Friday, October 10, 2025
Home Blog Page 4

पीएम मोदी की मां के एआई वीडियो पर घमासान, कांग्रेस पर भड़की बीजेपी

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कांग्रेस के मंच से पीएम मोदी को मां की गाली देने का विवाद अभी तक थमा नहीं है, इस बीच बिहार कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पोस्ट किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के किरदार वाले एआई वाले वीडियो पर सियासी घमासान छिड़ गया है। जिस पर बीजेपी अब कांग्रेस पर भड़क गई है। बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने ट्वीट करते हुए इसे पीएम मोदी की मां का अपमान बताया है। उन्होने पोस्ट में लिखा की कांग्रेस पार्टी ने निकृष्टता की हद पार कर दी है। कांग्रेस अब एआई तकनीक का दुरुपयोग कर माननीय प्रधानमंत्री की माताजी का अपमान कर रही है। यह मानसिक दिवालियापन और कांग्रेस की गिरी हुई सोच का सबूत है। यह देश की हर मातृशक्ति का अपमान है।

https://x.com/INCBihar/status/1965757886778511475

मोदी जी की माताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस का गिरा हुआ स्तर दिखाता है कि उनके लिए कोई संस्कार मायने नहीं रखते हैं। लेकिन याद रखें। बिहार की धरती मां का अपमान करने वालों को कभी माफ नहीं करती है। वहीं इस मामले पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बिहार कांग्रेस के द्वारा एआई जेनरेटेड वीडियो के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता के अपमानित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी और आरजेडी ने फैसला कर लिया है, कि हम नहीं सुधरेंगे। लेकिन, मैं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को बता देना चाहता हूं कि बिहार की जनता ने पहले भी आपको सुधारा है, और इस बार भी आपको सुधारने जा रही है।

पीएम मोदी की मां के AI वीडियो पर घमासान
पीएम मोदी की मां के AI वीडियो पर घमासान

पीएम की माता को बार-बार किया जा रहा अपमानित

नित्यानंद राय आरोप लगाया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के कहने पर प्रधानमंत्री और उनकी माता को बार-बार अपमानित किया जा रहा है। आपको बता दें बिहार कांग्रेस की ओर पोस्ट किए गए एआई वीडियो का शीर्षक साहब के सपनों में आई ‘मां’ है। जिसमें दिखाया गया है कि पीएम मोदी के सपने में आईं उनकी मां उन्हें डांटते हुए कहती हैं। अरे बेटा, पहले तो तुमने हमें नोटबंदी की लंबी लाइनों में खड़ा किया।

तुमने मेरे पैर धोने का रील बनवाया और बिहार में अब मेरे नाम पर राजनीति कर रहे हो। तुम मेरे अपमान के बैनर-पोस्टर छपवा रहे हो। तुम फिर से बिहार में नौटंकी करने की कोशिश कर रहे हो। राजनीति के नाम पर कितना गिरोगे ? इस संवाद के बाद पीएम मोदी की नींद टूट जाती है। कांग्रेस के इसी वीडियो को लेकर बीजेपी हमलावर है। दिल्ली से लेकर बिहार तक भाजपा नेता कांग्रेस पर पीएम मोदी की मां के अपमान का आरोप लगा रहे हैं।

read more :  बॉम्बे हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस की जांच में कोई सुराग नहीं

बॉम्बे हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस की जांच में कोई सुराग नहीं

दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी हालांकि जांच के बाद दोनों ही जगह कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। दिल्ली हाईकोर्ट को मिले धमकी भरे ई-मेल में कहा गया था कि जज रूम में तीन बम रखे गए हैं। इसके साथ ही दोपहर दो बजे तक कोर्ट परिसर खाली करवाकर जांच की गई। हालांकि, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को सर्च ऑपरेशन के दौरान दिल्ली या बॉम्बे हाईकोर्ट परिसर में कोई भी संदिग्ध सामान नहीं मिला है।

दिल्ली हाई कोर्ट परिसर की जांच के बाद पुलिस को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। पुलिस ने कहा कि ऐसा लगता है कि किसी ने शरारत की है। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट की ऑफिशियल मेल आईडी पर धमकी आई है। मेल में साफ लिखा है कि दोपहर की नमाज के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में धमाका होगा। इसी वजह से सुरक्षा अधिकारियों ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट ही खाली कराया गया था। मेल कहां से आया जांच की रही है।

राजनीति में परिवारवाद का भी जिक्र

मेल में यह भी कहा गया है कि मूल कहानी यह है कि सेक्युलर दल भाजपा/आरएसएस से लड़ने के लिए पारिवारिक वंशवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार को पनपने देते हैं। जब उत्तराधिकारियों (राहुल गांधी, उदयनिधि) को सत्ता से रोका जाता है, तो वे आरएसएस के खिलाफ लड़ने में रुचि खो देते हैं। इस प्रकार, एक सेक्युलर नेता के रूप में एक नए विकास को जन्म देने के लिए, उत्तराधिकारी की अड़चनों को दूर किया जाएगा, ताकि झूठे सेक्युलर चले जाएं और केवल समर्पित धर्मनिरपेक्षतावादी ही पार्टी की सत्ता में आएं।

हम डॉ. एझिलन नागनाथन को डीएमके की कमान सौंपने का प्रस्ताव देते हैं और इस सप्ताह उदयनिधि स्टालिन के पुत्र इनबानिधि उदयनदिहि को तेजाब से जला दिया जाएगा। खुफिया एजेंसियों को इस बात की भनक तक नहीं लगेगी कि यह कोई अंदरूनी काम है। पुलिस के अंदर 2017 से ही इस पवित्र शुक्रवार के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर, आज आपके दिल्ली उच्च न्यायालय में हुआ धमाका पिछले झांसों का संदेह दूर कर देगा। दोपहर की इस्लामी नमाज के तुरंत बाद जज चैंबर में धमाका होगा।

दिल्ली के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी
दिल्ली के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी

बदनाम करने की कोशिश

मेल में कहा गया है कि तमिलनाडु ने पाकिस्तान के साथ हाथ मिला लिए हैं और कोर्ट परिसर में तीन बम रखे गए हैं। इसके साथ ही दो बजे तक परिसर खाली करने की चेतावनी दी गई है। हाईकोर्ट स्टाफ को संबोधित करते हुए मेल में लिखा गया है कि डॉ. शाह फैसल नाम के शिया मुस्लिम ने पटना में 1998 के बम विस्फोट को दोहराने के लिए कोयंबटूर में पाकिस्तानी आईएसआई सेल के साथ सफलतापूर्वक संपर्क स्थापित कर लिया है।

बम धमाके से बचने का तरीका भी बताया

मेल में बम धमाके रोकने का तरीका भी बताया गया है। इस पर लिखा गया है कि आईडी डिवाइस कहां रखे गए हैं और उन्हें कैसे डिफ्यूज करना है। यह जानने के लिए इस व्यक्ति से संपर्क करें। इसके साथ ही उसका नंबर भी दिया गया है। मेल में यह भी कहा गया है कि एक कोड के जरिए बम डिफ्यूज होंगे।

read more :  लखनऊ नगर निगम में नदारद दिखे अधिकारी-कर्मचारी तो मेयर का पारा चढ़ा

लखनऊ नगर निगम में नदारद दिखे अधिकारी-कर्मचारी तो मेयर का पारा चढ़ा

यूपी की राजधानी लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम के सभी सेक्शन का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कार्यालय में सभी अधिकारी और कर्मचारी नदारद मिले। निगम ऑफिस में ड्यूटी के टाइम में अधिकानी को नदारद देखा तो मेयर का पारा चढ़ गया। गुस्से में सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम ऑफिस के सभी गेट्स पर ताले लगवा दिए।

औचक निरीक्षण में गायब मिले अधिकारी और कर्मचारी

मेयर सुषमा खर्कवाल ने हर सेक्शन का अटेंडेंस रजिस्टर अपने कब्जे में ले लिया। जन्म प्रमाण पत्र विभाग हो या नगर स्वास्थ्य विभाग, पशु कल्याण विभाग सब खाली मिले। स्वास्थ्य अधिकारी दफ़्तर में मिले तो उनसे साढ़े दस बजे ऑफिस आने की फ़ोटो मांगी। जन्म प्रमाण पत्र विभाग में सिर्फ तीन कर्मचारी मिले। बाकी ऑफिस ख़ाली मिला। मेयर ने ख़ाली कुर्सियों पर बैठने वालों का नाम नोट कराया। नगर निगम कार्यालय के पीछे कर्मचारियों के घर में कटिया से बिजली चोरी होते हुए भी मिली।

