दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका का सबसे ताकतवर आदमी यानी अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? क्या डोनाल्ड ट्रंप को दूसरा कार्यकाल मिलेगा या अमेरिका को पहली महिला राष्ट्रपति कमला हैरिस ? इसका जवाब मिलने में महज अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं। 5 नवंबर 2024 को अमेरिक के लोग अपने अगले राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान करेंगे। मगर अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव इतना कठिन और लंबा होता है कि वोटिंग खत्म होने के बाद भी इसे कई अहम पड़ाव से गुजरना पड़ता है। तब जाकर नए राष्ट्रपति को अगले साल यानी 2025 के जनवरी महीने में शपथ दिलाई जाएगी और वो चार साल का अपना कार्यकाल शुरू कर पाएंगे।
तो आइए इन अहम तारीखों के जरिए समझते हैं कि आखिर अमेरिका में राष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा, हर एक तारीख इस चुनाव में क्या अहमियत रखती है ?
पहली अहम तारीख
अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव से लेकर शपथ ग्रहण समारोह तक के लिए अमेरिकी संविधान में नियम बनाए गए हैं। इसके हिसाब से वोटिंग का दिन भी पहले से तय है। अमेरिका में नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को ही चुनाव होता है। मतलब 2024 में 1 नवंबर को शुक्रवार है पर पहला सोमवार 4 को है। तो मतदान की तारीख 5 नवंबर को होगी, इस दिन को इलेक्शन डे भी कहते हैं। एक और बात अमेरिका में वोटिंग की तारीख का मतलब यह नहीं है कि वोटिंग इस दिन शुरू होगी बल्कि उस दिन खत्म होगी। 5 नवंबर तक, लाखों लोग पहले ही मतदान कर चुके होंगे। बैलट और मेल इन के जरिए। जिसे अर्ली वोटिंग कहा जाता है, इसकी अनुमति हालांकि कुछ राज्य ही देते हैं।
जो मतदाता बीमारी या अपाहिज होने के कारण, राज्य के बाहर होने की वजह से वोट नहीं डाल पाते उन्हें ये सहूलियत मिलती है और ऐसा इसलिए भी होता है ताकि इलेक्शन डे के दिन लंबी लाइनों से बचा जा सके। 5 नवंबर को जो लोग मतदान करते हैं, उन्हें पोलिंग स्टेशन जाना होता है। उनके पास ऑनलाइन वोटिंग का ऑप्शन नहीं होता है।
दूसरी अहम तारीख 6 से 10 नवंबर
आम तौर पर विजेता का एलान मतदान की रात को ही हो जाता है लेकिन वोटों की गिनती में कुछ दिन भी लग भी सकते हैं। मिसाल के तौर पर 2020 में ऐसा हुआ था। समय इसलिए लगता है क्योंकि हर एक वोट की गिनती करनी होती है। ऊपर से अमेरिका में, फेडरल वोट काउंटिंग का प्रोसेस नहीं है। इसके बजाय, गिनती का जिम्मा राज्यों पर छोड़ दिया जाता है। इसलिए फाइनल ऑफिशियल टैली आने में वक्त लगता है। मगर शुरुआती घंटों में ही रुझान से पता चलने लगता है कि कौन जीत रहा है।
तीसरी अहम तारीख
10 नवंबर के बाद अलग अलग स्टेट्स में वोटिंग के बाद की स्थिति के आधार पर इलेक्टर को सर्टिफाई करने का प्रोसेस शुरू होता है। इसे सर्टिफिकेट ऑफ असर्टेनमेंट कहते हैं। अगर कोई विवाद होता है और दोबारा काउंटिंग की स्थिति बनती है तो इस प्रक्रिया में देर भी लग सकती है। इस बार इस प्रोसेस को पूरा करने की आखिरी तारीख 11 दिसंबर है। सर्टिफिकेट में हर एक राज्य के भीतर जितने भी इलेक्टर्स जीते हैं, वो किस उम्मीदवार को सपोर्ट करते हैं, ये जारी जानकारी दी गई होती है। हर एक सर्टिफिकेट की सात कॉपियां बनती हैं जिस पर गवर्नर का साइन और राज्य का मुहर लगा होता है। तो 11 दिसंबर तक सभी 50 राज्यों में 538 इलेक्टर्स तय हो चुके होंगे।
चौथी अहम तारीख 17 दिसंबर
