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ऑरेंज कलर का डिवाइस क्यों कहलाता है ब्लैक बॉक्स, क्या है इसके अंदर

अहमदाबाद प्लेन हादसे को हुए करीब 45 घंटे का वक्त बीत चुका है। 8 से ज्यादा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। ये हादसा कैसे हुआ? क्यों हुआ? टेक्निकल फेल्योर था या कुछ और था। इन सारे सवालों का जवाब ढूंढा जा रहा है। दुनियाभर के एक्सपर्ट हादसे के कारणों की तलाश कर रहे हैं। एयर इंडिया के क्रैश हुए विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। उसकी जांच की जा रही है। ऑरेंज कलर के दिखने वाले डिवाइस को ब्लैक बॉक्स क्यों कहा जाता है? इन सभी सवालों के जवाब इस खास रिपोर्ट में मिलेंगे।

8 एजेंसियां जांच में जुटी

भारत, ब्रिटेन और अमेरिका की 8 से ज्यादा एजेंसी प्लेन क्रैश की जांच में जुटी हैं। अब ब्लैक बॉक्स के डेटा का एनालिसिस किया जा रहा है। ताकि अहमदाबाद विमान हादसे का सच दुनिया के सामने आ सके। ब्लैक बॉक्स एयर इंडिया के विमान के टेल में मिला है। टेल का वो हिस्सा डॉक्टर हॉस्टल के मेस में फंसा था। जहां एनएसजी की टीम ने ब्लैक बॉक्स को बरामद किया है, जो पूरे हादसे का राज खोलेगा।

पायलट ने कहा- MAYDAY, MAYDAY, MAYDAY

विमान के पायलट सुमित सभरवाल का एटीसी (ATC) यानि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को भेजा गया आखिरी मैसेज क्या था ? 4-5 सेकेंड के संदेश में सुमित सभरवाल कह रहे हैं, MAYDAY, MAYDAY, MAYDAY… थ्रस्ट नहीं मिल रहा। पावर कम हो रही है, प्लेन उठ नहीं रहा… नहीं बचेंगे। यानि उन्होंने प्लेन को बचाने की पूरी कोशिश की। शायद उन्होंने ज्यादा थ्रस्ट देकर कोशिश की कि विमान रेजिडेंशियल इलाके से थोड़ा आगे निकल जाए ताकि नुकसान कम हो।

क्यों कहा जाता है ब्लैक बॉक्स ?

ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद ही ये सच सामने आएगा कि हादसा कैसे हुआ ? लेकिन ये जानना जरुरी है कि ऑरेंज कलर का दिखने वाले इस डिवाइस को ब्लैक बॉक्स क्यों कहा जाता है। आखिर इस डिवाइस के अंदर होता क्या है ?

हादसे का सबसे बड़ा गवाह होता है ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स, किसी भी विमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हादसे का सबसे बड़ा गवाह होता है, जिसमें फ्लाइट का पूरा डेटा रिकॉर्ड किया जाता है। इसलिए क्रैश के बाद इसकी तलाश सबसे पहले होती है। हवाई जहाजों में इस्तेमाल होने वाले ब्लैक बॉक्स को वास्तव में चमकीले नारंगी (ऑरेंज) रंग में बनाया जाता है, लेकिन इसका नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ तकनीकी कारणों से पड़ा है। ऐसा भी कहा जाता है कि ब्लैक बॉक्स कंप्यूटिंग के क्षेत्र से लिया गया एक शब्द है।

इसलिए ऑरेंज रंग का होता है ब्लैक बॉक्स

इसकी प्रमुख वजह भी है। ब्लैक बॉक्स को चमकीले ऑरेंज कलर में इसलिए रंगा जाता है ताकि हादसे के बाद आसानी से खोजा जा सके। विमान हादसे के बाद मलबे में ब्लैक बॉक्स को ढूंढना मुश्किल होता है। ऑरेंज कलर की वजह से पानी, जंगल और रेगिस्तान में भी आसानी से दिखाई देता है।

पानी के अंदर से एक माह तक भेज सकता है सिग्नल

ये डिवाइस स्टील या टाइटेनियम जैसे मजबूत धातुओं से बनी होती है। ये आग, पानी और भारी दबाव को सहन कर सकती हैं। ऑरेंज कलर का पेंट विशेष रूप से गर्मी और कठोर परिस्थितियों में टिकने वाला होता है। ब्लैक बॉक्स में एक बीकन होता है, जो पानी में भी 30 दिनों तक सिग्नल भेजता है। डिवाइस का ऑरेंज कलर इसे समुद्र के अंदर ढूंढने में मदद करता है।

ब्लैक बॉक्स का पहला हिस्सा कहलाता है एफडीआर

बता दें कि ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य हिस्से होते हैं। पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर है। जिसे एफडीआर के नाम से जाना जाता है। यह उड़ान से संबंधित तकनीकी जानकारी रिकॉर्ड करता है। इसमें विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन का प्रदर्शन, विमान पायलट द्वारा नियंत्रण सतहों की स्थिति का पता लगाया जाता है।

ब्लैक बॉक्स का दूसरा हिस्सा कहलाता है सीवीआर

बता दें कि ब्लैकबॉक्स का दूसरा हिस्सा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर है। इसे सीवीआर के नाम से जाना जाता है। यह कॉकपिट में होने वाली बातचीत और ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। इसमें पायलटों की आपसी बातचीत रिकॉर्ड होती है।

पायलट केबिन की सभी आवाज को करता है रिकॉर्ड

पायलट और हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड होती है। कॉकपिट में मौजूद अन्य ध्वनियां (जैसे अलार्म या इंजन की आवाज) रिकॉर्ड होती है। यह आमतौर पर आखिरी 2 घंटे की रिकॉर्डिंग रखता है। पुरानी रिकॉर्डिंग अपने आप मिटती जाती है।

जानिए कब तक आ सकती है ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट ?

ब्लैक बॉक्स की जांच में अमेरिका और ब्रिटेन की जांच टीम भी जुटी हुई हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर ब्लैक बॉक्स की जांच इंडिया में हुई तो रिपोर्ट 4 से पांच दिनों में आ जाएगी। अगर इस जांच के लिए अमेरिका ले जाया गया, क्योंकि बोइंग और GE का हेडक्वार्टर अमेरिका में है। ऐसे में जांच रिपोर्ट आने में 15 दिन भी लग सकते हैं।

हादसे में गई 297 लोगों की जान

बता दें कि अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 297 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 241 विमान में सवार लोग थे। 56 अन्य लोग जिनकी जान विमान की चपेट में आने से जान गईं हैं। स्थानीय लोगों को कहना है कि अगर पायलट ने सूझबुझ नहीं दिखाई होती तो ये आंकड़ा और ज्यादा होता है।

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