जानकारी के मुताबिक, नगर आयुक्त अपने कार्यालय में मिले तो मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि जनता परेशान हो रही है और यहां दफ्तर खाली पड़ा है। मंत्री, विधायक, के बाद अब लखनऊ की मेयर को भी शिकायत है कि अफसर काम नहीं करना चाहते। औचक निरीक्षण में आज कई अफसर ऑफिस पहुंचे ही नहीं थे। शिकायत आ रही है कि अधिकारी और कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं।

मांगी नदारद रहने अधिकारियों की डिटेल्स

मेयर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि औचक निरीक्षण किया। तो नगर आयुक्त के अलावा कोई भी अधिकारी अपने दफ्तर में नहीं मिला। निगम में चार अपर नगर आयुक्त हैं, चारों नदारद मिले। उन्होंने बताया कि मैंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर नदारद रहने वाले अधिकारियों के बारे में जानकारी मांग रही हूं कि ये अधिकारी कहां थे। किस विभाग में इनकी मीटिंग थी। मैं पूरी डिटेल्स मांगी है।

सीएम योगी से करेंगी शिकायत – मेयर सुषमा खर्कवाल

मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि मैंने अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। अगर वे दो दिन के अंदर जवाब नहीं देंगे तो में शासन और मुख्यमंत्री से शिकायत करूंगी और संबंधित अधिकारियों पर एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री लगातार काम कर रहे हैं लेकिन अधिकारी ईमानदारी से अपना काम नहीं कर रहे हैं।

read more :  फिजियोथेरेपिस्ट नाम के आगे डॉक्टर न लिखें, डीजीएचएस ने जताई आपत्ति

फिजियोथेरेपिस्ट नाम के आगे डॉक्टर न लिखें, डीजीएचएस ने जताई आपत्ति

सरकार की स्वास्थ्य नियामक संस्था डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज यानी कि डीजीएचएस ने फिजियोथेरेपी के नए पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की है। इसका मकसद है कि फिजियोथेरेपिस्ट ‘डॉ.’ उपाधि का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे मरीजों में भ्रम पैदा हो सकता है और उन्हें गुमराह किया जा सकता है।

यह मामला फरवरी 2025 में जारी ‘कॉम्पिटेंसी बेस्ड करिकुलम फॉर फिजियोथेरेपी’ से जुड़ा है। इस पाठ्यक्रम में सुझाव दिया गया था कि फिजियोथेरेपी ग्रेजुएट्स अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ लगाकर और पीछे ‘पीटी’ (PT) शब्द जोड़कर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अब डीजीएचएस ने इसे गलत बताते हुए तुरंत सुधार की हिदायत दी है।

झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिल सकता है

डीजीएचएस स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ी मुख्य नियामक संस्था है, जो हेल्थकेयर के मामलों पर नजर रखती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को लिखे एक खत में डीजीएचएस ने कहा कि इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (IAPMR) समेत कई संगठनों ने इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताई है। खत में डीजीएचएस की डायरेक्टर जनरल डॉ. सुनीता शर्मा ने लिखा, ‘फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर्स की तरह ट्रेनिंग नहीं लेते। इसलिए वे ‘डॉ.’ उपाधि का इस्तेमाल न करें। क्योंकि इससे मरीजों और आम लोगों को गुमराह किया जाता है और झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिल सकता है।

फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टरों के रेफरल पर ही काम करें

खत में आगे कहा गया है कि फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टरों के रेफरल पर ही काम करें, प्राइमरी केयर प्रोवाइडर की तरह नहीं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (IAPMR) की आपत्ति का हवाला देते हुए डीजीएचएस ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट बीमारियों का डायग्नोसिस करने के लिए ट्रेन नहीं होते। गलत इलाज से मरीजों की हालत बिगड़ सकती है। डीजीएचएस ने साफ किया कि डॉ. उपाधि सिर्फ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स (एमबीबीएस या उसके बराबर डिग्री वाले डॉक्टरों) के लिए रिजर्व है। नर्सिंग या पैरामेडिकल स्टाफ सहित कोई और कैटेगरी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती।

हो सकती है कानूनी कार्रवाई – डीजीएचएस

डीजीएचएस ने चेतावनी दी कि मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री के बिना ‘डॉ.’ उपाधि इस्तेमाल करना 1916 के इंडियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट का उल्लंघन है। इससे कानूनी कार्रवाई हो सकती है, जिसमें आईएमसी (IMC) एक्ट की धारा 6 और 6ए के तहत सजा का प्रावधान है।अंत में खत में कहा गया कि पाठ्यक्रम में तुरंत बदलाव किया जाए। फिजियोथेरेपी ग्रेजुएट्स के लिए कोई और बेहतर व सम्मानजनक टाइटल सोचा जा सकता है, लेकिन ऐसा न हो कि इससे मरीजों या जनता में भ्रम हो। यह फैसला आईएमए (IMA) जैसे संगठनों की विरोध के बाद आया है।

खत में अदालतों और मेडिकल काउंसिलों के पुराने फैसलों का जिक्र किया गया है

पटना हाईकोर्ट (2003) : फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. उपाधि इस्तेमाल नहीं कर सकते।

बेंगलुरु कोर्ट (2020) : फिजियोथेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉक्टरों की निगरानी में ही काम करें, डॉ. का इस्तेमाल न करें।

मद्रास हाईकोर्ट (2022) : इस उपाधि का दुरुपयोग रोकने का आदेश।

तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल : कई एडवाइजरी जारी कर चेतावनी दी।

read more :  भारत की ओर आ रहे नेपाल की जेलों से फरार कैदी, एसएसबी ने 35 को पकड़ा

भारत की ओर आ रहे नेपाल की जेलों से फरार कैदी, एसएसबी ने 35 को पकड़ा

नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़के हिंसक प्रदर्शनों ने देश को हिला दिया है। जेन जी के प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री के.पी. ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जबकि संसद और सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई। इसी फसाद की आड़ में देशभर की जेलों से 13 हजार से ज्यादा कैदी भी फरार हो गए। इनमें से कई अब भारत-नेपाल सीमा पर पकड़े जा रहे हैं। सशस्त्र सीमा बल यानी कि एसएसबी ने अब तक 35 फरार कैदियों को गिरफ्तार किया है। इनमें 22 उत्तर प्रदेश की सीमा पर, 10 बिहार में और 3 पश्चिम बंगाल में पकड़े गए हैं।

ओली के इस्तीफा देने बाद भी नहीं थमा था गुस्सा

एसएसबी के एक अधिकारी ने पकड़े जा रहे कैदियों पर जानकारी देते हुए बताया, ‘यह संख्या अभी भी बढ़ रही है, हम सतर्कता बरत रहे हैं। बता दें कि सोमवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर और सरकार के सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई और अन्य घटनाओं में 31 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिसिया कार्रवाई से गुस्साए सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के दफ्तर में घुस गए और उनका इस्तीफा मांगने लगे। मंगलवार को ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक कैदी गिरफ्तार

एसएसबी ने उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में भारत-नेपाल सीमा पर 22 कैदियों को पकड़ा। इनमें से पांच कैदियों को 10 सितंबर को एक त्वरित कार्रवाई में हिरासत में लिया गया था, जब वे अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। अधिकारियों के अनुसार, ये कैदी नेपाल की काठमांडू स्थित डिल्लीबाजार जेल से फरार हुए थे। इनके पास कोई वैध पहचान पत्र नहीं था, जिसके आधार पर एसएसबी ने इन्हें हिरासत में लिया और स्थानीय पुलिस को सौंप दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ये कैदी नेपाल में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान जेल में उत्पन्न अराजकता का फायदा उठाकर भागे थे।

