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क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की हुई अनदेखी ? नूरी मस्जिद पर छिड़ा संग्राम…..

उत्तर प्रदेश स्थित फतेहपुर में नूरी जामा मस्जिद का अतिक्रमण बुलडोज़र से नियमानुसार हटवाया गया। जानकारी के अनुसार जनपद फतेहपुर क्षेत्र के बहराइच – बांदा मार्ग (SH-13) पर मार्ग के चौड़ीकरण को लेकर लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग के किनारे के अवैध निर्माण को हटाया गया। वही फतेहपुर में नूरी मस्जिद पर 13 दिसंबर से पहले बुलडोजर एक्शन को लेकर संग्राम छिड़ गया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि जिला प्रशासन ने कोर्ट की अवहलेना की है क्योंकि मामला अभी अदालत में है।

वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर स्टे या रोक नहीं लगाया था इसलिए कार्रवाई की गई। जिला प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के उन दिशा-निर्देशों की अनदेखी करने का भी आरोप लग रहा है जिनमें कहा गया था कि बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। आइए, जानते हैं कि दोनों पक्ष अपनी दलील में क्या कह रहे हैं।

जिला प्रशासन की क्या है दलील ?

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अनदेखी के आरोपों पर जिला प्रशासन का कहना है कि बुलडोजर एक्शन से 45 दिन पहले ही मस्जिद को नोटिस जारी किया गया था। प्रशासन ने यह भी कहा कि कोर्ट ने इस मामले पर स्टे नहीं लगाया था इसलिए कार्रवाई कहीं से गलत नहीं है। बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही कुछ बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की थी और कहा था कि जो भी उसका उल्लंघन करेगा उस अफसर पर एक्शन होगा। ऐसे में फतेहपुर जिला प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाए जा रहे हैं।

मस्जिद कमेटी का दावा

मस्जिद कमेटी का दावा है कि नूरी मस्जिद करीब 180 साल पुरानी है। उसका कहना है कि मस्जिद का निर्माण 1839 में हुआ था। मस्जिद कमेटी का कहना है कि जब मस्जिद बनी थी तब यहां सड़क नहीं थी बल्कि जंगल था, ऐसे में अवैध निर्माण की बात गलत है। वही मस्जिद कमेटी का यह भी कहना है कि जानबूझकर मस्जिद को टारगेट किया गया है, क्योंकि इसे बचाने के लिए बाईपास बनाने की सलाह भी दी गई थी, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। मस्जिद कमेटी ने कहा कि इस मसले पर 13 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई थी, इसलिए मस्जिद पर एक्शन पूरी तरह गलत है।

क्या थी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस ?

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में साफ-साफ कहा था कि बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। वही लोक निर्माण विभाग का कहना है कि उसने मस्जिद कमेटी को 45 दिन पहले नोटिस दिया था यानी कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं हुई है बल्कि उसका पालन हुआ है। दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सड़क या नालियों पर अतिक्रमण कर कोई स्ट्रक्चर बनाया गया है तो उसपर जिला प्रशासन एक्शन ले सकता है। लोक निर्माण विभाग के एक्शन के मुताबिक, यहां भी सड़क का चौड़ीकरण हो रही है ऐसे में यहां भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है।

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