूप में कंपनी भारतीय बाजार में अपनी सबसे सस्ती 5-स्टार रेटेड एसयूवी को नए अवतार में पेश करने वाली है। टेस्टिंग के दौरान स्पॉट की गई पंच फेसलिफ्ट की तस्वीरों और डिटेल्स से यह साफ हो गया है कि ये एसयूवी स्टाइल, सेफ्टी और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का बेहतर कंबीनेशन होने वाली है। चलिए फीचर्स पर एक नजर डालते हैं।
डिजाइन में मिलेगा ईवी जैसा टच
नई टाटा पंच फेसलिफ्ट 2025 को टाटा पंच ईवी जैसा ही डिजाइन मिलने की उम्मीद है। टेस्टिंग के दौरान पूरी तरह से ढके मॉडल में सामने और पीछे की प्रोफाइल में कुछ कॉस्मेटिक बदलाव देखे जा सकते हैं। जिससे यह एसयूवी पहले से और ज्यादा मॉडर्न और यूथफुल दिखाई देगी। इसमें नया फ्रंट बंपर, ग्रिल पैटर्न, ईवी-इंस्पायर्ड डीआरएल, एलईडी टेललाइट्स और नए डिजाइन वाले स्टाइलिश अलॉय व्हील्स मिलने की संभावना है।
कैसा रहेगा इस एसयूवी का इंटीरियर ?
इंटीरियर की बात करें तो टाटा पंच फेसलिफ्ट को और ज्यादा स्मार्ट और प्रीमियम बनाने के लिए इसमें नया 2-स्पोक लेदरेट स्टीयरिंग व्हील मिलेगा। जिसमें टाटा का इल्यूमिनेटेड लोगो होगा। इसमें 7-इंच का टीएफटी डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, 10.2-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, वायरलेस एप्पल कारप्ले और एंड्रॉइड ऑटो, नया एफएटीसी (FATC) क्लाइमेट कंट्रोल पैनल, वायरलेस चार्जिंग, कप होल्डर और फैब्रिक सीट अपहोल्स्ट्री जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। डैशबोर्ड का लेआउट वर्तमान मॉडल जैसा ही रहेगा।
कैसा रहेगा इस एसयूवी का इंजन और परफॉर्मेंस
इंजन और परफॉर्मेंस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह एसयूवी पहले की तरह ही 1.2 लीटर 3-सिलेंडर नैचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन के साथ आएगी। जो 86 बी बीएचपी पावर और 113 एनएम टॉर्क जनरेट करता है। वहीं सीएनजी वर्जन 73.4 बीएचपी पावर और 103 एनएम टॉर्क देता है। इसमें 5-स्पीड मैनुअल और 5-स्पीड एएमटी ट्रांसमिशन ऑप्शन मिलते हैं। इस कार का क्लेम्ड माइलेज पेट्रोल वर्जन में 27 kmpl और सीएनजी वर्जन में 26.99 km/kg तक बताया गया है।
टाटा पंच फेसलिफ्ट का सेफ्टी फीचर्स
सेफ्टी फीचर्स की बात करें तो टाटा पंच फेसलिफ्ट में पहले से बेहतर सुरक्षा मिलेगी। यह पहले ही जीएनसीएपी क्रैश टेस्ट में 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग हासिल कर चुकी है। फेसलिफ्ट वर्जन में 6 एयरबैग्स, रिवर्स कैमरा, ईबीडी के साथ एबीएस और संभावित रूप से इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए जाएंगे।
इस एसयूवी की कीमत और लॉन्च टाइमलाइन
इस कार को भारत में त्योहारी सीजन 2025 में लॉन्च किया जा सकता है और इसकी अनुमानित एक्स-शोरूम कीमत लगभग 6 लाख से 9.5 रुपये लाख तक हो सकती है। लॉन्च के बाद इसका मुकाबला हुंडई एक्सटर, मारुति सुजुकी फ्रोंक्स और सिट्रोएन सी3 जैसी एसयूवी से होगा। अगर आप 10 लाख से कम कीमत में एक ऐसी एसयूवी की तलाश में हैं। जिसमें जबरदस्त माइलेज, स्टाइलिश और प्रीमियम डिजाइन, स्मार्ट फीचर्स, सनरूफ, 6 एयरबैग्स और 5-स्टार सेफ्टी मिले, तो टाटा पंच फेसलिफ्ट 2025 आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।
सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार ने सवर्णों के विकास के लिए एक आयोग का गठन किया है। उच्च जातियों के विकास के लिए बने इस आयोग के अध्यक्ष वरिष्ठ भाजपा नेता महाचंद्र सिंह बनाए गए हैं, जबकि जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष बनाया गया है। दयानंद राय, जय कृष्ण झा, राजकुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। आपको बता दे कि यह नियुक्ति आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों की सहयोगात्मक रणनीति को दर्शाती है। सीएम नीतीश ने इससे पहले साल 2011 में सवर्ण आयोग बनाया था, हालांकि कुछ कारणों के चलते उसे बाद में निष्क्रिय कर दिया गया था।
क्या होगा इस आयोग का काम ?
सीएम नीतीश ने जो आयोग बनाया है, उसका काम सवर्ण वर्ग के मुद्दों को उठाना और उनका समाधान होगा। सीएम नीतीश के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये सब चुनावी प्रयोग है। सीएम नीतीश हर वर्ग को अपनी ओर लाना चाहते हैं। इसी के तहत ये फैसला लिया गया है।
सभी सदस्यों का तीन साल होगा कार्यकाल
इस आयोग में एक अध्यक्ष एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद को उच्च जाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है। अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्षों का होगा।
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग को मिला नया अध्यक्ष
इसी के साथ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पश्चिम चंपारण के शैलेंद्र कुमार को आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ सुरेंद्र उरांव उपाध्यक्ष होंगे, जबकि प्रेमलीला गुप्ता, तल्लू बास्के और राजू कुमार को सदस्य बनाया गया है। इस आयोग का भी कार्यकाल तीन साल होगा।
सीएम नीतीश ने किया अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन
यह घोषणा जेडीयू के गुलाम रसूल को राज्य के अल्पसंख्यक आयोग का प्रमुख नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद हुई है। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया था। अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन गुलाम रसूल बलयावी बनाया गया था। आयोग में 10 अन्य सदस्य भी बनाए गए हैं। गुलाम रसूल पार्टी के सीनियर नेता हैं और पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं।
बिहार में इसी साल होने वाले हैं विधानसभा चुनाव
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में राजनीतिक माहौल पहले से ही गरमा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता में बने रहने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं, आरजेडी भी सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत है। आरजेडी और कांग्रेस ने अभी से ही चुनावी वादे भी करना शुरू कर दिए हैं। महागठबंधन ने बिहार की जनता से वादा किया है कि सत्ता में आने पर 2500 रुपये महिलाओं को दिए जाएंगे।
ब्यूरो चीफ कानपुर। पीएम नरेंद्र मोदी कानपुर पहुंचे और यहां सभा को संबोधित किया। कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया। पीएम नरेंद्र मोदी पहलगाम अटैक में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिजनों से भी मुलाकात की। शुभम द्विवेदी के परिजनों से मिले तो शुभम की पत्नी ईशान्या की आंखों में आंसू देख भावुक हो गए। बता दें कि शुभम द्विवेदी की पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान चली गई थी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगी लड़ाई। इसके बाद पीएम मोदी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और 47 हजार करोड़ के विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसभा को संबोधित किया और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर न्याय का संकल्प है। सीएम योगी ने कहा कि यूपी की धरती पर पीएम मोदी का स्वागत है।
कानपुर में छाया सिंदूर
कानपुर में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ऑपरेशन सिंदूर छाया हुआ नजर आया है, जहां एक तरफ यहां गेट के ऊपर ऑपरेशन सिंदूर देखने को मिला। तो वहीं दूसरी तरफ हजारों की संख्या में महिलाएं सिंदूर लगाकर बैठी हुई नजर आईं। वह भी लाल साड़ी में महिलाओं ने पीएम मोदी का आभार जताया और कहा कि आज वह आभार जताने के लिए यहां पर आई हुई हैं। क्योंकि पीएम मोदी ने उनके सिंदूर का मान रखा है। इसलिए वह उनका धन्यवाद देने यहां पर आयी हैं।
भारत का शौर्य दुनिया ने देखा – सीएम योगी आदित्यनाथ
वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर न्याय का संकल्प है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में सेना ने अपना शौर्य दिखाया। भारत का शौर्य दुनिया ने देखा है। सीएम योगी ने कहा ऑपरेशन सिंदूर के बाद यूपी में पहली बार पीएम मोदी का आगमन हुआ है। पीएम मोदी का गंगा की धरा कानपुर में स्वागत करता हूं। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत की सेना के शौर्य और पराक्रम को दुनिया मान रही है।