जेल तोड़कर भागे कैदी, 5 नाबालिग कैदियों की मौत

प्रदर्शनों की अफरा-तफरी का फायदा उठाकर कैदियों ने जेलों पर हमला बोल दिया। कई जेलों में सुरक्षाकर्मियों और कैदियों के बीच झड़पें हुईं। नेपाल के बांके जिले के बैजनाथ ग्रामीण नगरपालिका के नौबस्ता क्षेत्र में स्थित नौबस्ता बाल सुधार गृह में कैदियों ने सुरक्षाकर्मियों के हथियार छीनने की कोशिश की। इससे झड़प हो गई, जिसमें 5 किशोर कैदी मारे गए। बताया जा रहा है कि देशभर की जेलों से 13 हजार से ज्यादा कैदी फरार हो गए हैं। फरार कैदियों में से कई भारत की ओर भागे हैं जिसके बाद एसएसबी ने सीमा पर निगरानी तेज कर दी है।

कई सरकारी इमारतों को प्रदर्शनकारियों ने लगाई आग

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी दफ्तरों, राजनीतिक दलों के मुख्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी। ओली का निजी आवास भी जलाया गया। सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को भी सोमवार रात ही हटा लिया गया था, लेकिन गुस्सा शांत न हुआ। नेपाल की सेना ने बुधवार को संभावित हिंसा रोकने के लिए देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए और कर्फ्यू लगा दिया। ओली के इस्तीफे के बाद अब देश में अंतरिम सरकार के गठन की तैयारी चल रही है और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को इसका प्रमुख बनाने की बात कही है।

एसएसबी की सतर्कता और बढ़ी हुई सुरक्षा

भारत-नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है। इसकी निगरानी करने वाली सशस्त्र सीमा बल ने सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। सभी 26 पारस्परिक व्यापार मार्ग, 15 यातायात मार्ग, छह एकीकृत जांच चौकियां, और 11 सीमा जांच चौकियां हाई अलर्ट पर हैं। एसएसबी की खुफिया इकाई सीमावर्ती गांवों में निगरानी कर रही है ताकि घुसपैठ और गलत सूचनाओं को रोका जा सके। इसके अलावा, एसएसबी की महिला कर्मियों को भी कई जांच चौकियों पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति, जैसे नेपाल से अचानक प्रवेश की स्थिति, को संभाला जा सके।

एसएसबी ने महाराजगंज, सीतामढ़ी, रक्सौल, और सुपौल जैसे जिलों में फ्लैग मार्च भी आयोजित किए हैं। ताकि सीमा पर अपनी मौजूदगी को और मजबूत किया जा सके। एसएसबी की साइबर विंग सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।

read more :  आजम खान को मिली बड़ी राहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

आजम खान को मिली बड़ी राहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

यूपी की जेल में बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आजम खान को जमानत दे दी है। इसी मामले में सह-आरोपी ठेकेदार बरकत अली को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। फिलहाल हाईकोर्ट के इस फैसले से आजम खान को बड़ी राहत मिलती हुई दिखाई दे रही है। लंबे से जेल में बंद सपा नेता पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। यह मामले सपा सरकार जाने के बाद उनके खिलाफ दर्ज किए गए थे।

कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला

12 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। रामपुर के चर्चित डूंगरपुर केस से जुड़े एक मामले में आजम खान ने रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट से मिली दस साल की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील दाखिल की थी। वहीं इसी मामले में सजा पाए ठेकेदार बरकत अली ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। दोनों ने अपनी अपील के लंबित रहने तक जमानत की मांग की थी। फिलहाल हाईकोर्ट की तरफ से दोनों को इस मामले में एक बड़ी राहत मिली है।

एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने सुनाई थी सजा

30 मई 2024 को रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने आजम खान को 10 साल और ठेकेदार बरकत अली को 7 साल की सजा सुनाई थी। एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले को दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। वर्तमान में दोनों की क्रिमिनल अपील पर एक साथ सुनवाई चल रही है। डूंगरपुर प्रकरण में अबरार नाम के व्यक्ति ने अगस्त 2019 में रामपुर के गंज थाने में सपा नेता आजम खान, रिटायर सीओ आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली उर्फ फकीर मोहम्मद समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

शिकायतकर्ता ने आज़म खान लगाया था आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दिसंबर 2016 में इन तीनों ने उसके साथ मारपीट की। घर में तोड़फोड़ की और जान से मारने की धमकी दी थी। इसके साथ ही उसके मकान को भी गिरा दिया गया था। तीन साल बाद 2019 में दर्ज हुए इस मामले में विशेष कोर्ट ने आजम खान को 10 साल और बरकत अली को 7 साल की सजा सुनाई थी। डूंगरपुर बस्ती में रहने वाले लोगों ने उस समय बस्ती खाली कराने के नाम पर करीब 12 मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमें लूटपाट, चोरी और मारपीट समेत अन्य धाराओं में गंज थाने में केस दर्ज हुए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने आजम खान और बरकत अली की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

read more :  नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी हिंसा, राष्ट्रपति मैक्रों के विरोध में उतरे लोग

नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी हिंसा, राष्ट्रपति मैक्रों के विरोध में उतरे लोग

नेपाल के बाद अब फ्रांस की सड़कों पर भयानक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ में फ्रांस की सड़कों पर सैकड़ों लोगों की भीड़ उतर आई है। गुस्साई भीड़ ने हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दिया। फ्रांस में यह हिंसा तब फैली जब मैक्रों ने देश में नए प्रधानमंत्री का ऐलान किया। इससे भारी बवाल मच गया।

200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

फ्रांस के आंतरिक मंत्री ने बताया कि देशभर में नियोजित विरोध प्रदर्शन के पहले ही कुछ घंटों में लगभग 200 गिरफ्तारियां की गईं। प्रदर्शनकारियों ने पेरिस और फ्रांस के अन्य हिस्सों में सड़कों को जाम कर किया और भयानक आगजनी की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। वे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे थे। ताकि उनके द्वारा नियुक्त नए प्रधानमंत्री को “आग का तोहफा” दिया जा सके।

80,000 पुलिस बल की तैनाती

फ्रांस की सड़कों पर कम से कम 80 हजार पुलिस बल तैनात हैं। इसके बावजूद आंदोलन में भारी उथल-पुथल है। हालांकि यह आंदोलन अपने घोषित लक्ष्य “सब कुछ बंद करो” को पूरी तरह हासिल नहीं कर पाया। पहले यह आंदोलन ऑनलाइन शुरू हुआ और तेजी से फैल गया। इसने देशभर में भारी अव्यवस्था पैदा की और 80,000 पुलिसकर्मियों की असाधारण तैनाती को भी चुनौती दी। भीड़ ने कई जगह बैरिकेड हटा दिए। इसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं।

वाहनों में लगाई आग

फ्रांस के आंतरिक मंत्री ब्रूनो रेटैलो ने बताया कि पश्चिमी शहर रेन (Rennes) में एक बस को आग के हवाले कर दिया गया और दक्षिण-पश्चिम में एक पावर लाइन को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद ट्रेनें ठह हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी “विद्रोह का माहौल” बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

दीवार पर लिखा मैक्रों दफा हो जाओ

एक प्रदर्शनकारी ने पास दीवार पर लिखा, “मैक्रों और तुम्हारी दुनिया…दफा हो जाओ!” यह विरोध आंदोलन के तहत हो रहा है। “सब कुछ बंद करो।” फ्रांस में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जबकि सड़कों पर भारी पुलिस बल तैनात है। वही दूसरी तरफ प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेयरू को संसद में विश्वास मत हारने के बाद पद से हटा दिया गया और उनकी जगह सेबास्टियन लेकोर्नू को प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके दो दिन बाद ही हजारों प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर आह्वान करने के बाद देशभर में आंदोलन शुरू कर दिया।

पेरिस में झड़पें, आगजनी

बुधवार सुबह पेरिस में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान कई कचरे के डिब्बों में आग लगा दी गई। सरकार द्वारा “ब्लॉक एवरीथिंग” अभियान के तहत देशभर में 80,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व और सख्त आर्थिक नीतियों से नाराज़ हैं और देशभर में गतिविधियां बाधित करने की योजना बना रहे हैं। पेरिस पुलिस प्रीफेक्चर ने बताया कि सुबह 9 बजे तक 75 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका था, और दिनभर में प्रदर्शन और रोड ब्लॉक जारी रहने की आशंका है।