17 दिसंबर को सभी 50 स्टटे्स में जो 538 इलेक्टर चुने गए हैं, वो अपना अपना वोट डालेंगे। अमेरिका के संविधान में यह कहीं नहीं लिखा है कि इलेक्टर को पॉपुलर वोट को फॉलो करना होगा। लेकिन ज्यादातर स्टेट्स में कानून में ऐसा करना जरूरी है। जुलाई 2020 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि जिन स्टेट्स में कानून लागू है। वहां इलेक्टर्स को पॉपुलर वोट को फॉलो करना होगा, यानी जिसे जनता चुनेगी उसे ही वोट देना होगा।
पांचवी अहम तारीख 6 जनवरी 2025
सभी राज्यों से इलेक्टर के वोट वॉशिंगटन पहुंचेंगे। यहीं अमेरिका का संसद कैपिटल हिल है, जनवरी के पहले हफ्ते में सांसदों का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है। इसी सत्र में उपराष्ट्रपति के सामने ही इलेक्टर्स के वोटों को गिना जाता है और विजेता के नाम की घोषणा होती है। क्योंकि मौजूदा उपराष्ट्रपति सीनेट के अध्यक्ष के रूप में भी काम करते हैं तो कमला हैरिस ही 2025 में इस गिनती की अध्यक्षता करेंगे। जैसा कि उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनवरी 2017 में किया था जब डोनाल्ड ट्रम्प आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति बन गए थे।
छठी अहम तारीख 20 जनवरी 2025
अमेरिका चुनाव की तारीख के अलावा ये भी पहले से तय होता है कि नया प्रेसिडेंट कब शपथ लेगा। अमेरिका के संविधान के मुताबिक, 20 जनवरी को नया प्रेसिडेंट पद की शपथ लेता है। इसे इनॉगरेशन डे भी कहते हैं। पहली बार साल 1937 में इस तारीख को शपथ ली गई थी। उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लिया था।
इस नियम के तहत अगर 20 जनवरी को रविवार पड़ जाता है तो शपथ समारोह 21 जनवरी को आयोजित किया जाता है। ऐसा साल 2013 में हुआ था जब बराक ओबामा अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने वाले थे तब 20 जनवरी को रविवार पड़ गया था। उसके बाद राष्ट्रपति एक परेड में व्हाइट हाउस जाते हैं और अगले चार साल का कार्यकाल शुरु करते हैं।
वोटिंग का तरीका भी सबसे रोचक है
अमेरिका में जनता सीधे प्रेसिडेंट नहीं चुनती, पहलो वो कुछ लोगों को चुनती है, जिन्हें इलेक्टर कहा जाता है। ये सारे इलेक्टर मिलकर बनाते हैं इलेक्टोरल कॉलेज जो अमेरिका के चुनावी तंत्र का सबसे अहम हिस्सा है। अमेरिका में कुल 50 स्टेट्स है, जो राज्य जितना बड़ा होता है उस हिसाब से उस राज्य में इलेक्टर्स की संख्या तय होती है। मिसाल के तौर पर कैलीफोर्निया जहां सबसे ज्यादा 54 इलेक्टर है। डेलावेयर में सबसे छाटे 3 इलेक्टर है। कुल मिलाकर अमेरिका में 538 इलेक्टर्स है। 538 इलेक्टर्स में 435 रिप्रेजेंटेटिव्स, 100 सीनेटर्स और तीन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के इलेक्टर्स होते हैं।
ये सभी इलेक्टर्स किस पार्टी के उम्मीदवार को सपोर्ट कर रहे हैं ये वो पहले से ही जनता को बता देते हैं। तो जब वोटर्स 5 नवंबर को वोट करने जाएंगे तो वे अपने पंसदीदा उम्मीदवार के इलेक्ट्रस को अपने स्टेट में चुनेंगे। अगर हैरिस वर्मोंट राज्य जीतती हैं, तो उन्हें इसके तीन इलेक्टोरल वोट मिलेंगे और ट्रम्प अलास्का जीतते हैं, तो उनके खाते में तीन इलेक्टोरल वोट जाएंगे। तो दोनों में से जो भी पहले 270 का जादुई आकड़ा पार कर लेता है वो विजेता होता है। जनता हालांकि पॉपुलर वोट भी देती है, माने वो ये सीधे बताते हैं कि उन्हें कौन पसंद है – हैरिस या ट्रंप। कुछ स्टेट्स में जो पॉपुलर वोट्स जीतता है, उसे ही सभी इलेक्टर सीटें मिल जाती है पर कुछ स्टेट्स में ऐसा बिलकुल भी नहीं है।
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