न्यू डिफेंस पालिसी से दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को नष्ट किया गया, ये पीएम के द्वारा मेड इन इंडिया कार्यक्रम की वजह से संभव हो पाया। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के चलते ही ऐसा संभव हो पाया है। इन योजनाओं के माध्यम से विकास की गति को बढ़ावा मिल रहा है। मेट्रो का अपने शुभारम्भ किया था। मोतीझील तक आईआईटी से उसके सेकंड फेज का शुभारंभ आज होने जा रहा है, आपका हृदय से आभार।
ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है – पीएम मोदी
हमने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने अंदर जाकर तबाह कर दिए और हमारी सेना ने ऐसा पराक्रम किया कि पाकिस्तानी सेना को गिड़गिड़ाकर युद्ध रोकने की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा। सेना के इस शौर्य को सैल्यूट करता हूं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जो दुश्मन गिड़गिड़ा रहा था। वो किसी धोखे में ना रहे। यह ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है।
कानपुरिया में कहूं तो दुश्मन कहीं भी हों, होंक दिया जाएगा – पीएम मोदी
भारत हर आतंकी हमले का करार जवाब देगा। समय, तरीका और जवाब देने की शर्तें हमारी सेना खुद तय करेंगी। भारत अब ऐटम बम की गीदड़भभकी से नहीं डरेगा। आतंक के आका और आतंकी सरपरस्त सरकार को भारत एक ही नजर देखेगा। पाकिस्तान का खेल अब ज्यादा चलने वाला नहीं है। अगर मैं सीधे सीधी कानपुरिया में कहूं तो दुश्मन कहीं भी हों, होंक दिया जाएगा।
ब्रह्मोस का नया पता उत्तर प्रदेश है – पीएम नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि जैसे कानपुर में पुरानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री हैं। वैसी 7 फैक्ट्रियों को हमने आधुनिक बना दिया है। एक समय जहां से पारंपरिक उद्योग पलायन कर रहे थे। वहां अब डिफेंस सेक्टर की बड़ी कंपनियां आ रही हैं। यहां पास ही अमेठी में एके 57 का निर्माण किया जा रहा है। ब्रह्मोस का नया पता उत्तर प्रदेश है। यहां बड़े पैमाने पर निवेश आएगा और युवाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।
कानपुर का पुराना गौरव फिर लौटेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों की वजह से यूपी पीछे रह गया। उन्होंने उद्योगों को नजरअंदाज किया। पिछली सरकारें आंखें बंद करके बैठी हुई थीं। कानपुर का पुराना गौरव फिर लौटेगा। यूपी में नए पावर प्लांट लगेंगे। आज यही यूपी विकास के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। मेट्रो सेवा से ही कानपुर को कितना फायदा होने जा रहा है। इससे हमारे व्यापारियों और आम लोगों को कितना फायदा हो रहा है। इससे उनके समय की बचत हो रही है। शहर की गति की शहर की प्रगति बनती है।
यूपी में बह रही विकास की बयार
जिस यूपी पहचान टूटी सड़कों की वजह से होती थी, वहां एक्सप्रेस वे बन रहे हैं। जहां यूपी में रात को लोग निकलने से डरते थे। आज वो बेहतर एक्सप्रेस वे पर निकल रहे हैं। कुछ ही दिनों में कानपुर एक्सप्रेस वे से लखनऊ और कानपुर बेहद कम समय में पहुंच पाएंगे। कानपुर के लोगों को अब तक फरुर्खाबाद अनवरगंज सेक्शन में सिंगल लाइन से दिक्कत होती रही हैं। 18 रेलवे क्रॉसिंग से संघर्ष करना पड़ता था। अब यहां भी एक हजार करोड़ रुपये खर्च करके एलिवेटिड रोड बनने जा रहा है। कानपुर के लोगों का इससे समय बचेगा। कानुपर सेंट्रल स्टेशन को भी अपग्रेड करके विश्वस्तरीय एयरपोर्ट की तरह रूप दिया जा रहा है।
हमने आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक वक्त था, जब भारत सैन्य जरूरतों के लिए अपनी रक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता था। हमने उन हालातों को बदलने को शुरुआत की है। भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर हो, ये हमारी अर्थव्यवस्था के लिए तो जरुरी है। ये देश के आत्मसम्मान के लिए भी उतना ही जरुरी है। इसलिए हमने देश को उस निर्भरता से आजादी दिलाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया।
दो साल से अधिक समय के बाद अब देश के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड पर आज कोर्ट का फैसला आ गया है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने इस मामले पर सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में तीनों आरोपियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई कुल दो साल आठ महीने तक चली। इस दौरान तमाम सबूतों और गवाहों को पेश किया गया। इसमें कुल 100 गवाह पेश किए गए। वहीं मामले की जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया गया, जिसने 500 से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी।
तीनों दोषियों को कितनी सजा हुई ?
कोर्ट ने पुलकित आर्य पर धारा 302 आईपीसी में कठोर आजीवन कारावास के साथ-साथ 50000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष कठोर कारावास के साथ 10000 रुपये जुर्माना, धारा 354 ए आईपीसी में 2 वर्ष का कठोर कारावास और ₹10000 जुर्माना और धारा 3(1)D आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास व ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है। इस तरह से पुलकित आर्य पर कुल 72000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को धारा 302 आईपीसी के तहत आजीवन कठोर कारावास और 50000 रुपये जुर्माना, धारा 201 आईपीसी के तहत 5 वर्ष कठोर कारावास व ₹10000 जुर्माना और 3(1)D आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास व ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है। इसके अलावा 4 लाख प्रतिकर मृतिका के परिजनों को देना है।
नहर से शव मिलने के बाद मचा हड़कंप
दरअसल, 18 सितंबर 2022 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई। अंकिता भंडारी यमकेश्वर के वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। अचानक अंकिता भंडारी रिजॉर्ट से लापता हो गई और उसका शव नहर से बरामद हुआ, जिसके बाद हड़कंप मच गया। रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो साथियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर अंकिता भंडारी की हत्या की। उन्होंने अंकिता भंडारी को नहर में धक्का दे दिया था। फिलहाल इस केस में रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य और दो अन्य साथी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता जेल में बंद हैं।
अंकिता भंडारी की हत्या के पीछे क्या थी वजह ?
जानकारी के मुताबिक अभियोजन पक्ष के अनुसार किसी बात को लेकर अंकिता और पुलकित आर्य में विवाद हो गया था। इस विवाद के बाद रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर अंकिता की हत्या की थी। इस केस में तीनों आरोपियों को 23 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में पूछताछ के दौरान इन्होंने हत्या की बात भी स्वीकार की। तीनों के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया। वहीं अंकिता के परिजनों की मांग पर 3 बार सरकारी वकील बदले गए।
इस मामले में अंकिता के भाई और उसके पिता को सरकारी नौकरी दी गई। वहीं धामी सरकार ने अंकिता भंडारी के परिवार को ₹25 लाख की आर्थिक मदद भी दी। बता दें कि पुलकित आर्य भाजपा के तत्कालीन नेता विनोद आर्य का पुत्र है। हालांकि मामला सामने आते ही पार्टी ने आर्य को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वहीं घटना के बाद देश के लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया। लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किए।
डीपीएस द्वारका और 100 से ज्यादा पैरेंटस् के बीच फीस बढ़ोतरी के विवाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नया अंतरिम आदेश दिया है। जिसमें स्कूल को सभी नाम काटे गए बच्चों को वापस लेने का कहा गया। वही साथ ही बच्चों के माता-पिता को भी यह निर्देश दिया गया कि वे बढ़ी हुई फीस का 50 फीसदी पैसा स्कूल फीस के रूप में जमा करें। हाईकोर्ट के जस्टिस विकास महाजन ने जारी अपने आदेश में साफ किया कि 50 प्रतिशत की छूट फीस के बढ़े हुए हिस्से पर है। जबकि पहले से दी रही पूरी फीस पैरेंट्स को देनी होगी।
क्या कहा था याचिका में ?
हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश 102 अभिभावकों की याचिका पर पारित किया। जिसमें डीपीएस द्वारका में चल रही फीस बढ़ोतरी के मुद्दे के बीच अपने बच्चों की सुरक्षा और दिल्ली सरकार और एलजी से इसका अधिग्रहण करने की भी मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि पिछले कुछ सालों में स्कूल ने अभिभावकों से अस्वीकृत फीस वसूलने के लिए दबाव बनाया है। अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल ने बाउंसरों को रखकर खराब, गंदे और अमानवीय व्यवहार का तरीका अपनाया है।
हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
वही हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए टिप्पणी की कि इस मामले में एकेडमिक ईयर 2025-26 के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई। फौरी राहत उसे संतुष्ट नहीं कर पा रही है, क्योंकि ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड रखा नहीं गया है। जिससे यह पता चल सके कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एकेडमिक ईयर 2024-25 से आगे के लिए स्कूल द्वारा फीस निर्धारण को खारिज किया है।
आदेश में आगे कहा गया, “जब तक शिक्षा निदेशालय स्कूल के फाइनेंशियल डिटेल की समीक्षा नहीं करता और अपने फैसलों के आधार पर एकेडमिक सेशन 2024-25 से आगे के लिए फीस बढ़ोतरी के प्रावधान वाले बयान को मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायीकरण की कसौटी में खारिज नहीं करता, तब तक ऊपर उल्लिखित कानून में फीस में ऐसी बढ़ोतरी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
देनी होगी पैरेंट्स को बढ़ी फीस
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के पैरेंट्स को एकेडमिक ईयर 2024-25 के लिए स्कूल द्वारा लगाई गई। फीस का भुगतान करना चाहिए, जबतक कि शिक्षा निदेशालय इस पर कोई फैसला नहीं ले लेता और रिट याचिका के अंतिम रिजल्ट के अधीन है। कोर्ट ने स्कूल के वकील की उस दलील पर गौर किया। जिसमें संस्थान याचिकाकर्ताओं द्वारा बढ़ी हुई स्कूल फीस का 50 प्रतिशत भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।
कोर्ट ने कहा इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ताओं के बच्चों को वर्तमान याचिका के लंबित रहने तक अपनी संबंधित कक्षाओं में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। बशर्ते कि पैरेंटेस् को एकेडमिक ईयर 2024-25 के लिए बढ़ी हुई फीस का 50 फीसदी जमा करें। यह स्पष्ट किया जाता कि 50 प्रतिशत की छूट फीस के बढ़े हुए हिस्से पर है, आधार शुल्क का पूरा भुगतान किया जाएगा।
सरकार और एलजी को भेजा नोटिस
इसके साथ हाईकोर्ट ने मुख्य याचिका पर स्कूल, एलजी और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी तकिया और उन्हें 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने की मोहलत दी और मामले की सुनवाई को अगले 28 अगस्त के लिए लिस्टेड कर दिया। बता दें कि पैरेंट्स के वकील ने कोर्ट से बताया था कि स्कूल ने फीस में 7000 रुपये प्रति माह बढ़ोतरी की और अब इसमें 9000 रुपये मासिक की बढ़ोतरी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने 40 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के आरोपी 23 वर्षीय इन्फ्लुएंसर को इस बात पर गौर करते हुए अंतरिम जमानत दे दी कि 9 महीने से जेल में होने के बावजूद उसके खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए हैं और अदालत ने कहा कि पीड़िता ‘‘बच्ची नहीं है’’ और ‘‘एक हाथ से ताली नहीं बजती’’।
महिला ने इन्फ्लुएंसर को दिलाया आईफोन
शुरुआती बातचीत के दौरान आरोपी ने कथित तौर पर प्रचार सामग्री को प्रभावशाली दिखाने के लिए एक आईफोन का अनुरोध किया, जिसे उसने जम्मू में एक अधिकृत ‘एप्पल स्टोर’ के माध्यम से उपलब्ध कराया। हालांकि, आरोपी द्वारा आईफोन को बेचने का प्रयास करने के बाद उनके प्रोफेशनल रिलेशन खराब हो गए। अधिकृत विक्रेता ने 20,000 रुपये काटने के बाद महिला के खाते में रुपये वापस कर दिए। शिकायत में कहा गया कि हालांकि, आरोपी ने रुपये वापस करने का वादा किया था, लेकिन कुछ समय बाद महिला ने उससे सभी संबंध खत्म करने का फैसला किया।
‘युवक ने बेहोश कर रेप किया, अश्लील तस्वीरें खींचीं’
युवक दिसंबर 2021 में 20,000 रुपये वापस करने और माफी मांगने के लिए नोएडा में महिला के घर गया। इसके बाद उसने महिला को कनॉट प्लेस में एक प्रचार सामग्री की शूटिंग के वास्ते यात्रा करने के लिए राजी कर लिया। यात्रा के दौरान आरोपी ने कथित तौर पर उसे नशीले पदार्थ मिली मिठाई दी और वह बेहोश हो गई। आरोपी ने उसे हिंदू राव अस्पताल ले जाने की बात कही लेकिन वह महिला को कथित तौर पर अस्पताल के पीछे एक सुनसान इलाके में ले गया और उसका यौन उत्पीड़न किया, उसके पर्स से रुपये चुरा लिये और उसकी अश्लील तस्वीरें खींचीं।
शिकायत के अनुसार इसके बाद महिला को जम्मू जाने के लिए कथित तौर पर मजबूर किया गया, जहां ढाई साल की अवधि में लगातार उसका यौन शोषण किया, जबरन वसूली की और धमकियां दीं। इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 354 (महिला पर हमला), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और 34 के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की गई।
महिला 7 बार जम्मू गई और पति को आपत्ति भी नहीं हुई – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए यह भी पूछा कि दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला कैसे दर्ज कर सकती है, जबकि महिला स्वेच्छा से उसके साथ गई थी। बेंच ने कहा, ‘‘एक हाथ से ताली नहीं बजती। आपने (दिल्ली पुलिस) किस आधार पर आईपीसी की धारा 376 के तहत केस दर्ज किया है। वह बच्ची नहीं है। 40 साल की महिला है। वे दोनों एक साथ जम्मू गए। आपने धारा 376 क्यों लगाई है। यह महिला सात बार जम्मू जाती है और पति को कोई आपत्ति नहीं होती ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अंतरिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला है क्योंकि आरोपी 9 महीने से जेल में है और आरोप तय नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपी को अधीनस्थ अदालत में पेश किया जाए और नियमों-शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत दी जाए। बेंच ने कहा कि वह अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और महिला से संपर्क करने का प्रयास नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर भी टिप्पणी करते हुए पूछा, ‘‘ऐसे लोगों से कौन प्रभावित होता है ?
क्या है पूरा मामला ?