येलो वेस्ट आंदोलन की याद

“ब्लोकों तू” आंदोलन गर्मियों के दौरान सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट्स में बिना किसी स्पष्ट नेतृत्व के वायरल रूप से फैल गया। इसकी मांगों की सूची लंबी है, जिनमें से कई पूर्व प्रधानमंत्री बेयरू द्वारा पेश किए गए सख्त बजट प्रस्तावों के विरोध में हैं, साथ ही आर्थिक असमानता को लेकर भी नाराज़गी है। बुधवार के लिए हड़तालों, बहिष्कारों, रोड ब्लॉक और अन्य विरोध प्रदर्शनों का ऑनलाइन आह्वान किया गया था, जिसमें हिंसा से बचने की भी अपील की गई थी।

“ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन की अचानक और व्यापक प्रतिक्रिया ने 2018 के ‘येलो वेस्ट’ आंदोलन की याद दिला दी। उस समय ईंधन करों में वृद्धि के विरोध में कामगार ट्रैफिक सर्कलों में डेरा डालकर विरोध कर रहे थे और उन्होंने हाई-विजिबिलिटी जैकेट पहनी हुई थी। यह आंदोलन जल्दी ही राजनीतिक, सामाजिक, क्षेत्रीय और पीढ़ीगत विभाजनों को पार कर गया और आर्थिक अन्याय व मैक्रों के नेतृत्व के खिलाफ राष्ट्रीय आक्रोश का रूप ले लिया।

read more :  राहुल गांधी वापस जाओ, मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने रोका काफिला

राहुल गांधी वापस जाओ, मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने रोका काफिला

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं सांसद राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। उनके दौरे का प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने विरोध किया। लखनऊ प्रयागराज हाईवे पर बैठकर राहुल के काफिले को रोक दिया। हाईवे पर समर्थकों के साथ मंत्री दिनेश हाईवे पर बैठ गए। इस दौरान नारेबाजी होने लगी है। राहुल गांधी वापस जाओ के नारे लगाए। लखनऊ से रायबरेली आते समय हरचंदपुर क्षेत्र के गुलुपुर के पास उनका विरोध किया गया।

राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और कार्यकर्ता लखनऊ प्रयागराज हाईवे पर बैठ गए। राहुल गांधी वापस जाओ के नारे लगाए। करीब 20 मिनट तक राहुल का काफिला रुका रहा। इस दौरान कार्यकर्ता उत्तेजित हो गए। हालांकि मंत्री ने उन्हें समझाया तब जाकर समर्थक शांत हुए। मंत्री दिनेश सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। बिहार में उनकी मौजूदगी में प्रधानमंत्री की मां को गाली दी गई। यह किसी तरह से समाज के लिए ठीक नहीं है।

राहुल गांधी का कोंग्रेसियों ने किया भव्य स्वागत

प्रदेश सरकार के मंत्री के विरोध के चलते पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। काफी देर तक वहां अफरातफरी का माहौल रहा। पुलिस को हालात सामान्य करने में काफी समय लगा। किसी तरह राहुल के काफिले को आगे बढ़ाया गया। इससे पहले राहुल गांधी लखनऊ एयरपोर्ट पहुचे थे। लखनऊ एयरपोर्ट पर कोंग्रेसियों ने भव्य स्वागत किया। राहुल लखनऊ एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से रायबरेली पहुंचे थे।

read more :   पंचाचत में काम नहीं हो रहा, जनता मुझे दोष दे रही – सरपंच देवेंद्र सिंह राठौड़

पंचाचत में काम नहीं हो रहा, जनता मुझे दोष दे रही – सरपंच देवेंद्र सिंह राठौड़

स्टेट हेड – सादिक़ अली, राजस्थान। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की हुरडा पंचायत समिति कानियां ग्राम पंचायत के सरपंच देवेंद्र सिंह राठौड़ पंचायत क्षेत्र में काम नहीं होने के कारण आहत होकर कानिया गांव में स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गये। सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे। हुरडा प्रधान कृष्णा सिंह राठौड़ के आश्वासन के बाद सरपंच टंकी से नीचे उतरे।

पंचायत में काम नहीं होने का लगाया आरोप

कानियां ग्राम पंचायत के सरपंच देवेंद्र सिंह राठौड़ ने पंचायत पंचायत में कार्यरत सचिव (ग्राम विकास अधिकारी) मुकेश कुमार शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम पंचायत में नहीं आने के कारण आम जनता के काम नहीं हो रहे हैं। पिछले 20 दिनों से पंचायत के सचिव ग्राम पंचायत में नहीं आ रहे है। वहीं सचिव पीएम आवास के लिए भी गंभीर नहीं हैं। इसके कारण पंचायत क्षेत्र की जनता पीएम आवास योजना से भी वंचित रह रही हैं।

जनता मुझे दे रही दोष – सरपंच देवेंद्र सिंह

सरपंच ने कहा कि कानिया गांव के साथ कुठाराघात हो रहा है। हम लोकसभा के लिए अजमेर लोकसभा और विधानसभा के लिए ब्यावर जिले की मसूदा विधानसभा के लिए मतदान करते हैं। जबकि पंचायत राज और जिला परिषद के लिए भीलवाड़ा जिले में मतदान करते हैं। दोहरा मापदंड होने के कारण हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है। पंचायत सचिव को हटाने के लिए हमने भीलवाड़ा जिले के आसींद विधायक जब्बर सिंह सांखला और मसूदा विधायक विरेंद्र सिंह कानावत को भी कहा था लेकिन उन्होंने भी अभी तक सचिव को हटाने की पहल नहीं की है। इसके कारण आम जनता के वाजिब काम नहीं हो रहे हैं और आम जनता हमारे पर दोषारोपण कर रही है।

हुरडा प्रधान ने दी ये जानकारी

वही हुरडा प्रधान कृष्ण सिंह राठौड़ ने कहा कि मामले की जानकारी आते ही तुरंत मौके पर पहुंचा ग्राम पंचायत सरपंच व सचिव( ग्राम विकास अधिकारी) के बीच में पिछले दिनों से काफी अनबन चल रही है। जिसके कारण सरपंच पानी की टंकी पर चढ़ गया था। सरपंच सचिव को हटाने की मांग कर रहा है। हमने तीन दिन का आश्वासन दिया है। सचिव पंचायत में नहीं जाने की सरपंच कह रहा है। इसके लिए हमने जांच के निर्देश दिए हैं।

क्या कहती है पुलिस

संरपच के टंकी पर चढ़ने को लेकर गुलाबपुरा थानाधिकारी हनुमान सिंह चौधरी ने कहा की टंकी पर चढ़ने की सूचना पर हम मौके पर पहुंचे। तब तक संरपच हुरंगा पंचायत समिति के आश्वासन के बाद नीचे उतर गये। संरपच ग्राम पंचायत क्षेत्र में विकास के काम को लेकर टंकी पर चढ़े थे।

read more :  महिला मरीज के साथ अस्पताल में बलात्कार, टेक्निशियन गिरफ्तार

महिला मरीज के साथ अस्पताल में बलात्कार, टेक्निशियन गिरफ्तार

तेलंगाना के करीमनगर जिले से बड़ी ही शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट एक महिला मरीज के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया है। जानकारी के मुताबिक, महिला टाइफाइड और तेज बुखार की शिकायत लेकर अस्पताल में भर्ती हुई थी। यहां तीन दिन पहले उसके साथ रेप की घटना हुई। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का टेक्निशियन को गिरफ्तार किया है।

क्या है ये पूरा मामला ?

तेलंगाना के करीमनगर में तेलंगाना के करीमनगर में एक निजी अस्पताल में तीन दिन पहले एक महिला मरीज के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में 24 वर्षीय आपातकालीन वार्ड टेक्निशियन को गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के मुताबिक, आरोपी की पहचान महाराष्ट्र निवासी दक्षिणा मूर्ति के रूप में हुई है। आरोपी को फिलहाल न्यायिक हिरासत में रखा गया।

बेहोशी की दवा देकर मरीज से बलात्कार

दरअसल जगतियाल की रहने वाली 20 पीड़िता अस्पताल में टाइफाइड और तेज बुखार का इलाज करा रही थी। पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मूर्ति ने रविवार तड़के उसे कथित तौर पर बेहोशी की दवा दी। अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में भी मूर्ति को आपातकालीन वार्ड में प्रवेश करते, पीड़ित के बिस्तर के पास जाते और पर्दे बंद करते हुए देखा गया है।

अब तक मामले में क्या कार्रवाई हुई ?

