जीवन तंत्र डेस्क : कहानी – वेद व्यास जी थोड़े निराश हुए। उस समय उनके मन में अपनी रचना के लिए एक प्रश्न उठा। उन्होंने सोचा कि मैंने बहुत कुछ बनाया है, फिर भी एक उदासी बनी हुई है।
उस समय वेद व्यास जी की मुलाकात देवर्षि नरों से हुई थी। उन्हें समझाने के लिए नारद मुनि ने अपना एक उदाहरण दिया। नारद मुनि ने कहा, मैं पिछले जन्म में एक दासी की संतान था। मेरे पिता का पता नहीं था। मेरी माँ बेदावादी ब्राह्मणों की सेवा करती थीं। सभी ब्राह्मण चार महीने से एक ही स्थान पर तपस्या कर रहे थे।
मेरी माँ ने मुझे उन ब्राह्मणों की सेवा के लिए नियुक्त किया। मेरा स्वभाव ऐसा था कि मैं बहुत कम बोलता था। जब बाकी बच्चे खेल रहे होते तो मैं अकेला बैठ जाता। जब मैंने उन ब्राह्मणों के आदेश का पालन किया, तो वे मेरी सेवा में प्रसन्न हुए। मन में दुख था कि मेरी माँ दासी है, मैं जीवन में क्या करूँ, कब तक इसी तरह दूसरों की सेवा करती रहूँगी, लेकिन इन बातों के बाद भी मैंने ब्राह्मणों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मेरा मन ब्राह्मणों की संगति में और मेरी सेवा में शांत होने लगा। मेरी सेवा को देखकर, महान योगी मुझे ऐसी बातें बताने लगे जो दूसरों को बहुत कठिन लगती हैं। ईश्वर के प्रति मेरा विश्वास जाग उठा है। उसके बाद जब मेरा अगला जन्म हुआ तो मैं आपके सामने हूं।
यदि आप योग्य हैं, तो आपको सही समय पर अपनी क्षमता दिखानी होगी
पाठ – नारद मुनि वेद व्यास जीके इन बातों को समझा रहे थे, क्योंकि यदि हम कभी निराश हों, यदि कोई भ्रम हो, तो कुछ ऐसे लोगों के साथ रहें जो बहुत ही सकारात्मक, तपस्वी हैं, चाहे आप उनसे कुछ भी प्राप्त करें, हमारी नकारात्मकता दूर हो जाती है और हो जाती है। जीवन की स्पष्ट दृष्टि।