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ आरोपी युवक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। हाईकोर्ट ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था। पुलिस की शिकायत के अनुसार महिला पहली बार 2021 में सोशल मीडिया के माध्यम से आरोपी के संपर्क में आई जब वह अपने कपड़ों के ब्रांड के प्रचार के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की तलाश कर रही थी।
मणिपुर में सरकार बनाने की हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के नेता राधेश्याम सिंह ने 28 मई 2025 को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात करने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश किया है। बीजेपी नेता ने नौ अन्य विधायकों के साथ राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की। बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने कहा कि 44 विधायक जनता की इच्छा के अनुसार सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। हमने राज्यपाल को यह बता दिया है। हमने इस मुद्दे के लिए क्या समाधान हो सकते हैं, इस पर भी चर्चा की। 44 विधायक जनता की इच्छा के अनुसार सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “राज्यपाल ने हमारी बातों पर गौर किया और लोगों के सर्वोत्तम हित में कार्रवाई शुरू करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह सरकार बनाने का दावा करेंगे तो उन्होंने कहा कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व निर्णय लेगा।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है
बीजेपी नेता एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। मई 2023 में शुरू हुए मेइती और कुकी समुदाय के बीच हुए जातीय हिंसा को लेकर कांग्रेस ने एन बीरेन सिंह की सरकार पर जमकर निशाना साधा था। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 59 विधायक हैं। एक सीट एक विधायक के निधन के कारण खाली है। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में कुल मिलाकर 44 विधायक हैं। जिसमें 32 मेइती, तीन मणिपुरी मुस्लिम और नौ नगा विधायक हैं।
हम तैयार हैं – भाजपा नेता राधेश्याम सिंह
भारतीय जनता पार्टी नेता राधेश्याम सिंह ने कहा की यह बताना कि हम तैयार हैं, सरकार बनाने का दावा पेश करने जैसा है। विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत ने 44 विधायकों से व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से मुलाकात की है। किसी ने भी नई सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा लोगों को बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कार्यकाल में कोविड के कारण दो साल बर्बाद हो गए थे और इस कार्यकाल में संघर्ष के कारण दो और साल बर्बाद हो गए हैं।
देश भर के साथ ही गाजियाबाद में कोरोना वायरस एक बार फिर रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। बीते कुछ दिनों में पॉजिटिव मामलों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। गाजियाबाद में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 14 है। लेकिन ताजा मामले ने सबको चौंका दिया है। गाजियाबाद के महरौली क्षेत्र से सामने आए इस केस में 4 महीने का मासूम बच्चा कोरोना संक्रमित पाया गया है। यह मामला जिले में चिंता का कारण बन गया है। हालांकि राहत की बात यह है कि बच्चे के संपर्क में आए परिवार के अन्य सभी सदस्य सुरक्षित हैं और उनकी कोविड 19 रिपोर्ट निगेटिव आई है। लेकिन जब परिवार के सभी लोग कोरोना नेगेटिव तो ये नवजात बच्चा कैसे पॉजिटिव हो गया। आइये जानते हैं।
बच्चे को सर्दी जुकाम और बुखार की थी शिकायत
दरअसल महरौली में रहने वाले परिवार ने अपने 4 महीने के बच्चे में सर्दी-जुकाम और हल्के बुखार जैसे लक्षण देखे थे। पहले तो परिजनों ने सोचा कि यह मौसम में बदलाव के कारण है, लेकिन जब लक्षण 2 दिन तक बने रहे, तो वे बच्चे को नोएडा के निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों की सलाह पर बच्चे का कोविड टेस्ट कराया गया और कोविड 19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बच्चे के पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम तुरंत सक्रिय हुई और परिवार के अन्य सदस्यों का टेस्ट करवाया गया। गनीमत यह रही कि सभी अन्य सदस्य की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके बावजूद पूरे परिवार को ऐहतियात के तौर पर होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाके में सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और आसपास के लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करें।
14 मरीज कोरोना संक्रमित
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर के गुप्ता का कहना है कि गाजियाबाद में अब तक 14 मरीज कोरोना संक्रमित है। इनमें से 13 मरीज होम आइसोलेशन में हैं और एक मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं महरौली के रहने वाले परिवार के 4 महीने के बच्चे की भी तबीयत खराब होने पर परिवार द्वारा उसे नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया। डाक्टरों द्वारा कोविड टेस्ट कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बच्चे के परिवार के अन्य सदस्यों का भी कॉविड टेस्ट कराया गया है, लेकिन सभी लोग नेगेटिव हैं।
कानपुर मेट्रो परियोजना के चार भूमिगत स्टेशनों के निर्माण कार्य से जुड़ी तुर्की कंपनी गुलेरमक के शहर छोड़कर भागने से स्थानीय ठेकेदारों के लगभग 80 करोड़ रुपये का भुगतान बीच अधर में लटक गया है। कानपुर मेट्रो परियोजना के भूमिगत स्टेशनों के निर्माण में संलग्न तुर्की कंपनी गुलेरमैक सैम इंडिया के शहर छोड़कर भागने की घटना ने स्थानीय ठेकेदारों और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। कंपनी पर 40 ठेकेदारों के करीब 80 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को लंबित रखने का आरोप है। ठेकेदारों का दावा है कि पिछले दस महीनों से भुगतान नहीं किया गया, और भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की की कथित भूमिका को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद कंपनी ने भुगतान में जानबूझकर देरी की।
क्या है पूरा मामला ?
ठेकेदारों के अनुसार गुलेरमैक के सभी वरिष्ठ अधिकारी शहर छोड़कर फरार हो गए हैं। फोन पर संपर्क करने पर कंपनी के अधिकारियों ने अस्पष्ट और टालमटोल भरे जवाब दिए। इस मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद नौ ठेकेदारों ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कर त्वरित हस्तक्षेप की मांग की।
ठेकेदारों ने अपने बकाया भुगतान का विवरण साझा किया, जिसमें मेट्रो मार्बल के 3.70 करोड़, रेडिएंट सर्विसेज के 1.20 करोड़, श्रेयांस इन्फ्राटेक के 1.70 करोड़, एस इंटीरियर के 74.80 लाख, एमडी एहसान पेंटर के 39.80 लाख, विनोद गुप्ता एंटरप्राइजेज के 8.54 लाख, नंदन प्रीफैब के 29.50 लाख और श्री बालाजी एंटरप्राइजेज के 21.50 लाख रुपये शामिल हैं। ठेकेदारों का कहना है कि कंपनी ने बार-बार भुगतान का आश्वासन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यूपीएमआरसी बची जारी करने के लिए बाध्य
यूपीएमआरसी के संयुक्त महाप्रबंधक (जनसंपर्क) पंचानन मिश्रा ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि गुलेरमैक ने कानपुर मेट्रो के कॉरिडोर-1 के चार स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा किया था और इसके लिए यूपीएमआरसी ने कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये ठेकेदार गुलेरमैक के सब-कॉन्ट्रैक्टर्स हैं, और अनुबंध के अनुसार, मेट्रो ने 5 प्रतिशत राशि रिजर्व में रखी है। जो एक वर्ष बाद जारी की जाएगी। यदि गुलेरमैक ठेकेदारों को भुगतान करने में विफल रहती है। तो यूपीएमआरसी इस राशि को ठेकेदारों को जारी करने के लिए बाध्य होगी।
कानपुर मेट्रो परियोजना में प्रबंधन में खामिया हुई उजागर
यह घटना कानपुर मेट्रो परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं और प्रबंधन में खामियों को उजागर करती है। ठेकेदारों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप और अपने बकाया भुगतान की वसूली के लिए कार्रवाई की मांग की है। इस मामले ने स्थानीय ठेकेदारों और श्रमिकों में व्यापक असंतोष और आक्रोश को जन्म दिया है, जो अपने हक के लिए संघर्षरत हैं। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है।
बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम की घोषणा कर दी है और इस बार टीम की कमान युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को सौंपी गई है। लंबे समय से जसप्रीत बुमराह भी टेस्ट टीम की कप्तानी की रेस में माने जा रहे थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने गिल पर भरोसा जताते हुए उन्हें कप्तान नियुक्त किया है। इस फैसले की वजह भी सामने आ गई है। टीम के ऐलान के बाद चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर ने बताया कि क्यों टेस्ट कप्तान के तौर पर बुमराह के ऊपर शुभमन गिल को तरजीह दी गई। चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर ने कहा कि बुमराह के पूरी सीरीज खेलने की गारंटी नहीं है। अगरकर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि बुमराह इंग्लैंड के सभी पांच टेस्ट मैचों के लिए उपलब्ध रहेंगे। चाहे वो तीन मैच खेलें या चार, इसका आकलन हमें फिजियो टीम के साथ मिलकर करना होगा।
बुमराह कप्तानी की रेस में क्यों पिछड़े ?
चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर के इस बयान से साफ है कि बुमराह की फिटनेस और वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए चयन समिति ने यह फैसला किया। तेज गेंदबाज के तौर पर इंग्लैंड में लगातार पांच टेस्ट खेलना किसी भी खिलाड़ी के लिए चुनौती भरा होता है, और ऊपर से कप्तानी की जिम्मेदारी लेना उनके लिए और जोखिम भरा हो सकता था। बुमराह की चोटों का इतिहास भी इस फैसले का अहम कारण बना। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले टेस्ट में बुमराह ने कप्तानी करते हुए टीम इंडिया को जीत को दिलाई थी, लेकिन फिर आखिरी टेस्ट मैच में लगातार गेंदबाजी करने के चलते चोटिल हो गए। इसके बाद मैदान पर वापसी के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा था।
गिल पर क्यों जताया भरोसा ?