पुलिस ने इस पूरी घटना को लेकर बताया है कि पीड़िता महिला का मेडिकल परीक्षण कराया गया है। अब मेडिकल जांच की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस की ओर से इस मामले में बीएनएस की धारा 64 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले में आगे की जांच की जा रही है।

read more :  प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास में लगाई आग, दुबई भागने की तैयारी में ओली?

प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास में लगाई आग, दुबई भागने की तैयारी में ओली?

इस वक्त की बड़ी खबर नेपाल से सामने आ रही है। नेपाल में भारी विद्रोह हुआ है और तख्तापलट की आशंका जताई जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने भक्तपुर के बालकोट स्थित प्रधानमंत्री ओली के आवास में आग लगा दी है। ऐसे में खबरें सामने आ रही हैं कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल छोड़कर दुबई भाग सकते हैं। ओली को दुबई ले जाने के लिए प्राइवेट प्लेन तैयार है।

नेपाल में क्यों शुरू हुआ था प्रदर्शन ?

नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन शुरू हुआ था। लेकिन युवाओं की भीड़ और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 21 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। इसके बाद ये प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच गया। मंगलवार को प्रदर्शन का दूसरा दिन है और आक्रोशित युवाओं की भीड़ लगातार हिंसक प्रदर्शन कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के मंत्रियों के घरों पर भी हमला करना शुरू कर दिया है।

प्रदर्शनकारियों ने पीएम ओली के आवास में आग लगाई

मिली जानकारी के मुताबिक, नेपाल के ललितपुर के भैसपति में हेलीकॉप्टर उड़ते देखे गए, जबकि हिमालयी देश में छात्रों के नेतृत्व में हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने भक्तपुर के बालकोट स्थित प्रधानमंत्री ओली के आवास में आग लगा दी। ओली फिलहाल बलवतार स्थित प्रधानमंत्री आवास पर हैं। नेपाल के बिगड़ते हालात को देखते हुए पीएम ओली ने डिप्टी पीएम को देश की कमान सौंपी है। युवा ओली सरकार को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

नेपाल के राष्ट्रपति आवास में घुस चुके हैं प्रदर्शनकारी

नेपाल के राष्ट्रपति आवास में प्रदर्शनकारी घुस चुके हैं। काठमांडू में जगह-जगह आगजनी और पथराव की घटनाएं सामने आ रही हैं। राष्ट्रपति के निजी आवास पर कब्जा कर लिया गया है और जगह-जगह तोड़फोड़ की गई है। नेपाल में हिंसा अपने चरम पर पहुंच चुकी है और हालात काफी बिगड़ गए हैं। नेपाल के बिगड़ते हालात को देखते हुए पीएम ओली ने डिप्टी पीएम को देश की कमान सौंपी है। युवा ओली सरकार को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। Gen-Z की मांग है कि नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन किया जाए।

read more :  अवैध हथियारों की सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

अवैध हथियारों की सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

मुजफ्फरनगर जिले के शाहपुर इलाके में पुलिस ने अवैध हथियार की आपूर्ति करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एक हेड कांस्टेबल के नाबालिग बेटे समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने बताया कि शाहपुर इलाके में पुलिस से मुठभेड़ के बाद पकड़े गए आरोपियों प्रणव, अनस और एक नाबालिग लड़के से 10 पिस्टल, 19 कारतूस और एक फोन जब्त किया गया है। उन्होंने बताया कि पकड़े गए नाबालिग आरोपी की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित था। वह हरिद्वार, सहारनपुर, रुड़की और अन्य जगहों पर नौ आपराधिक मामलों में वांछित है। वह हरिद्वार में तैनात एक हेड कांस्टेबल का बेटा है।

अवैध हथियारों की सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपी जेल में बंद अपराधी फिरोज अंसारी से अवैध रूप से बनाये गये। हथियार खरीदकर उन्हें आसपास के इलाके में बेचते थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (हत्या का प्रयास) और शस्त्र अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि इससे पहले बीते दिनों दिल्ली पुलिस के थाना सराय रोहिल्ला की टीम ने हथियारों की बड़ी खेप और कच्चे माल के साथ एक अवैध हथियार की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। इस छापेमारी में पुलिस ने 12 देसी पिस्तौल, बिना स्क्रू और कच्चे माल के 250 से ज्यादा पिस्तौलें बनाने का कच्चा माल बरामद किया था।

अवैध हथियारों की फैक्ट्री का हो चूका भंडाफोड़

बता दें कि पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। टेक्निकल और स्थानीय क्षेत्र से एकत्रित जानकारी के अनुसार 1 सितंबर 2025 को पुलिस टीम अलीगढ़ के जट्टारी पिशावा रोड स्थित एक खेत में पहुंची, जहां 2 कमरे बने हुए थे और बाहर ताला लगा हुआ था। पुलिस ने ताला तोड़ा और अंदर जाकर देखा तो पाया कि हनवीर नामक व्यक्ति द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध हथियार बनाए जा रहे थे। इसके बाद पुलिस ने देसी पिस्तौल समेत कच्चे माल को जब्त कर लिया और इससे संबंधित आरोपियों में से कुछ की गिरफ्तारी हो चुकी है और आगे की जांच की जा रही है।

read more :  सुप्रीम कोर्ट का आदेश: बिहार एसआईआर में आधार कार्ड मान्य दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: बिहार एसआईआर में आधार कार्ड मान्य दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मतदाताओं के लिए राहत का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव अधिकारियों द्वारा आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा। बता दें कि बिहार के जो लाखों मतदाता वोटर आईडी और आधार कार्ड को मान्यता न होने की वजह से वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अपने पुराने दस्तावेज नहीं दिखा पा रहे थे, उन्हें इससे फायदा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपने अधिकारियों को आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने के बारे में निर्देश जारी करने को कहा है।

एसआईआर पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को सूची में जगह दी जा सकती है। हालांकि इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच करने का अधिकार अधिकारियों को रहेगा।

एसआईआर के तहत चुनाव आयोग ने बिहार के सभी नागरिकों से नागरिकता प्रमाण पत्र दिखाने की मांग की थी। इसके लिए चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की थी। जिनसे नागरिकता सिद्ध की जा सकती है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने 12वें दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को जोड़ने का आदेश दिया है।

read more :  नेपाल में सोशल मीडिया पाबंदी पर मचा बवाल, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

नेपाल में सोशल मीडिया पाबंदी पर मचा बवाल, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। यहां हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शन के दौरान हिंसा के चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई है। प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार की है और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया है। नेपाल के विभिन्न शहरों में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ Gen-Z रिवोल्यूशन शुरू हुआ है। प्रदर्शनकारी सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर बैन लगाए जाने की वजह से भड़के हुए है। इस दौरान भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।

प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू

हालात को देखते हुए प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छविलाल रिजाल की ओर से स्थानीय प्रशासन अधिनियम की धारा 6 के तहत जारी किया गया कर्फ्यू सोमवार दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक प्रभावी रहेगा। यह आदेश न्यू बानेश्वर चौक से पश्चिम की ओर एवरेस्ट होटल और बिजुलीबाजार आर्च ब्रिज तक, और न्यू बानेश्वर चौक से पूर्व की ओर मिन भवन और शांतिनगर होते हुए टिंकुने चौक तक लागू है।

नेपाल में मचा बवाल

नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। भारी संख्या में युवा सरकार के विरोध में उतर आए हैं। नेपाल सरकार की ओर से फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने से युवा भड़क गए हैं। इन युवाओं ने 8 सितंबर से Gen-Z रिवोल्यूशन के नाम से प्रदर्शन शुरू किया है। विरोध इस कदर बढ़ रहा है कि अब हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों की पुलिस से हुई भिड़ंत

कर्फ्यू न्यू बानेश्वर चौक से उत्तर की ओर आईप्लेक्स मॉल होते हुए रत्न राज्य माध्यमिक विद्यालय तक और दक्षिण की ओर शंखमुल होते हुए शंखमुल ब्रिज तक भी लागू है। आदेश की वजह से इन क्षेत्रों में आवाजाही, सभाओं, प्रदर्शनों या घेराव पर प्रतिबंध लग गया है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे, लेकिन गुस्साई भीड़ ने उन्हें तोड़ दिया। पुलिस ने पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोले दागे, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों की टहनियां और पानी की बोतलें फेंकी और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। बवाल के बीच कुछ प्रदर्शनकारी न्यू बनेश्वर स्थित संसद भवन परिसर में भी घुस गए।

क्या कह रही है नेपाल सरकार ?

