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जानें बसंत पंचमी पर क्यों पहने जाते हैं पीले कपड़े, बरसती है मां सरस्वती की कृपा

 पीले रंग को हिंदु धर्म में शुभ माना जाता है. पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक होता है. साथ ही यह सादगी व निर्मलता को भी दर्शाता है. मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का भी प्रिय रंग है. इसके अलावा मां सरस्वती को बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि यही कारण है कि लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं. जब बसंत ऋतु बहार बनकर छाती है तो प्रकृति को देखकर ऐसा लगता है कि उसने पीली चुनरी ओढ़ ली हो. उगने वाले सूरज की पीली किरणों के कारण क्षितिज तक पीला रंग फैल जाता है. खेतों में सरसों के पीले फूल भरे होते हैं. वहीं पेड़ों पर पनपने वाली नई कोपलें भी पीलेपन लिए सिर उठा रही होती हैं. प्रकृति का यह पीलापन चेतना की ओर लौटने का संकेत होता है.

यह बताता है कि सर्दी के मौसम के कारण जिस तरह समय ठहरा हुआ या धुंध भरा लग रहा था, अब वह आगे बढ़ रहा है और परिवर्तन ला रहा है. परिवर्तन के रंग में रंगी धरती इसी दौरान बसंत पंचमी का त्योहार मनाती है. पीले रंग को हिंदु धर्म में शुभ रंग माना जाता है. पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक भी होता है तथा सादगी व निर्मलता को भी दर्शाता है. मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का भी प्रिय रंग है. इसके अलावा मां सरस्वती को बसंत पंचमी के पूजा के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इसलिए लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं.

बसंत पंचमी के दिन क्यों पहने जाते हैं पीले कपड़े
मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनना शुभ होता है. इस दिन पीले कपड़े पहनना प्रकृति के साथ एक हो जाना या उसमें मिल जाने का प्रतीक है. यह दर्शाता है कि हम प्रकृति से अलग नहीं है. जैसी प्रकृति ठीक वैसे ही मनुष्य भी हैं. आध्यात्म के नजरिए से देखें तो पीला रंग प्राथमिकता को भी दर्शाता है. कहते हैं कि जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी तब तीन ही प्रकाश की आभा थी. लाल, पीली और नीली. इनमें से पीली आभा सबसे पहले दिखाई दी थी. आध्यात्म के इसी नजरिए को सम्मान देते हुए बसंत पंचमी को पीले कपड़े पहने जाते हैं.

इस दिन पीला रंग खुशनुमा एहसास देता है और नए पन को महसूस कराता है. वहीं पीला रंग सकारात्मकता का प्रतीक है और शरीर से जड़ता को दूर करता है. कहते हैं कि इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और इस मौसम में हर जगह पीला ही दिखाई देता है. पीला रंग हमारे स्नायु तंत्र को संतुलित और मस्तिष्क को सक्रिय रखता है. इस तरह यह ज्ञान का रंग बन जाता है. यही कारण है कि ज्ञान की देवी सरस्वती के विशेष दिन पर पीले वस्त्र पहने जाते हैं.

विज्ञान भी मानता है पीले रंग को शुभ
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मानें तो रंगों का हर किसी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है. अगर आप किसी तनाव भरे माहौल या बहुत व्यस्त शेड्यूल में जी रहे हैं तो पीला रंग आपको स्फूर्ति दे सकता है. पीला रंग जोश, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है. चिकित्सकों की मानें तो ऑफिस प्लेस पर पीले फूलों वाले पौधे जरूर रखने चाहिए. आप अपनी टेबल पर भी पीले फूल रख सकते हैं. घर में आप किचन में भी इस रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. पीला रंग जोश, ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान है.यह मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है.

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पीले रंग का धार्मिक महत्व
मांगलिक कार्य में पीला रंग प्रमुख होता है. यह भगवान विष्णु के वस्त्रों का रंग है. पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है. केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का कारक है और उन्हें बलवान बनाता है. इससे राशियों पर भी प्रभाव पड़ता है. पीला रंग खुशी का प्रतीक है. मांगलिक कार्यों में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है जो कि पीले रंगकी होती है. वहीं धार्मिक कार्यों में पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं जो कि शुभ होता है. यही कारण है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के कपड़े जरूर पहनने चाहिए.

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