पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना और प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख किया है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वर्ष 2016 में राजस्थान के उत्तरी- पूर्वी 13 जिलों करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, झालावाड़, कोटा, बांरा, बूंदी, अलवर, जयपुर, टोंक और अजमेर की पानी, सिंचाई व औद्योगिक संस्थाओं को आपूर्ति के लिए ईआरसीपी का प्रस्ताव तैयार कर आया था।
अनुमानित लागत से 30247. 12 करोड रुपए के इस प्रस्ताव को 19 नवंबर 2017 को केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया था। उस वक्त केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया था कि यह प्रस्ताव केंद्रीय योजना का हिस्सा बनेगा। ज्ञापन में उल्लेख किया है कि पूर्वी राजस्थान के लोगों के जीवन के लिए आवश्यक उक्त परियोजना की अनुमानित लागत अत्यधिक है, जो वित्तीय हालातों के चलते राज्य सरकार के बूते में नहीं है। ऐसे में उक्त परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना आवश्यक है।
भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने से बांध
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेश महामंत्री भरत सिंह डागुर, प्रदेश उपाध्यक्ष लाखन सिंह खटाना, प्रदेश मीडिया प्रभारी दीनदयाल सारस्वत, प्रदेश प्रवक्ता गिरीश अलीपुरा, प्रदेश सचिव कैलाश चंद मीणा, पूरणमल जाटव, सचिव भूरसिंह और कार्यालय प्रभारी सुमंत मीणा ने बताया कि ज्ञापन में यह भी उल्लेखित किया गया कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी और सिंचाई की गंभीर समस्या बनी हुई है। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि खेत तेजी से बंजर हो रहे हैं। भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने से बांध, कुएं, तालाब एवं अन्य जलस्रोत पानी से रीते हो गए हैं। कृषि आधारित जीवन घटता जा रहा है और मवेशियों की संख्या में भी लगातार कमी हो रही है।
राज्य के पूर्वी क्षेत्र में पानी के अभाव में औद्योगिक संस्थान भी स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। इन हालातों में गांवों से आमजन का पलायन बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की पानी और सिंचाई की समस्या के स्थाई समाधान के लिए ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए, ताकि इन जिले के निवासी लोगों को पानी की उपलब्धता होने से नया जीवन में सके। कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने वालों में रामपाल सैनी, महेश जोशी, रतिराम, राजेश कुमार गुर्जर, जगमोहन, पृथ्वी सिंह, फतेह सिंह डागुर, गोरेलाल पटेल, कामराज डागुर, श्रीफल मीणा, रतिराम, धारा सिंह, मोती लाल मीणा आदि कई किसान और ग्रामीण पटेल शामिल थे।
प्रधानमंत्री से मांगे पूर्वी राजस्थान के हर व्यक्ति के लिए महज 11612 रुपए
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना ने पूर्वी राजस्थान के हर व्यक्ति के लिए प्रधानमंत्री से महज 11612 रुपए मांगे हैं।प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में उल्लेख किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस परियोजना का प्रस्ताव 37247,.12 करोड़ रुपए का तैयार कराया था। राजस्थान की वर्ष 2021 तक अनुमानित जनसंख्या 7 करोड़ 82 लाख 30 हजार 816 है।
इस अनुसार उत्तरी-पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की 41 प्रतिशत आबादी 3 करोड़ 20 लाख 14 हजार 634 है। उक्त लोगों के हिस्से में परियोजना में प्रस्तावित लागत के महज 11,612 रुपए आते हैं। इस कारण क्षेत्र का हर व्यक्ति प्रधानमंत्री से 11612 रुपए की मांग करता है। कहा गया है कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय योजना घोषित करने से उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के निवासी हर व्यक्ति की सात पुश्तों का जीवन धन्य हो जाएगा और जल ही जीवन है कथन सार्थक हो जाएगा।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेश प्रवक्ता गिरीश अलीपुरा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मई 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हिण्डौन के कैलाश नगर गांव में आए थे। उस दौरान आयोजित सभा में उन्होंने इस परियोजना का उल्लेख करते हुए अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाए जाने एवं ईआरसीपी को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि इसी कारण प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने का दिन 3 मई निर्धारित किया है।
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