नेपाल सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया पर लगा बैन तभी हटेगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोलें। पंजीकरण कराएं और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाएं। नेपाल में अब तक सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है।

read more :  बिहार चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान…छोड़ दूंगा राजनीति

बिहार चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान…छोड़ दूंगा राजनीति

जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शहर के अंजुमन इस्लामिया प्रांगण में आयोजित सभा में विपक्ष पर जमकर बयानबाजी की। इस दौरान वे कई बार आपा खोते हुए विवादित टिप्पणियां भी कर गए। उन्होंने आगे कहा कि जेडीयू को आगामी विधानसभा चुनाव में 25 से ज्यादा सीटें मिलती हैं। तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

कार्यक्रम में उलेमा और समुदाय के प्रमुख चेहरों को बुलाया गया, साथ ही विशेष टोपी का वितरण किया गया। मंच से भाषण के दौरान प्रशांत किशोर ने पैगम्बर मोहम्मद साहब और धर्म का हवाला देकर जनता से समर्थन मांगा। सभा में शामिल लोगों के लिए नाश्ते की भी व्यवस्था की गई थी, जहां भीड़ उमड़ने से अफरा-तफरी का माहौल दिखा। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें 500 रुपये और भोजन का वादा करके लाया गया था, लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ। जिससे वे नाराज नजर आए।

विपक्षी दलों पर जमकर बरसे प्रशांत किशोर

मीडिया से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर विपक्षी दलों पर खासे हमलावर दिखे। जब उनसे पूछा गया कि जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने उन पर शराब माफियाओं से मिलीभगत का आरोप लगाया है। तो पीके भड़क उठे, उन्होंने वर्मा की तुलना ‘सड़क पर चलने वाले कुत्ते’ से कर दी और कहा कि ऐसे लोगों की बातों का जवाब देना जरूरी नहीं समझते है। भाजपा सांसद संजय जायसवाल के लीगल नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की ओर भागता है। उसी तरह जायसवाल जैसे लोग नोटिस भेजकर डराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं 100 ऐसे नेताओं से भी नहीं डरूंगा।

25 से ज्यादा सीटें आई तो ले लूंगा सन्यास – प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने अपने बहुचर्चित दावे को दोहराते हुए कहा कि अगर जेडीयू को आगामी विधानसभा चुनाव में 25 से ज्यादा सीटें मिलती हैं। तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि जैसे बंगाल चुनाव में भाजपा को 100 सीटें नहीं मिलीं, वैसे ही बिहार में जेडीयू 25 से आगे नहीं जाएगी।

मुस्लिम वोट बैंक को साधने में जुटे प्रशांत

सभा के दौरान कुछ लोगों ने कहा कि टोपी बांटकर और धर्म का हवाला देकर प्रशांत किशोर सीमांचल के मुस्लिम वोट बैंक को साधना चाहते हैं। लेकिन यहां का मतदाता किसी के झांसे में आने वाला नहीं है। कुल मिलाकर किशनगंज की यह सभा प्रशांत किशोर के लिए चर्चा और विवाद दोनों का कारण बनी। जहां उन्होंने जेडीयू और भाजपा नेताओं पर तीखे प्रहार किए। वहीं उनके कार्यक्रम की व्यवस्थाओं और रणनीति को लेकर भी सवाल उठे। यह साफ है कि बिहार की चुनावी सियासत में प्रशांत किशोर हर संभव दांव आजमाने की कोशिश कर रहे हैं।

read more :  बिहार विधानसभा चुनाव में सेल्फ गोल ना कर दे एनडीए – उपेंद्र कुशवाहा

बिहार विधानसभा चुनाव में सेल्फ गोल ना कर दे एनडीए – उपेंद्र कुशवाहा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर एनडीए के सभी दल एकजुट होकर तैयारियों में जुटने का दावा कर रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपने सहयोगियों को चेताया है। पटना के मिलर स्कूल मैदान में शुक्रवार को हुई आरएलएम की रैली में कुशवाहा ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में सेल्फ गोल के कारण एनडीए कुछ सीटों पर हार गया था। यह गलती आगामी विधानसभा चुनाव में न हो, इसका ध्यान रखना होगा।

एनडीए के अंदर भीतरघात की चर्चा

उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान से राजनीतिक पारा गर्मा गया है। कुशवाहा के बयान से एनडीए के अंदर भीतरघात की चर्चा होने लगी है। लोकसभा चुनाव 2024 में कुशवाहा ने काराकाट लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। मगर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट से महागठबंधन से चुनाव लड़े सीपीआई-माले के प्रत्याशी राजाराम कुशवाहा की जीत हुई थी। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा की हार की वजह राजाराम नहीं, बल्कि भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह थे।

सेल्फ गोल नहीं करने की हिदायत – उपेंद्र कुशवाहा

दरअसल, पवन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बगावत कर कुशवाहा के खिलाफ निर्दलीय काराकाट से ताल ठोकी थी। इससे एनडीए के वोटों का बंटवारा हो गया। कुशवाहा तीसरे नंबर पर खिसक गए। अब कुशवाहा ने भाजपा समेत अन्य सहयोगी दलों को विधानसभा चुनाव में इसी तरह का ‘सेल्फ गोल’ नहीं करने की हिदायत दी है। पटना रैली में उन्होंने कहा कि एनडीए को एकजुट रहना होगा।

चुनावी विश्लेषकों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2024 में पवन सिंह के काराकाट से निर्दलीय उतरने पर राजपूत वोट उनके साथ चले गए थे। वहीं कोइरी वोटर एनडीए से छिटककर महागठबंधन में चले गए। इसका असर सिर्फ काराकाट ही नहीं बल्कि आसपास की आरा, सासाराम और बक्सर जैसी सीटों पर भी पड़ा। यहां भी एनडीए के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

read more :  सपा विधायक इकबाल के बगीचे में बुलडोजर एक्शन, हटवाया अतिक्रमण

सपा विधायक इकबाल के बगीचे में बुलडोजर एक्शन, हटवाया अतिक्रमण

संभल: यूपी के संभल में समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद के खिलाफ प्रशासन ने एक्शन लिया है। प्रशासन ने विधायक इकबाल महमूद के आम के बाग की शनिवार को नापतौल कराई। प्रशासन ने बुलडोजर मंगवाकर सरकारी जमीन पर निशान लगवाए। आरोप है कि सपा विधायक ने साढ़े तीन बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। आम के बाग में बगैर अनुमति कटहल का पेड़ काटने का भी आरोप है। एसडीएम विकास चंद्र ने बताया कि रायसत्ती थाना इलाके के गांव मंडलाई में सपा विधायक की बाग है।

सरकारी ज़मीन पर था अवैध कब्जा

जानकारी के मुताबिक, संभल तहसील के मंडल गांव में निरीक्षण के दौरान पता चला कि कुछ लोगों ने एक बगीचे के भीतर सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया था। भूखंड संख्या 222 और 198, इकबाल महमूद मोहम्मद ज़ैद, मोहम्मद जुनैद, फैज़ इकबाल, मोहम्मद असलम, सोहेल इकबाल और शान इकबाल के नाम पर पंजीकृत हैं। इसके अलावा चार निकटवर्ती सरकारी भूखंड, संख्या 221 (बंजर), 221 (गोल), 271 कील और 272 कील, का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया था और उनका उपयोग बगीचे के हिस्से के रूप में किया जा रहा था।

सपा विधायक के खिलाफ दर्ज हो सकता है मामला

तहसील के अधिकारियों ने बताया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को खाली कराया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि यह अवैध कब्जा लंबे समय से चला आ रहा है। अनाधिकृत पेड़ कटाई की समस्या से निपटने के लिए वन विभाग के साथ-साथ राजस्व, नहर, सिंचाई और नलकूप विभाग के अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं।