शुभमन गिल न केवल फिट और सभी टेस्ट खेलने के लिए उपलब्ध हैं, बल्कि हाल ही में उन्होंने अपनी कप्तानी में जबरदस्त समझदारी और धैर्य दिखाया है। खासकर आईपीएल (IPL) 2025 में गुजरात टाइटंस की कप्तानी करते हुए गिल ने रणनीतिक रूप से खुद को साबित किया। यही वजह रही कि चयन समिति ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें टेस्ट टीम का नेतृत्व सौंपा है।
इंग्लैंड जैसे चुनौतीपूर्ण हालात में तेज गेंदबाजों पर अतिरिक्त दबाव रहता है। ऐसे में बुमराह का वर्कलोड संभालना बेहद जरूरी होगा। यही कारण है कि कप्तानी का जिम्मा गिल को सौंपा गया ताकि बुमराह बिना किसी दबाव के सिर्फ अपनी गेंदबाजी पर फोकस कर सकें। अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि शुभमन गिल अपने नए रोल में इंग्लैंड की कठिन परिस्थितियों में टीम इंडिया को किस तरह लीड करते हैं।
इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम इस प्रकार है –
यूट्यूबर ज्योति को बीते दिनों पुलिस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस बीच हरियाणा पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अब यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के बांग्लादेश दौरे को भी जांच के दायरे में ले लिया है। इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक अब जांच एजेंसियां इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि ज्योति किसके कहने पर बांग्लादेश गई थी। क्या ज्योति के बांग्लादेश दौरे पर जाने के पीछे भी पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी दानिश की साजिश है ? जांच एजेंसियां इस बात की भी तस्दीक करने में जुटी है कि ज्योति जब बांग्लादेश गई। तब क्या वो पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी दानिश के संपर्क में थी ? क्या ज्योति ने बांग्लादेश से दानिश से बात की थी ?
ज्योति की बांग्लादेश यात्रा, शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट
यूट्यूबर ज्योति के बांग्लादेश दौरे की खास बात ये है कि ज्योति मल्होत्रा ने बांग्लादेश की जिस ढाका यूनिवर्सिटी के वीडियो बनाए थे, उसी ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों से अपने वीडियो में ज्योति मल्होत्रा बात करते हुए भी नजर आ रही है। बता दें कि ज्योति बांग्लादेश साल 2024 के फरवरी महीने में गई थी और अगस्त 2024 में बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट हो गया था। बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार का तख्ता पलटने में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। दरअसल अब जांच एजेंसियां ज्योति से ये पता लगाने में जुटी हैं कि बांग्लादेश में हुए तख्तापलट में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की क्या भूमिका थी और यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को इस बारे में कुछ पता था ?
ज्योति मल्होत्रा की बांग्लादेश यात्रा क्यों है अहम ?
जांच एजेंसियां ये भी पता लगाने में लगी हैं कि क्या बांग्लादेश में ज्योति की पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी दानिश के कहने पर किसी ने मदद की थी ? दरअसल यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का बांग्लादेश दौरा इसलिए जांच एजेंसियां के रडार पर है। क्योंकि बांग्लादेश जाने के लिए अक्सर भारतीय दुर्गापूजा का समय चुनते हैं, लेकिन ज्योति फरवरी में ढाका गई थी। बता दें कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लगातार ज्योति मल्होत्रा से पूछताछ की जा रही है। बता दें कि बीते दिनों ज्योति मल्होत्रा की रिमांड को 3 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था और फिलहाल ज्योति रिमांड में है।
देश भर में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि लगातार बढ़ रहे मामले लोगों में चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। दिल्ली-गाजियाबाद के बाद अब नोएडा में कोरोना की एंट्री हो चुकी है। गौतमबुद्ध नगर जिले में कोरोना का पहला मामला सामने आया है। जिससे बढ़ते संक्रमण को लेकर चिंता बढ़ गई है। 55 वर्षीय महिला में कोरोना की पुष्टि हुई है और उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है।
प्रशासन अलर्ट पर है और टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है। महिला को हल्के लक्षण थे और उसे होम आइसोलेशन में रखा गया है। उनके परिवार के सदस्यों के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। जिला प्रशासन ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जा रही है। शुरुआती जांच में मरीज में कोरोना के लक्षण मिले थे, जिसके बाद निजी अस्पताल की जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। नागरिकों से सतर्कता बरतने और भीड़ से बचने की अपील की गई है।
अलर्ट मोड पर आया प्रशासन
कोरोना के मामले पिले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ चुका है। सभी अस्पतालों में कोरोना से संबंधित बेड और ऑक्सीजन के पर्याप्त स्टॉक के लिए कहा गया है। वहीं कोरोना से संबंधित एडवाइजरी भी जारी की जा रही है। जिला प्रशासन की तरफ से अपील गई है कि नागरिक सतर्क रहें, भीड़भाड़ से बचें और आवश्यकतानुसार मास्क व अन्य सुरक्षा उपायों का पूरी तरह से पालन करें।
नोएडा में कहां की निवासी है मरीज ?
मरीज नोएडा के सेक्टर 110 की निवासी है। नोएडा के सीएमओ नरेंद्र कुमार ने बताया कि जिले का पहला कोरोना का केस सामने आया है। मरीज को होम आइसोलेशन में रखा गया है। मरीज के अन्य परिवारजनों का भी सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। इस मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री रही है। सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल में टेस्टिंग शुरू कर रहे हैं। टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जा रही है। सीएमओ ने अपील की है कि घबराने की जरूरत नहीं है।
केरल में कोरोना के अब तक 273 मामले
गौरतलब है कि देश में कोविड 19 के मामले एक बार फिर सामने आ रहे हैं। केरल में मई महीने में ही कोरोना के अब तक 273 मामले सामने आए हैं। खुद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने ये जानकारी दी है। वीणा ने शुक्रवार को दक्षिणी राज्य के सभी जिलों से निगरानी बढ़ाने की अपील की है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा ?
