Homeउत्तर प्रदेशमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिली राहत,इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिली राहत,इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक 15 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया | 2007 में गोरखपुर दंगे से जुड़े केस में कोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है। जब उत्तर प्रदेश सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया,तब तक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे | ऐसे में अधिकारियों की तरफ से लिया गया यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि असल में बात को इसलिए लंबा खींचा जा रहा है क्योंकि योगी आदित्यनाथ अब मुख्यमंत्री बन चुके हैं |

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हेट स्पीच देने का मुकदमा अब नहीं चलेगा। बता दें कि 2007 में गोरखपुर में हिंसा हुई थी और यह मामला इसी से जुड़ा था,मामले में याचिकाकर्ता ने तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया था। | 2007 में हुए गोरखपुर के सांप्रदायिक दंगा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमा चलाने के लिए जरूरी अभियोजन स्वीकृति देने से शासन के इनकार के विरुद्ध दाखिल याचिका खारिज कर दी थी |

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

दरअसल, फरवरी 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दायर की गई एक याचिका खारिज कर दी । 2007 में हुए गोरखपुर के सांप्रदायिक दंगा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमा चलाने के लिए जरूरी अभियोजन स्वीकृति देने से शासन के इनकार के विरुद्ध दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। इतना ही नहीं, कोर्ट ने घटना की जांच CBI से कराने की मांग भी अस्वीकार कर दी थी।

हाईकोर्ट को सरकार की प्रक्रिया में नहीं दिखी थी खामी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर साल 2007 में गोरखपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले परवेज परवाज ने केस दर्ज कराया था | परवेज परवाज और असद हयात की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की डिविजन बेंच ने सुनवाई के बाद अपना यह फैसला सुनाया था | कोर्ट ने कहा था कि सरकार की ओर से मुकदमा चलाने की अनुमति न देने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं दिखती है |

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