ज़मीन को अवैध कब्ज़े से मुक्त कराया जा रहा है और वन विभाग पेड़ के संबंध में कार्रवाई कर रहा है। क्षेत्रीय वन अधिकारी मनोज कुमार ने पुष्टि की कि इकबाल महमूद के बाग में कटहल के पेड़ को काटने के लिए कार्रवाई की जा रही है, जिसमें पेड़ की जगह की माप और उसे काटने के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति की पहचान करके मामला दर्ज करना शामिल है।

read more :  आकाश आनंद के ससुर ने मायावती से सार्वजनिक रूप से मांगी माफी

आकाश आनंद के ससुर ने मायावती से सार्वजनिक रूप से मांगी माफी

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पूर्व राज्यसभा सांसद और बसपा नेता आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने बसपा सुप्रीमो मायावती से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ ने अपनी गलतियों के लिए मायावती से माफी मांगते हुए पार्टी में वापसी की गुहार लगाई है। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा है कि आगे से अब कभी गलती नहीं होगी। अशोक सिद्धार्थ ने ऐसे समय में माफी मांगी है। जब आकाश आनंद को बसपा में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
अशोक सिद्धार्थ की पोस्ट
अशोक सिद्धार्थ की पोस्ट

पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा – मैं अशोक सिद्धार्थ बीएसपी पूर्व सांसद निवासी जिला फर्रुखाबाद बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी की चार बार रहीं मुख्यमंत्री और कई बार लोकसभा व राज्यसभा की सांसद रहीं बहन मायावती का हहृय से सम्मान और चरण-स्पर्श करता हूँ। मुझसे पार्टी का कार्य करने के दौरान जाने व अनजाने में तथा गलत लोगों के बहकावे में आकर जो भी गलतियां हुई हैं। तो उसके लिए मैं आदरणीय बहन जी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूँ। जिन्होंने अनेकों कष्ट झेलकर, अपनी पूरी जिन्दगी, इस देश के करोड़ों दलितों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के हित व कल्याण के लिए समर्पित की है।

हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूँ कि वे मुझे माफ कर दें

उन्होंने आगे लिखा – बहन जी से मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूँ कि वे मुझे माफ कर दें, आगे मैं कभी भी गलती नहीं करूँगा और पार्टी के अनुशासन में ही रहकर, उनके मार्ग-दर्शन एवं दिशा-निर्देश में ही कार्य करूँगा। इसके साथ ही मैं रिश्तेदारी आदि का भी कोई नाजायज फायदा नहीं उठाऊँगा। यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि खासकर संदीप ताजने बीएसपी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र व हेमन्त प्रताप, निवासी जिला फिरोजाबाद तथा यूपी के अन्य जिन भी गलत लोगों को पार्टी से निकाला गया है।

तो मैं उनको वापिस लेने के लिए कभी भी सिफारिश नहीं करूंगा। यह भी मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ। अन्त में अब मैं पुनः बहन जी से अपनी सभी छोटी-बड़ी गलतियों की माफी माँगते हुए। उनसे पार्टी में वापिस लेने के लिए विशेष आग्रह करता हूँ। बहन जी की अति कृपा होगी।

मायावती के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते थे अशोक सिद्धार्थ

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को 12 फरवरी 2025 को पार्टी विरोधी गतिविधियों और गुटबाजी के आरोप में बीएसपी से निष्कासित कर दिया था। अशोक सिद्धार्थ मायावती के करीबी और भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते थे। वह मायावती के समर्थन से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं और इससे पहले विधान परिषद (एमएलसी) के भी रह चुके हैं।

read more :  यूपी में बड़ा फर्जीवाड़ा, 6 जिलों में सरकारी नौकरी कर करोड़ों की ली सैलरी

यूपी में बड़ा फर्जीवाड़ा, 6 जिलों में सरकारी नौकरी कर करोड़ों की ली सैलरी

यूपी के फर्रुखाबाद जनपद के स्वास्थ्य विभाग से एक ऐसी खबर सामने आई। जिसने न सिर्फ व्यवस्था की असली तस्वीर दिखा दी। बल्कि पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया। अर्पित सिंह, जिसका नाम पिछले 9 सालों से एक्स-रे टेक्नीशियन के पद पर दर्ज था। वह हर महीने लाखों रुपये का वेतन और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता रहा। लेकिन मानव संपदा पोर्टल पर जब उनका रजिस्ट्रेशन हुआ। तो राज खुला कि अर्पित सिंह नाम का कोई शख्स है ही नहीं।

क्या है पूरा मामला ?

अर्पित सिंह नाम के इस शख्स का नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम सभी रिकॉर्ड में समान पाया गया। लेकिन इसके बावजूद वह 6 अलग-अलग जिलों में एक ही समय पर नियुक्त था। फर्रुखाबाद, बांदा, बलरामपुर, बदायूं, रामपुर और शामली। यूपी के ये 6 जिले अब इस फर्जीवाड़े की वजह से चर्चा में हैं।

सरकारी नौकरी कर करोड़ों की ली सैलरी

वहीं सैलरी की बात करें तो एक अर्पित सिंह हर महीने 69,595 रुपये ले रहा था। एक साल में सिर्फ एक जिले से ही 8,35,140 रुपये की सैलरी ली गई। 9 सालों में केवल एक जिले से 75,16,260 रुपये का भुगतान हो चुका है। अगर 6 जिलों के अर्पित सिंहों के वेतन जोड़ें, तो लगभग 4.5 करोड़ रुपये सिर्फ छ व्यक्तियों ने विभाग से हासिल कर लिए।

सीएमओ ने जांच टीम बनाई

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पूरे मामले पर तीन उप मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की जांच टीम बनाई है। जांच के बाद कार्रवाई होगी। सरकार की नीतियां, विभागीय सख्ती और निगरानी तंत्र सब पर यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर कैसे इतने लंबे समय तक कोई “अस्तित्वहीन” शख्स सरकारी वेतन का लाभ उठाता रहा ?

इस मामले र मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवनींद्र कुमार का कहना है कि कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ नियम-कानून के दस्तावेजों तक सीमित रहेगी या फिर व्यवस्था की जड़ों तक पहुंचेगी, यह एक बड़ा सवाल है।

आखिर जिम्मेदार कौन ?

वहीं दूसरी ओर, एक ऐसा नाम जो असल में मौजूद ही नहीं है और सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों डकार गया। आखिर इस सबके पीछे जिम्मेदार कौन है ? वे अधिकारी जिन्होंने दस्तावेजों पर सिर्फ एक “ठप्पा” लगाने को ही अपना काम समझा ? या वो भ्रष्ट मानसिकता, जिसके चलते ऐसे लोग हमेशा बच निकलते हैं ? यह कहानी सिर्फ अर्पित सिंह की नहीं है। यह उस व्यवस्था की कहानी है जिसने एक “नामहीन इंसान” को 9 सालों तक जिंदा रखा और असली कर्मचारियों को चुपचाप झुककर काम करने पर मजबूर किया।

read more :  लाठीचार्ज के खिलाफ एबीवीपी के पीछे खड़ी हुई सपा छात्र सभा, पुलिस से झड़प

B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है, जो आपके पास है नहीं

बिहार की सियासत में इन दिनों हंगामा मचा हुआ है। केरल कांग्रेस के एक ट्वीट ने बिहार में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। केरल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर बिहार की तुलना बीड़ी से करते हुए ‘B से बिहार, B से बीड़ी’ जिसके बाद बवाल मच गया। इस ट्वीट को लेकर बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस ने एक बार फिर सीमारेखा पार की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को गाली देने के बाद कांग्रेस ने बिहार की तुलना बीड़ी से की है। उन्होंने कहा, ‘क्या तेजस्वी यादव इसका समर्थन करते हैं? रेवंत रेड्डी से लेकर डीएमके और कांग्रेस तक, बिहार को लेकर उनकी नफरत साफ दिखाई देती है।

गाली विवाद ने भी पकड़ा जोर

बिहार में इस बीच एक और विवाद ने जोर पकड़ लिया है। दरअसल, राहुल गांधी के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देने का मामला सामने आया था। इसके विरोध में बीजेपी ने गुरुवार को 5 घंटे का बिहार बंद बुलाया था। इस मुद्दे ने भी सियासी माहौल को और गर्म कर दिया। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस पूरे मामले को गुजरात बनाम बिहार से जोड़ते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। लालू ने अपनी X पोस्ट में लिखा, ‘गुजराती लोग बिहारियों को इतने हल्के में नालें। ये बिहार है। बीजेपी के गुंडे राह चलती महिलाओं, बहन-बेटियों, बुजुर्गों और स्कूल जाने वालों को परेशान कर रहे हैं। सड़क पर आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं।

B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है जो..........
B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है जो……….