वीणा जॉर्ज ने कहा, ‘स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वायरस के संक्रमण में किसी भी वृद्धि पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए और फौरन कार्रवाई करनी चाहिए। मई में केरल में कोरोना के 273 मामले सामने आए। खांसी, गले में खराश या सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण वाले लोगों को मास्क पहनना चाहिए। वहीं कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया, बेंगलुरु में नौ महीने का एक बच्चा कोरोना से संक्रमित पाया गया है।
गौरतलब है कि लोहिया बाजार जो कि शहर का दिल कहा जाता है। यहाँ पर काफी संख्या में व्यापारिक गतिविधियां दिन भर रहती है व शहर के व्यस्तम क्षेत्रो में से एक है। यहाँ 23-मई-2025 की सुबह एक व्यापारी सुबह जब अपनी दुकान खोलने आया तो दुकान का दरवाजा अंदर से बंद मिला। जो कि काफी प्रयास करने पर भी नही खुला। जिसे छत से प्रवेश कर किसी तरह खुलवाया गया व एक सामान्य घटना समझ अनदेखा कर दिया गया। परन्तु शाम के समय जब गेट बंद करने लगे, तो वह बन्द नही हुआ व पता लगा को दरवाजे को अंदर से तोड़ने का प्रयास किया गया है।
जब व्यापारी ने घटना का जिक्र देर शाम आसपास के लोगो से किया तब कड़ियाँ जुड़ी व क्षेत्रिय निवासियों ने बताया कि रात में 12 से 4 बजे के बीच मोहल्ले में 8 से दस असामाजिक तत्व लाठी-डंडो के साथ घूमते हुए देखे गये हैं जिसे सुनकर क्षेत्रवासियों में डर का माहौल हो गया। समस्त घटना की सूचना सपा नेता व क्षेत्रीय निवासी गौरव जैन ने खालापार कोतवाल व खालापार चौकी प्रभारी को संभावित घटना से सावधान किये जाने हेतू फ़ोन से संपर्क करना चाहा व दोनों के फ़ोन न उठने पर 112 पर रात में ही सूचित किया गया।
जिस पर कुछ ही देर में वहां दो पुलिस कर्मी गाड़ी लेकर पहुँचे। जिन्हें क्षेत्रवासियों ने समस्त प्रकरण से अवगत कराया। पुलिस कर्मियों ने अपनी ओर से आश्वासन देते हुए कहा कि वह शीर्ष अधिकारियों को सूचित करने के साथ ही क्षेत्र में निगरानी का कार्य मुस्तेदी से किया जायेगा । क्षेत्रवासियों द्वारा पुलिस प्रशासन से मांग की जाती है कि उक्त क्षेत्र में डर का माहौल है।
शिमला के संजौली की विवादित मस्जिद को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। शुक्रवार को यहां नमाज अदा करने को लेकर माहौल गरम हो गया, जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे। वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठन देवभूमि संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया और हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया।
वही समिति का कहना है कि नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत द्वारा तीन मई को मस्जिद के संपूर्ण निर्माण को अवैध करार देते हुए उसे ढहाने के आदेश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके मस्जिद में धार्मिक गतिविधियां जारी हैं। इसी के विरोध में समिति के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं।
पुलिस ने रोका, फिर दी नमाज की इजाजत
शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व बैरिकेडिंग के बीच जब मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज के लिए मस्जिद की ओर बढ़े तो पुलिस ने उन्हें कुछ समय के लिए रोका और पूछताछ के बाद ही आगे जाने दिया। इस दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य भी वहां पहुंचे और नमाज के विरोध में सड़क पर ही हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे।
प्रशासन पर पक्षपात के आरोप
समिति के सह-संयोजक मदन ठाकुर और विजय शर्मा ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां एक ओर उन्हें मस्जिद के बाहर धार्मिक पाठ करने से रोका गया। वहीं मुस्लिम समुदाय को नमाज अदा करने की छूट दी गई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन का यही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज होगा। शुक्रवार शाम समिति की एक आपात बैठक भी बुलाई गई है। जिसमें भविष्य की रणनीति पर निर्णय होगा। मदन ठाकुर ने मस्जिद परिसर की बिजली और पानी की आपूर्ति बंद करने और वहां आवाजाही पर रोक लगाने की भी मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब निर्णायक संघर्ष शुरू होगा।
देवभूमि संघर्ष समिति ने कहा है कि जब तक मस्जिद को पूरी तरह गिराया नहीं जाता तब तक वहां किसी भी धार्मिक गतिविधि को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विजय शर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन हिंदू संगठनों को रोक सकता है। तो मुस्लिम समुदाय को भी वही नियम लागू होने चाहिए।
पहले भी भड़क चुका है मस्जिद विवाद
बता दें कि यह मामला पहली बार अगस्त 2024 में तब सुर्खियों में आया जब शहर के मल्याणा क्षेत्र में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था। इसके बाद 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर तनाव और बढ़ गया। 11 सितंबर को हिंदू संगठनों द्वारा किए गए उग्र प्रदर्शन में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। जिसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हुए थे। नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपिंदर अत्री की अदालत ने 3 मई 2025 को मस्जिद के संपूर्ण निर्माण को अवैध घोषित करते हुए, इसे ढहाने का अंतिम आदेश जारी किया था। मुस्लिम पक्ष इस मामले को जिला अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
लखनऊ के एडीजे कोर्ट ने सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। राजा कोलंदर के साथी वक्षराज को भी उम्रकैद की सज़ा मिली है। दोनों साल 2000 में हुए डबल मर्डर में दोषी पाए गए हैं। राजा कोलंदर पर 20 से ज़्यादा हत्या के मामले दर्ज किए गए थे। ज़्यादातर मामलो में सुबूतो के आधार पर बरी हो चुका है ।
मर्डर करके दिमाग निकालकर बनाता था सूप
राजा कोलंदर को जब गिरफ्तार किया गया था तो उस समय प्रयागराज के उसके पिगरी फार्म हाउस से बहुत बड़ी संख्या में नरकंकाल और नरमुंड बरामद हुए थे। कोलंदर पर आरोप है कि वो तांत्रिक था और खोपड़ी का सूप बनाकर पीता था। कहा जाता है कि ये लोगों का क़त्ल करता था, फिर इनके शरीर के कई टुकड़े करता था और फिर लाश के टुकड़ो को अलग-अलग फेंक देता था, लेकिन ये लाश के सिर को अपने साथ ले जाता था। इसके बाद दिमाग़ निकालकर सूप बनाकर पीता था।
कोर्ट ने दोनों को ठहराया था दोषी
इससे पहले जज रोहित सिंह की अदालत ने सोमवार को राजा कोलंदर और वक्षराज कोल को नाका इलाके में 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और हत्या में शामिल होने का दोषी पाया था। सरकारी वकील एमके सिंह के अनुसार, अदालत ने राजा कलंदर और उसके सहयोगी को आईपीसी की धारा 364 (हत्या के इरादे से अपहरण या अपहरण से संबंधित), 396 (हत्या के साथ डकैती), 201 (साक्ष्यों को गायब करना), 412 (डकैती से प्राप्त संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) और 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति का दुरुपयोग) के तहत दोषी पाया था।
आखिर सीरियल किलर राजा कलंडर कौन हैं ?
राजा कलंडर का बचपन का नाम राम निरंजन कोल था। वह अपने जघन्य अपराधों और कथित नरभक्षण के लिए कुख्यात था। वह एक बार उत्तर प्रदेश में एक आयुध कारखाने में कार्यरत था। वह खुद को एक राजा मानता था जो किसी को भी दंडित कर सकता था जिसे वह नापसंद करता था। कलंडर को पत्रकार धीरेंद्र सिंह सहित कई हत्याओं का दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने उनके फार्महाउस से मानव खोपड़ी बरामद की, जिससे नरभक्षण के भयावह आरोप सामने आए थे। मनोचिकित्सकों ने उन्हें मनोरोगी बताया, हालांकि अदालतों ने उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ घोषित किया।
2012 में पहली सज़ा राजा कलंडर और उसके साले वक्षराज को नवंबर 2012 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। पीड़ित को बहला-फुसलाकर ले जाया गया, गोली मारकर हत्या कर दी गई। शव को विकृत कर दिया गया और दफना दिया गया।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़े एक्शन की तैयारी कर ली है। भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने की बात कर सकता है। एफएटीएफ का काम मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता पर नजर रखना है। यह एक वैश्विक संस्था है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी। इसमें पाकिस्तान का ही हाथ था।
पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ रहा है और वह सालों से आतंकियों के लिए फंडिंग करता रहा है। उसे इसकी वजह से कई बार ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग के लिए ग्रे लिस्ट में डाला था, लेकिन अक्तूबर 2022 में इसे ग्रे लिस्ट से निकाल दिया गया था। पाक को 2008 में भी ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था, लेकिन फिर 2009 में हटा दिया गया था। वह 2012 और 2015 के दौरान भी ग्रे लिस्ट में रहा था।
धन का दुरुपयोग कर रहा पाकिस्तान
खबर के मुताबिक, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत को लगता है कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र से पैदा होने वाले आतंकवाद पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से धन का दुरुपयोग कर रहा है। जो देश धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने में विफल रहते हैं और अधिक निगरानी के अधीन हैं, उन्हें एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा जाता है।
ग्रे लिस्ट में शामिल होने पर पाकिस्तान को क्या होगा नुकसान
अगर किसी देश को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है तो उसे आर्थिक रूप से काफी नुकसान होता है। पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ तो उसकी दिक्कत बढ़ जाएगी। जब कोई देश ग्रे लिस्ट में आता है तो वहां निवेश की कमी होती है। इसके साथ ही राजस्व भी कम हो जाता है। इंटरनेशनल लेवल पर लेनदेन में भी कठिनाई आती है। अगर राजनीतिक रूप से देखें तो भी काफी नुकसान होता है। देश की साख पर बट्टा लगता है।
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहने का मतलब
जब एफएटीएफ किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी के तहत रखता है, तो इसका मतलब है कि देश ने पहचानी गई रणनीतिक कमियों को तय समय-सीमा के भीतर तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और उस पर निगरानी बढ़ाई जा रही है। एफएटीएफ की पूर्ण बैठक एक निर्णय लेने वाली संस्था, साल में तीन बार – फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है।
