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तीन भाषा को लेकर महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, रद्द किए पुराने फैसले

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। महाराष्ट्र कैबिनेट में शिवसेना के मंत्री गुलाबराव पाटील, संभुराज देसाई और दादा भुसे ने हिंदी भाषा अनिवार्यता पर स्थगिती लाने की मांग की थी। वहीं अब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसकी स्थगिती का ऐलान कर दिया है। सीएम ने कहा कि त्रिसुत्री भाषा पर समिती अहवाल तैयार करेगी, तब तक के लिए इसे स्थगित किया जाता है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “सरकार ने त्रिभाषा नीति पर जारी दोनों जीआर रद्द कर दिए हैं। त्रिभाषा नीति लागू करने के लिए समिति का गठन किया है। कैबिनेट बैठक में हमने निर्णय लिया है कि त्रिभाषा नीति किस प्रकार लागू की जानी चाहिए, इस पर विचार के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी। यह समिति सभी संबंधित पक्षों से चर्चा करेगी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही त्रिभाषा नीति लागू की जाएगी। इसलिए त्रिभाषा नीति पर जारी दोनों शासकीय आदेश (जीआर) रद्द किए जा रहे हैं। हमारे लिए इस नीति का केंद्र बिंदु मराठी ही रहेगा।

लोग कर रहे दिखावा

उन्होंने कहा, “मराठी के संदर्भ में जो सो रहे हैं उन्हें उठाया जा सकता है, लेकिन जो दिखावा कर रहे हैं, उन्हें नहीं। कर्नाटक और यूपी जैसे राज्यों ने अपनी शैक्षणिक नीति लागू कर दी है। 16 अक्टूबर 2020 को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एक जीआर (सरकारी आदेश) जारी किया गया था। इसके तहत रघुनाथ माशेलकर की अध्यक्षता में 18 सदस्यों की एक समिति गठित की गई थी।

इस समिति में शामिल थे थोरात, येवले, राजन वेळुकर, सपकाळ, जी. डी. जाधव, विजय पाटील, नितीन पुजार, अभय वाघ, निरंजन हिरानंदानी, भारत आहुजा, देविदास गोल्लर, मिलिंद साटम, अजित जोशी, विजय कदम (शिवसेना उद्धव गुट के उपनेता), धनराज माने आदि। यह एक मराठी और शिक्षाविदों की विशेषज्ञ समिति थी।

उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने 101 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में उनकी तस्वीर भी है, संपादक भी उपस्थित थे, हालांकि वे पीछे खड़े हैं। मैं खबरों में नहीं जाता, मैं रिपोर्ट की बात करता हूं। रिपोर्ट के पृष्ठ क्रमांक 56 पर यह अनुशंसा दी गई है कि एक उपसमूह बनाया गया था। जिसमें सुखदेव थोरात, नागनाथ कोतापल्ली, विजय कदम भी शामिल थे। उन्होंने सिफारिश की थी कि अंग्रेजी और हिंदी भाषा पहली से बारहवीं तक पढ़ाई जाए। मराठी को प्राथमिकता देना जरूरी बताया गया, लेकिन हिंदी का उल्लेख भी किया गया।

उद्धव ठाकरे की कैबिनेट ने किए थे हस्ताक्षर

सीएम फडणवीस ने कहा कि शिवसेना (उद्धव गुट) के उपनेता भी उस समिति में थे और उन्होंने ही यह अनुशंसा की थी। 14 सितंबर 2021 को यह रिपोर्ट सौंपी गई थी। 7 जनवरी 2022 को यह रिपोर्ट कैबिनेट में प्रस्तुत की गई। उद्धव ठाकरे की कैबिनेट ने इस पर हस्ताक्षर किए। इसलिए यह कहना गलत है कि उस रिपोर्ट को स्वीकार करते समय त्रिभाषा सूत्र मान्य नहीं किया गया था। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को भी उस समय मंजूरी दी गई थी।

माशेलकर समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया था और इसे लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई। उसी समिति के अनुसार अब जो जीआर (GR) निकाले गए हैं, वे आए हैं। 2025 में पहला जीआर (GR) निकाला गया, जिसमें मराठी अनिवार्य भाषा थी, दूसरी अंग्रेज़ी और तीसरी हिंदी बताई गई। जब इस पर सवाल उठे, तो 17 जून को सरकार ने स्पष्ट किया कि तीसरी भाषा कोई भी भारतीय भाषा हो सकती है।

पहली से नहीं पढ़ाई जाएगी तीसरी भाषा

मुख्यमंत्री फडणवीस ने ये भी कहा, तीसरी भाषा पहली से नहीं पढ़ाई जाएगी, बल्कि तीसरी कक्षा से उसका लेखन-पठन होगा। पहली कक्षा से केवल संवाद के स्तर पर भाषा सिखाई जाएगी। हम चाहते हैं कि सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएं। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के अनुसार छात्रों को नंबर नहीं दिए जाएंगे, लेकिन अन्य भाषाओं (जैसे गुजराती, अंग्रेज़ी) वालों को अंक मिलेंगे। ऐसे में हमारी मराठी भाषा वाले बच्चे पीछे रह जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यह वास्तविकता है और इसे नए नेताओं के सामने प्रस्तुत करना जरूरी है। इसीलिए हमने दादा भुसे से संवाद करने को कहा था और वे बातचीत कर रहे हैं। कैबिनेट में हमने चर्चा की और यह निर्णय लिया है कि किस कक्षा से नीति लागू की जाए और क्या विकल्प दिए जाएं। अब डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी। इसमें अन्य सदस्य भी होंगे।

मराठी विद्यार्थी महत्वपूर्ण

सीएम फडणवीस ने कहा कि इस समिति के आधार पर ही त्रिभाषा नीति लागू की जाएगी। हमने दोनों पूर्व सरकारी आदेश रद्द करने का निर्णय लिया है। माशेलकर समिति का अध्ययन किया जाएगा, सभी पक्षों की राय ली जाएगी और उसके बाद ही राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी। हमारे लिए मराठी और मराठी विद्यार्थी महत्वपूर्ण हैं। हमारी नीति छात्र-केंद्रित होगी।

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