डिजिटल डेस्क : बाके जिलेके बाबुगाउ और जैसपुर में चहलुम उत्सव संपन्न हो गया है. ताजियाके बाद चालीसवां मनाते हैं, जिसका अर्थ है मोहर्रम, त्योहार के चालीस दिन बाद, जिसमें अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तारीखों मे मनाया जाता है । लेकिन हर साल की तरह ईश बार इस त्योहार में कुछ अंतर देखने को मिला है. नेपाली मुसलमानों ने दुनिया में इस्लाम के अनुयायियों के लिए शांति की कामना की है। चीन के शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुसलमानों के सलामती के लिए जैसपुर और बाके में बाबूगाउ समेत कई जगहों पर चालीसवा की कामना की है. विभिन्न स्थानों पर लगे बैनरों पर लिखा है, “अल्लाह उइगर मुसलमानों पर रहम करे।” दुनिया भर में उइगर मुसलमानों का शिकार होने को लेकर अब चीन की आलोचना हो रही है. चीन उइगर मुसलमानों को प्रताड़ित करता रहा है और कई उइगरों को प्रताड़ित करता रहा है। हालांकि, सवाल तब पैदा हुआ है जब पाकिस्तान समेत मुस्लिम देश उइगर मुसलमानों को लेकर खामोश हैं। यह समझा जाता है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद हाल ही में चीन पहुंचे तालिबान नेताओं से वादा कराया गया है कि वे उइगर के बारे में आवाज नहीं उठाएंगे। नेपाल मे धीरे-धीरे युवाओं ने उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। एक प्रतिभागी ने कहा कि मुस्लिम युवाओं द्वारा किए गए प्रयासों से पूरे मुस्लिम समुदाय को जागरूक करने की उम्मीद है।
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