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कब है देवउठनी एकादशी? नोट कर लें तिथि और शुभ मुहूर्त का समय

एस्ट्रो डेस्क : देवउठनी एकादशी व्रत: कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी का विवाह भी होता है। इस दिन से भगवान विष्णु ने सृष्टि की कमान संभाली और इसी दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य भी शुरू हो गए।हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन नियम-कायदों से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और सामग्री की पूरी सूची-

देवउठनी एकादशी तिथि-

14 नवंबर, देबुथानी एकादशी

अच्छी शुरुआत

कार्तिक, शुक्ल एकादशी शुरू – 05:48 पूर्वाह्न, 14 नवंबर

कार्तिक, शुक्ल एकादशी समाप्त – 06:39 पूर्वाह्न, 15 नवंबर

समय बिताएं-

15 नवंबर, पारान मয় समय – दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक

पारन तिथि पर हरि भास की समाप्ति का समय – दोपहर 01:00 बजे

एकादशी पूजा-विधि-

सुबह उठकर स्नान कर लें।

घर के मंदिर में दीपक जलाएं।

गंगाजल में भगवान विष्णु का अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को फूल और तुलसी की दाल चढ़ाएं।

हो सके तो इस दिन व्रत भी करें।

देबूथानी एकादशी के दिन तुलसी बीवा भी किया जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह हुआ था।

इस दिन नियमानुसार तुलसी और शालिग्राम की भी पूजा करें।

भगवान को पूजा।

भगवान को भोजन कराएं। याद रखें कि केवल सात्विक चीजें ही भगवान को समर्पित होती हैं। तुलसी निश्चित रूप से भगवान विष्णु के भोग में शामिल है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु को भोग नहीं लगता।

इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें।

इस दिन भगवान का अधिक ध्यान करें।

एकादशी ब्रत पूजा सामग्री की सूची

श्री विष्णु की तस्वीर या मूर्ति

पुष्प

नारियल

पीना

फल

लौंग

सूरज की रोशनी

लालटेन

घी

पंचामृत

अखंड

मीठा पुदीना

चंदन

मीठा

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