B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है

जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने लिखा, ‘कांग्रेस की एक और अत्यंत शर्मनाक हरकत! आपको बता दें कि B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है। जो आपके पास नहीं है! B से बजट भी होता है, जिसमें बिहार को विशेष सहायता मिलने पर आपको मिर्ची लगती है। बिहार का मजाक बनाने की नीचता कर कांग्रेस ने न केवल बिहारवासियों का फिर से अपमान किया है, बल्कि देश के गौरवशाली इतिहास और लोकतंत्र का भी मजाक बनाया है। जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने आगे लिखा कि यकीन मानिए, बिहार की महान जनता कांग्रेस द्वारा बार-बार किये जा रहे अपमान का करारा जवाब आगामी विधानसभा चुनाव में देगी। बीड़ी के धुएं से नहीं, वोट की चोट से।

जीएसटी को लेकर बढ़ गया विवाद

आरजेडी ने जीएसटी को लेकर भी बीजेपी पर बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती ने X पर लिखा, ‘मोदी जी जीएसटी में भी बिहारी उत्पादों के साथ अपनी नफरत दिखा रहे हैं। गुजराती खाखड़ा पर जीएसटी 0% कर दिया। वहीं बिहार के मखाने पर जीएसटी 5% और मशहूर गयाजी की शान तिलकुट पर 18%। इतना ही नहीं, कलम पर जीएसटी बढ़ाकर 18% कर दिया। तेजस्वी जी कहते हैं कि बीजेपी तलवार बांटती है, कलम से नफरत करती है। बता दें कि बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अलग-अलग मुद्दों पर बयानबाजी तेज हो गई है।

विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस ने मांगी माफी

इस मुद्दे पर जब विवाद बढ़ा तो कांग्रेस ने माफी मांग ली। केरल कांग्रेस के X पर पोस्ट किया गया, ‘हम देख रहे हैं कि जीएसटी दरों को लेकर मोदी के चुनावी हथकंडे पर हमारे कटाक्ष को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। अगर आपको ठेस पहुंची हो तो हम क्षमा प्रार्थी हैं।

read more :  लाठीचार्ज के खिलाफ एबीवीपी के पीछे खड़ी हुई सपा छात्र सभा, पुलिस से झड़प

लाठीचार्ज के खिलाफ एबीवीपी के पीछे खड़ी हुई सपा छात्र सभा, पुलिस से झड़प

यूपी में बाराबंकी के रामस्वरूप विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) छात्रों पर लाठी चार्ज का मुद्दा गर्माता जा रहा है। इसी विरोध में सपा छात्र सभा कूद पड़ी है। लखनऊ के राजभवन के ठीक सामने समाजवादी छात्र सभा ने जोरदार प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में छात्र राजभवन के पास पहुंचे। यहां प्रदर्शन के दौरान उनकी पुलिस से झड़प हो गई। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ने की कोशिश की।

छात्र नहीं माने और वहीं लेट गए। इस पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इससे पहले एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पुलिस की ओर से हुए लाठीचार्ज के खिलाफ कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया। कुछ कार्यकर्ता विधानभवन के सामने पहुंच गए। एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने कैसरबाग स्थित एबीवीपी अवध प्रांत कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।

पुलिस के बीच गुंडे घुसे, छात्रों का आरोप

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। छात्रों ने आरोप लगाया कि रामस्वरूप विवि में पुलिस के बीच गुंडे घुसे थे। पहले उन्होंने मारा। उनका जब छात्रों ने विरोध किया तो पुलिस ने जानलेवा हमला कर दिया। छात्रों का आरोप है कि लंबे समय से विश्वविद्यालय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। लॉ डिग्री की मान्यता नहीं है। ऐसे में लॉ छात्रों के साथ धोखा किया गया है।

2022 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्धता के बारे में जानकारी जब ली गई तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। अगर इन सब मामलों पर रिपोर्ट नहीं आती है तो प्रदर्शन और उग्र किया जाएगा। इसके बाद पुलिस कार्यकर्ताओं को खींचकर इको गार्डन ले गई। इस दौरान कई भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए पुलिस के लाठीचार्ज को गलत ठहराया।

एनएसयूआई का मिला साथ

एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष मध्य क्षेत्र आर्यन मिश्रा ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस के लाठीचार्ज का विरोध किया। आर्यन की अगुवाई में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने अस्पताल पहुंचकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं का हाल जाना और साथ ही कहा कि राजनीतिक विचारधारा भले ही अलग हो, पर छात्र होने के नाते घायल छात्रों के साथ मजबूती से खड़े हैं।

सपा नेता ने घायल छात्रों का हाल जाना

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने मंगलवार दोपहर को लाठी चार्ज से घायल छात्रों का हाल जाना। वह ट्रामा सेन्टर में कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे। फखरुल ने छात्रों की मांगों का समर्थन किया और लाठी चार्ज की निंदा की। उन्होंने छात्रों से कहा कि वह उनकी लड़ाई में साथ है। छात्रों का दर्द उनका दर्द है। उनकी पार्टी का दर्द है। उन्होंने छात्रों का उचित इलाज कराने की मांग के साथ ही पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने को कहा है।

कांग्रेस सांसद ने छात्रों से मुलाकात की

बाराबंकी से कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने ट्रामा सेंटर में भर्ती घायल छात्रों का हाल जाना। उन्होंने पुलिस कार्रवाई की भर्त्सना की तथा दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बर्रबर कार्रवाई करार देते हुए दोषियों को दंडित करने की मांग उठाई। पीड़ित छात्रों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया।

पत्रकारों से बाचतीत में कहा कि जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठीचार्ज करना निरंकुशता और दमनकारी शासन का परिणाम है। यह शर्मनाक, निंदनीय और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहना, विरोध दर्ज कराना कहीं से भी गलत नहीं है। इस दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष रुद्रदमन सिंह, शहर अध्यक्ष शहजाद आलम मौजूद थे।

read more :  2024 तक पड़ोसी देशों के नागरिकों को भारत में रहने का अधिकार

2024 तक पड़ोसी देशों के नागरिकों को भारत में रहने का अधिकार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2024 तक भारत आए। हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों के बिना भी देश में रहने की अनुमति दी जाएगी। पिछले साल लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए।

इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। हाल ही में लागू आव्रजन एवं विदेशी (नागरिक) अधिनियम, 2025 के तहत जारी किया गया। यह महत्वपूर्ण आदेश बड़ी संख्या में लोगों विशेषकर पाकिस्तान से आए। उन हिंदुओं को राहत प्रदान करेगा। जो 2014 के बाद भारत आए और अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे।

आदेश में क्या कहा गया ?

गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, जो धार्मिक उत्पीड़न या इसके डर से भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुए। 31 दिसंबर 2024 को या उससे पहले वैध दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश किया। उन्हें वैध पासपोर्ट और वीजा रखने के नियम से छूट दी जाएगी।

नेपाल और भूटान के नागरिकों के लिए क्या हैं नियम ?

गृह मंत्रालय के आदेश में साफ किया गया है कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत आने-जाने या यहां रहने के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होगी। बशर्ते वे भारत में सीमा मार्ग से प्रवेश करें। यह व्यवस्था पहले की तरह ही जारी रहेगी। हालांकि, अगर कोई नेपाली या भूटानी नागरिक चीन, मकाऊ, हॉन्गकॉन्ग या पाकिस्तान से भारत आता है, तो उसके पास मान्य पासपोर्ट होना अनिवार्य होगा।

इसी तरह भारतीय नागरिकों को भी नेपाल या भूटान की सीमा से भारत आने-जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर वे नेपाल या भूटान के अलावा किसी अन्य देश (चीन, मकाऊ, हॉन्गकॉन्ग और पाकिस्तान को छोड़कर) से भारत लौटते हैं। तो उन्हें मान्य पासपोर्ट दिखाना होगा। वहीं भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों जो कि ड्यूटी पर भारत में प्रवेश या बाहर जा रहे हैं तथा उनके परिवार के सदस्यों को (अगर वे सरकारी परिवहन के साथ यात्रा कर रहे हों) पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी।

read more :  जेल में रहेंगे शरजील इमाम और उमर खालिद, दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका