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शबनम की फांसी की बस तारीख तय होनी है और उसी के साथ देश में पहली महिला को दी जाने वाली फांसी का अध्याय भी इतिहास के पन्नों में जुड़ जाएगा। इस फांसी में कितना वक्त लगेगा, यह तो अभी तय नहीं है, लेकिन जेल मैनुअल के मुताबिक कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें महिलाओं को फांसी से बख्शा जा सकता है।
दिल्ली की तिहाड़ जेल में साढ़े तीन दशक तक लॉ ऑफिसर रहे सुनील गुप्ता कहते हैं कि किसी महिला को फांसी हुई हो ऐसा मामला अभी तक उनके संज्ञान में कभी नहीं आया। चूंकि पहली बार शीर्ष अदालत ने किसी महिला की फांसी की सजा को बरकरार रखा है तो इस पर चर्चा होनी शुरू हुई है। In Teen Kaarano Se
पूर्व लॉ ऑफिसर के मुताबिक फांसी कब दी जानी है यह तो डेथ वारंट जारी होने से ही पता चलेगा। उन्होंने बताया कि जेल के मैनुअल के मुताबिक महिलाओं को तीन वजहों से फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। गुप्ता ने पहली वजह बताते हुए कहा कि अगर महिला गर्भवती है तो उसे फांसी नहीं दे सकते। In Teen Kaarano Se
इसके अलावा अगर कोई महिला किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित है जो लाइलाज है और उसका ताउम्र इलाज चलना है, साथ ही वह बीमारी भी दुर्लभ है, तो ऐसे मामलों में भी महिला को फांसी नहीं हो सकती है। इसके अलावा अगर राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पर विचार करते हुए उसे मान लें तो भी फांसी नहीं दी जा सकती है।
सुनील गुप्ता तिहाड़ जेल में 1981 से लेकर 2016 तक 35 साल लॉ ऑफिसर रहे और अपने इस पूरे कार्यकाल में उन्होंने रंगा, बिल्ला से लेकर इंदिरा गांधी के हत्यारों समेत अफजल गुरु और पांच अन्य को फांसी के तख्ते पर झूलते हुए देखा है। वे बताते हैं कि महिलाओं को फांसी देने का अब तक कोई मामला संज्ञान में नहीं हैं। In Teen Kaarano Se
गुप्ता के मुताबिक जहां तक उन्हें याद आ रहा है उसमें 1980 के दशक में एक पारिवारिक हत्या के मामले में महिला समेत एक अन्य परिवारजन को फांसी की सजा निचली अदालत ने सुनाई थी। लेकिन बाद में उसे शीर्ष अदालत ने आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। वे कहते हैं कि महिलाओं और पुरुषों को फांसी देने के लिए कोई विशेष प्रकार के अलग बंदोबस्त नहीं करने होते हैं। न फांसी घर की अलग व्यवस्था का कोई प्रावधान है और न ही किसी अन्य तरह से कोई छूट। ठीक उसी पैटर्न पर फांसी दिए जाने की व्यवस्था है जैसे पुरुषों को फांसी दी जाती है। चूंकि पहला मामला है किसी महिला को फांसी देने का, तो अब तमाम तरह के मैनुअल और अन्य तरह की चर्चाएं भी शुरू होंगी।
शबनम ने एक और दया याचिका उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को दी है। ऐसे में कानून के जानकार अधिवक्ता अभिषेक तिवारी का कहना है कि अब इस मामले में डेथ वारंट तब तक नहीं जारी किया जा सकता, जब तक कि राज्यपाल की तरफ से कोई फैसला न आ जाए। In Teen Kaarano Se
मथुरा जेल में शबनम को फांसी दी जानी है। चूंकि उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल में महिलाओं को फांसी का प्रावधान मथुरा जेल में ही है। ऐसे में अब इस जेल में फांसी दिए जाने की तैयारियों की मुकम्मल व्यवस्था की जा रही है। अभी इस जेल में फांसी घर भी दुरुस्त नहीं है। In Teen Kaarano Se
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