2018 में, पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था और उसने देश को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्य योजना दी थी। इसके बाद, 2022 में, एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सूची से हटा दिया। भारत ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान को आईएमएफ (IMF) के बेलआउट पैकेज की किस्त जारी करने का विरोध किया था।
भारत ने तबाह किए पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने
भारत ने पहलगाम हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर से लिया। उसने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। इसके साथ ही 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। पाकिस्तान ने मारे गए आतंकियों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। अहम बात यह है कि आतंकियों के जनाजे में पाक आर्मी के कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। इससे पाकिस्तान खुद ही दुनिया के सामने बेनकाब कर लिया।
संवाददाता-सादिक़ अली-डूँगरपुर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीकानेर पहुंचे जहा राजस्थान के बीकानेर में 26,000 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास करने के साथ-साथ इन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उपस्थित जनसमूह का स्वागत किया और ऑनलाइन शामिल हुए 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों की महत्वपूर्ण भागीदारी के प्रति भी आभार प्रकट किया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा और ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियां गिनाईं। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा, ‘पाकिस्तान एक बात भूल गया। मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गरम रहता है। मोदी की नसों में अब लहू नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है। उन्होंने कहा 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हमारी बहनों की मांग का सिंदूर उजाड़ दिया। गोलियां पहलगाम में चलीं लेकिन उन गोलियों से 140 करोड़ देशवासियों का सीना छलनी हुआ है।
जलापूर्ति योजनाओं के पुनर्गठन कर राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में बुनियादी ढांचे, संपर्क सुविधा, बिजली आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं और पानी की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए पूरे राजस्थान में 25 महत्वपूर्ण राज्य सरकार की परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 3,240 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के 750 किलोमीटर से अधिक लंबाई के 12 राज्य राजमार्गों के उन्नयन और रखरखाव के लिए परियोजनाओं का शिलान्यास और राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है। कार्यक्रम के तहत आगे विस्तार में अतिरिक्त 900 किलोमीटर नए राजमार्ग शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीकानेर और उदयपुर में बिजली परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने राजसमंद, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, धौलपुर में नर्सिंग कॉलेजों का भी उद्घाटन किया, जो राज्य में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने झुंझुनू जिले में ग्रामीण जलापूर्ति और फ्लोरोसिस शमन परियोजना, अमृत 2.0 के अंतर्गत पाली जिले के 7 शहरों में शहरी जलापूर्ति योजनाओं के पुनर्गठन सहित क्षेत्र में विभिन्न जल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। चलिए बताते हैं कि पीएम मोदी के भाषण की दमदार बातें।
जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता
पीएम नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 22 तारीख के हमले के जवाब में हमने 22 मिनट में आतंकवादियों को 9 सबसे बड़े ठिकानों को तबाह कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया ने और देश के दुश्मनों ने भी देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है। पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान एक बात भूल गया। मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गरम रहता है। मोदी की नसों में अब लहू नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है।
ना ही देश मिटने दूंगा ना ही झुकने दूंगा – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘मैंने कहा था सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। वो जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है। वो हिंदुस्तान का लहू बहाते थे, आज कतरे कतरे का हिसाब चुकाया है। पीएम मोदी ने कहा कि वो सोचते थे भारत चुप रहेगा, आज कोने में दुबके पड़े हैं। वो अपने हथियारों पर घमंड करते थे, आज वो मलबे के ढेर में दबे हुए हैं। ये शोध प्रतिशोध का खेल नहीं, ये न्याय का नया स्वरूप है। ये ऑपरेशन सिंदूर है। ये सिर्फ आक्रोश नहीं है, ये समर्थ भारत का रौद्र रूप है। ये भारत का नया स्वरूप है। पहले घर में घुसकर किया था वार। अब सीधा सीने पर किया प्रहार है। आतंक का फन कुचलने की, यही नीति है, यही रीति है, यही भारत है, नया भारत है।
आतंकी हमला हुआ तो करारा जवाब मिलेगा – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद से निपटने के 3 सूत्र तय कर दिए हैं। पहला भारत पर आतंकी हमला हुआ तो करारा जवाब मिलेगा। समय हमारी सेनाएं तय करेंगे। तरीका भी हमारी सेनाएं तय करेंगी और शर्ते भी हमारी होंगी। दूसरा कि एटम बम की गीदड़ भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है और तीसरा आतंक के आकाओं और आतंकी सरपरस्त सरकार को अलग-अलग नहीं देखेंगे। उन्हें एक ही मानेंगे। पाकिस्तान का स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर वाला खेल अब नहीं चलेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान भारत से कभी सीधी लड़ाई जीत ही नहीं सकता। जब भी सीधी लड़ाई होती है तो बार बार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ती है। इसलिए पाकिस्तान ने आतंकवाद को भारत के खिलाफ लड़ाई का हथियार बनाया है। आजादी के बाद पिछले कई दशकों से यही चला रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने साफ कर दिया है कि हर आतंकी हमले की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
ये कीमत पाकिस्तान की सेना चुकाएगी, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुकाएगी। जब मैं दिल्ली से यहां आया तो नाल एयरपोर्ट पर उतरा। पाकिस्तान ने इस एयरबेस को भी निशाना बनाने की कोशिश की थी। लेकिन इस एयरबेस को वो रत्ती भर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाएं। पीएम मोदी ने कहा कि सीमा पार पाकिस्तान का रहीमयार खान बेस है। पता नहीं आगे कब खुलेगा। आईसीयू में पड़ा है। भारत की सेना के अचूक प्रहार ने इस एयरबेस को तहस नहस कर दिया है।
बात होगी तो सिर्फ पीओके की – प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ ना ट्रेड होगा, ना टॉक। अगर बात होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की पीओके की। अगर पाकिस्तान ने आतंकियों को एक्सपोर्ट करना जारी रखा तो पाई पाई के लिए मोहताज होना होगा। पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा। भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा। ये भारत का संकल्प है। दुनिया की कोई ताकत हमें इस संकल्प से डिगा नहीं सकती है।
कानपुर नगर: कोतवाली पुलिस ने शहर में ऑटो चला रहे म्यांमार के युवक को बड़े चौराहे से पकड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उसके पास से कोई वैद्य पहचान पत्र नहीं मिला है। वह शुक्लागंज में रह रहा है। यहां उसके साथ उसके परिजन व रिश्तेदार भी रहते हैं। पुलिस ने वहां जाकर पूछताछ की है। डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि कोतवाली पुलिस ने गश्त के दौरान बड़ा चौराहे से एक संदिग्ध ऑटो चालक को दबोचा। उसकी पहचान म्यांमार के साइडुय मंगडो शहर (आईकब) निवासी मो. साहिल के रूप में हुई। वह परिवार के साथ पिछले कई साल से उन्नाव के शुक्लागंज मनोहर नगर, पानी टंकी के पास झुग्गी झोपड़ी डालकर रह रहा है। पुलिस ने पत्नी, बहन, बहनोई, बीमार पिता, बच्चों समेत 10 लोगों से पूछताछ की। युवक के पास से फर्जी आधार कार्ड भी बरामद हुआ है।
थाना कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा गया, जिसे पूछताछ हेतु थाना लाया गया। प्रारंभिक पूछताछ में उसने बताया कि वह वर्ष 2013-14 में अपने परिवार के साथ नाव द्वारा म्यांमार से बांग्लादेश स्थित Cox’s बाजार शरणार्थी कैंप पहुंचा, जहां वह अपने परिवार के साथ लगभग तीन वर्ष रहा। तत्पश्चात ₹1200 प्रति व्यक्ति के हिसाब से दलालों को भुगतान कर असम होते हुए भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया और ट्रेन से कानपुर आया। वर्ष 2017-18 से वह शुक्लागंज उन्नाव में रह रहा है और उसके पास भारत का डीएल व आधार कार्ड भी उपलब्ध है।
उक्त प्रकरण में थाना कोतवाली पर अपराध संख्या 117/25 धारा 318(4)/338/336(3)/340(2) BNS व विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कर अग्रिम विधिक कार्रवाई की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में शराब रिटेल से जुड़े सरकारी निगम तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान ईडी के रवैए पर कड़ी नाराजगी जताई। बेंच ने कहा कि एजेंसी ने सभी हदें पार कर दी हैं।
तमिलनाडु सरकार का कहना था कि उसने 2014 से 2021 के बीच खुद तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज करवाई हैं। शराब बिक्री का लाइसेंस देने में गड़बड़ी समेत दूसरे आरोपों की जांच राज्य की एजेंसियां कर रही हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में केस दर्ज कर लिया। यह केस सीधे निगम के खिलाफ है।
अपने निगम को ही आरोपी बना दिया – चीफ जस्टिस
इस पर चीफ जस्टिस ने सख्त हैरानी जताई। उन्होंने कहा, ‘निगम को ही आरोपी बना दिया? ईडी सभी सीमाएं तोड़ रही है। तमिलनाडु सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने निगम के दफ्तर में छापे के दौरान कर्मचारियों से दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभी के फोन की क्लोनिंग कर ली गई है। ईडी ने निजता के अधिकार का हनन किया।
कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने यह भी कहा कि मामले में ईडी की कोई भूमिका नहीं थी। इस पर चीफ जस्टिस ने एक बार फिर कहा कि ईडी सारी सीमाएं तोड़ रही है। संघीय ढांचे का लिहाज नहीं किया जा रहा है। जब राज्य सरकार जांच कर रही है, तो इस तरह दखल की क्या जरूरत थी?
ईडी के पास कार्रवाई के पर्याप्त आधार
ईडी के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मामले में 1000 करोड़ रुपए की वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ईडी के पास कार्रवाई के पर्याप्त आधार हैं। इस पर कोर्ट ने उन्हें 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा और साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल मामले में ईडी की कार्रवाई स्थगित रहेगी।
इससे पहले 23 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के खिलाफ ईडी की जांच और छापे को सही ठहराया था। कर्मचारियों से दुर्व्यवहार के आरोप भी हाई कोर्ट ने खारिज किए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि जानबूझकर महिला कर्मचारियों को आगे किया गया ताकि ईडी के छापे में अड़चन आए।
एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी जिंदगी को आसान बनाने के साथ-साथ एक नया खतरा बनता जा रहा है। खास तौर पर जेनरेटिव एआई के आने के बाद से एआई का इस्तेमाल बढ़ता रहा है। हाल में सामने आई एक दर्दनाक घटना ने एआई के जरिए होने वाले नए खतरे की तरफ सबका ध्यान खींचा है। हालांकि, हर चीज के दो पहलू होते हैं, जिनके बारे में हमें सोचने की जरूरत है।
दरअसल एआई के इस नए खतरे का आभास अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के एक दर्दनाक मामले की वजह से हुआ है। पिछले साल फरवरी में एक 14 साल के बच्चे ने एआई के चक्कर में आत्महत्या कर ली। इस मामले में बच्चे की मां मेगन गार्सिया ने एआई कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने गूगल और एआई स्टार्ट-अप कंपनी कैरेक्टर.एआई पर कानूनी कार्रवाई करने की इजाजत दे दी।
क्या है मामला ?
फ्लोरिडा की रहने वाली मेगन गार्सिया ने एआई कंपनी पर दायर मुकदमें में बताया कि उसके 14 साल के बेटे सेवेल सेट्जर III (Sewell Setzer III) ने एआई पर भरोसा करके इस साल फरवरी में आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले सेवेल कैरेक्टर.एआई के चैटबॉट के साथ चैटिंग कर रहा था। मेगन का आरोप है कि एआई के उकसाने की वजह से ही उसके नाबालिग बेटे ने आत्महत्या करने का फैसला किया था।
एआई फर्म के खिलाफ माना जाने वाला मुकदमा
अमेरिकी डिस्ट्रिक जज एनी कॉन्वे ने अपने फैसले में कहा कि कंपनियों ने कानूनी कार्यवाही के इस प्रारंभिक चरण में यह प्रदर्शित नहीं किया था कि अमेरिकी संविधान की मुक्त-भाषण सुरक्षा ने उन्हें मेगन गार्सिया के मुकदमे से बचाया था। यह बच्चों को मनोवैज्ञानिक नुकसान से बचाने में कथित विफलता के लिए एआई फर्म के खिलाफ अमेरिका में पहले मुकदमों में से एक माना जाने वाला मुकदमा है, जो दर्शाता है कि एआई-संचालित चैटबॉट के प्रति जुनून विकसित होने के बाद किशोर ने आत्महत्या कर ली।
हालांकि, कैरेक्टर.एआई और गूगल इस मुकदमे को लड़ना चाहते हैं और अपने प्लेटफॉर्म पर नाबालिगों की सुरक्षा के लिए उपायों को नियोजित करने की बात करते हैं, जिनमें “खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में बातचीत” को रोकने के लिए डिजाइन की गई सुविधाएं भी शामिल हैं। मेगन गार्सिया ने गूगल और कैरेक्टर.एआई पर पिछले साल अक्टूबर में यह मुकदमा दायर किया था।
जज ने टेक कंपनियों के सभी दलीलों को नाकारा
इस मुकदमे की सुनवाई करने वाली जज ने टेक कंपनियों के सभी दलीलों को नकार दिया। यही नहीं, जज ने गूगल के इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि उसमें उसका कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि कैरेक्टर.एआई गूगल के लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) पर काम करता है। इसकी वजह से कोर्ट ने कैरेक्टर.एआई के साथ-साथ गूगल को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। गूगल के दो पुराने इंजीनियर ही एआई स्टार्टअप कंपनी कैरेक्टर.एआई के फाउंडर हैं।
एआई का इस्तेमाल पर क्यों उठ रहे सवाल ?
एआई को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। खास तौर पर पिछले दिनों सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले डीपफेक वीडियो और फोटो के सामने आने के बाद से एआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठना शुरू हो गया। इसके बाद सोशल मीडिया कंपनियों ने एआई द्वारा जेनरेट किए जाने वाले फोटो और वीडियो को लेबल करना शुरू कर दिया है, ताकि लोग ये पहचान सके कि ये वीडियो या फोटो सही नहीं हैं, बल्कि एआई द्वारा बनाए गए हैं। हालांकि, अभी भी लाखों की संख्यां में एआई द्वारा बनाए गए वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं, जिन्हें आम लोगों के लिए पहचान करना बेहद मुश्किल है।
इसके अलावा एआई की समझ को लेकर भी सवाल उठे हैं। जेनरेटिव एआई डिजाइन करने वाली कंपनियां दावा करती हैं कि एआई पूरी तरह से निष्पक्ष है और वो डेटा के आधार पर ही जानकारी उपलब्ध करवाता है। हालांकि, ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें एआई द्वारा इस्तेमाल किए गए डेटा में गड़बड़ी और आकलन में दिक्कत की वजह से गलत रिजल्ट सामने आए हैं। गूगल के एआई मॉडल जैमिनी एआई (तब Bard) द्वारा उपलब्ध कराई गई एक जानकारी की वजह से कंपनी को माफी तक मांगनी पड़ गई थी।
जब एआई बेस्ड रोबोट ने की आत्महत्या
जेनरेटिव एआई की कोडिंग में अगर किसी भी तरह की दिक्कत आती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पिछले दिनों चीन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें एआई बेस्ड रोबोट में तकनीकी दिक्कत आने के बाद वो भीड़ से लड़ने के लिए सामने आ गया था। यही नहीं एक एआई बेस्ड रोबोट ने तो आत्महत्या तक कर ली थी। ऐसे में एआई द्वारा विनाशकारी व्यवहार विकसित करने का भी बड़ा खतरा है, जो टेक कंपनियों के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है।
पिछले दिनों सामने आई एक सर्वे में यह पता चला है कि एआई का इस्तेमाल हमें आलसी बना रहा है। इस सर्वे में लोगों ने एआई का इस्तेमाल पर अपनी निर्भरता की बात कबूली थी। एआई की वजह से वो किसी चीज के बारे में रिसर्च करने से बचते हैं और एआई द्वारा दी गई जानकारी पर निर्भर रहते हैं। इस सर्वे के मुताबिक, एआई लोगों को आलसी बनाने के साथ-साथ उसकी सोचने-समझने की शक्तियों को भी खत्म कर रहा है।